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बकायन गांव के प्राचीन हनुमान मंदिर में 48 घंटे का संगीत महोत्सव
दमोह के बकायन गांव में स्थित श्रीहनुमान मंदिर में 10 और 11 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया गया, जो अपने आप में एक अद्वितीय सांस्कृतिक परंपरा बन चुका है। इस महोत्सव की सबसे खास बात यह है कि यहां लगातार 48 घंटे तक बिना रुके संगीत की साधना
.
इस कार्यक्रम में देशभर के 17 प्रतिष्ठित कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। मध्यप्रदेश के पशुपालन राज्य मंत्री कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे, उन्होंने कहा कि यह महोत्सव शायद देश के सबसे प्राचीन और जीवंत गुरु-शिष्य परंपरा में से एक है। आधुनिकता के इस युग में जहां बहुत कुछ पीछे छूट गया है, वहीं यह महोत्सव आज भी अपनी गरिमा और भव्यता के साथ कायम है।

इस अवसर पर गुवाहाटी से आई कथक कलाकार मेघ रंजनी ने कहा कि इतने ऐतिहासिक आयोजन में प्रस्तुति देना उनके लिए सौभाग्य की बात है। मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, भुवनेश्वर, धारवाड़ जैसे शहरों से आए कलाकारों ने शास्त्रीय संगीत, नृत्य और वादन की शानदार प्रस्तुतियां दीं।
इस परंपरा की शुरुआत 1894 में बलवंत राव पलनीटकर ने की थी, जिन्होंने इंदौर दरबार के मृदंगाचार्य नानासाहेब पानसे से तीन साल तक रथ के आगे दौड़कर गुरु बनने की अनुमति प्राप्त की थी। फिर उन्होंने बकायन लौटकर 57 शिष्यों को संगीत शिक्षा दी और यह महोत्सव शुरू किया।

इस बार की प्रस्तुतियों में शामिल रहे
- मुंबई से कथक युगल सुश्री सरिता कालेले
- दिल्ली से गायिका चिन्मयी आठले ओक
- कोलकाता से ओंकार दादरकर
- हुबली धारवाड़ से जयतीर्थ गायन
- भुवनेश्वर से मोहंती ओडिसी युगल
- दंदौर से संतोष संत का बांसुरी वादन
- जबलपुर से कथक एकल प्रस्तुति शिवांगी अग्निहोत्री
इन प्रस्तुतियों में संगत दी- रामेंद्र सिंह सोलंकी, दीपक दास महं, पंडित देवेंद्र वर्मा, जितेंद्र शर्मा, दीपक खसरवाल, और सारंगी पर फारूख लतीफ खां ने।

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