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Bihar Model in Tripura: प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने त्रिपुरा में बिहार जैसी मतदाता सूची पुनरीक्षण की मांग की है. बिहार में एसआईआर प्रक्रिया विवादित है और विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी ह…और पढ़ें
त्रिपुरा में भी एसआईआर की मांग उठ रही है. (सांकेतिक तस्वीर)
हाइलाइट्स
- त्रिपुरा में बिहार जैसी मतदाता सूची पुनरीक्षण की मांग.
- पूर्वोत्तर राज्य भी बिहार की तरह चुनावी जांच का हकदार.
- बिहार वोटर लिस्ट एसआईआर मामला सुप्रीम कोर्ट में.
इस प्रक्रिया ने पहले ही विवाद खड़ा कर दिया है. विपक्षी दलों ने मतदाता पंजीकरण के लिए लागू किये जा रहे सख्त मानदंडों पर चिंता जताई है. सोशल मीडिया पर देबबर्मा ने लिखा, “यही प्रक्रिया पूर्वोत्तर भारत, खासकर त्रिपुरा, में भी लागू की जानी चाहिए और अधिकारियों में हमारे मूल निवासी तिप्रासा लोगों/अधिकारियों को शामिल किया जाना चाहिए.”
क्या हम भी भारत की संतान नहीं हैं?
देबबर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य भी बिहार जैसी ही चुनावी जांच का हकदार है. उन्होंने फेसबुक पर लिखा, “मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि निर्वाचन आयोग के लिए बिहार महत्वपूर्ण क्यों है और पूर्वोत्तर क्यों नहीं. क्या हम भी भारत की संतान नहीं हैं? अब समय आ गया है कि टिपरा मोथा के विधायक भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर ऐसा ही करने के लिए कहें.” देबबर्मा ने लोगों से पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों पर मतदाता सूची संशोधन के ‘बिहार मॉडल’ की मांग करने का दबाव बनाने का आग्रह भी किया. उन्होंने कहा, “मैं अपने सभी पूर्वोत्तर भाइयों और बहनों से अनुरोध करता हूं कि वे भी अपने क्षेत्रीय दलों पर ऐसा ही दबाव डालें.”
बिहार वोटर लिस्ट एसआईआर का मामला सुप्रीम कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के संबंध में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ है. राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार नीत राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है. सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें
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