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TB hospital lying vacant for three years, treatment along with general patients in BMC, risk of infection | लापरवाही: तीन साल से खाली पड़ा टीबी अस्पताल, बीएमसी में सामान्य मरीजों के साथ इलाज, संक्रमण का खतरा – Sagar News

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संक्रमित बीमारी टीबी के मरीजों की संख्या न बढ़े, पहले से बीमारी से ग्रसित लोगों से संक्रमण दूसरे मरीजों या लोगों में न पहुंचे, इसी उद्देश्य के चलते जिला अस्पताल से हटकर अलग से टीबी अस्पताल तैयार किया गया था। 50 बिस्तर के इस अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर

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जिसके चलते टीबी की बीमारी से ग्रसित जिले के करीब तीन हजार मरीजों का इलाज बीएमसी में चल रहा है। हर रोज 30 से ज्यादा लोग बीएमसी के टीबी-चेस्ट विभाग में डॉक्टर्स को दिखाने पहुंच रहे हैं। सामान्य लोगों के बीच घूम रहे टीबी जैसी संक्रमित बीमारी से ग्रसित इन मरीजों से हर रोज अन्य बीमारियों का इलाज कराने बीएमसी पहुंच रहे करीब एक हजार लोगों को संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। कुल मिलाकर जिम्मेदार अपनी मनमर्जी की व्यवस्थाएं कर प्रधानमंत्री मोदी के 2025 में देश को टीबी मुक्त करने के संकल्प को पलीता लगा रहे हैं।

कबाड़ हो रही सामग्री

भास्कर टीम ने टीबी अस्पताल का जायजा लिया तो बिल्डिंग के निचले तल पर दवा वितरण केंद्र संचालित मिला। वहीं प्रथम तल पर महिला व पुरूषों को भर्ती करने के लिए बने एमडीआर वार्डों में पलंग तो डले हैं, लेकिन उनमें ताले लटके हैं। डॉक्टर व नर्सिंग ड्यूटी रूम, ड्रग स्टोर इंचार्ज ऑफिस में भी ताले डले मिले। अस्पताल में मरीज भर्ती न होने से और बारिश का पानी भरने से पलंग व अन्य सामग्री भी कबाड़ होने लगी है।

7 साल पहले बीएमसी को दे चुके टीबी अस्पताल जानकारी के अनुसार टीबी अस्पतालों के बेहतर संचालन को लेकर सरकार ने करीब 7 साल पहले यानी 2018 के आसपास प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर व सागर में स्थित टीबी अस्पतालों को स्टाफ व संसाधनों सहित वहां के मेडिकल कॉलेजों में मर्ज कर दिया था। सागर टीबी अस्पताल में पदस्थ करीब 10 लोगों का स्टाफ भी बीएमसी को मिल गया, लेकिन वह अब टीबी अस्पताल की जगह बीएमसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इतना ही नहीं शुरूआत में बीएमसी ने टीबी अस्पताल में करीब 40 लाख रुपए खर्च करके ऑक्सीजन सप्लाई के लिए लाइन डालने के साथ अन्य काम भी किए थे।

डॉक्टर बोले : लोगों में जागरूकता जरूरी

^बीएमसी ही नहीं, बाजार, ट्रेन और बसों में भी सामान्य लोगों के साथ टीबी के मरीज रहते हैं। संक्रमण का खतरा तो वहां भी है। इससे बचने के लिए लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है। टीबी-चेस्ट के लिए दो वार्ड आरक्षित किए हैं, बीमारी की पुष्टि होने के बाद टीबी के मरीजों को अलग वार्ड में रखा जाता है। टीबी अस्पताल का भवन भी पूरी तरह से हैंडओवर नहीं किया गया है, इसके अलावा वहां सेवाएं शुरू करने में व्यावहारिक समस्याएं भी हैं। – डॉ. तल्हा साद , विभागाध्यक्ष, टीबी-चेस्ट, बीएमसी

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