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आनंद नगर में अवैध रूप से चल रहे आरआर हॉस्पिटल में 10 दिन से भर्ती 73 वर्षीय गुलामनबी की बुधवार सुबह करीब 10 बजे मौत हो गई। सुबह 9:30 बजे मरीज की हालत बिगड़ी तो परिजन ने डॉक्टरों को कई फोन किए, लेकिन डॉक्टर नहीं आए। इस मरीज को 4 दिन पहले ही ब्लड कैंसर
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गुलामनबी के भतीजे मोनू खान ने बताया कि चाचा को पैरों में दर्द, अत्यधिक कमजोरी के चलते 10 दिन पहले आरआर हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। यहां डॉ. हितेंद्र यादव और डॉ. संजीव थरेजा इलाज कर रहे थे। बुधवार सुबह उनकी हालत देख डॉ. यादव को फोन किया, लेकिन कोई नहीं आया। अस्पताल में व्यवस्थाएं संभालने वाले ब्रजेश ने कहा कि इन्हें यहां से ले जाओ।
मौत होने पर ब्रजेश भी वहां से चला गया। परिजन ने हंगामा किया। तब भी न कोई डॉक्टर आया और न स्टाफ लौटा। सिर्फ नर्स चांदनी मौजूद थी। इसके बाद परिजन लाश को लेकर चले गए। मोनू का कहना है, इलाज में करीब 90 हजार रुपए खर्च हो गए हैं। डॉक्टर कम से कम यह तो बताएं कि मरीज की मौत किस कारण से हुई है। जब भास्कर ने हॉस्पिटल के संचालक ब्रजेश जाटव को इस संबंध में कॉल किया तो उन्होंने सवाल सुनते ही कॉल काट दिया।
ब्लड कैंसर की पुष्टि फिर भी भर्ती रखा
नर्स चांदनी से पूछा कि गुलामनबी को क्या परेशानी थी? तो उसने बताया कि चार दिन पहले डॉ. थरेजा ने जांच कराई थी, तो ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) होने की पुष्टि हुई थी। इस कारण हालत बिगड़ी और कार्डियक अरेस्ट के चलते उनकी मौत हो गई। हॉस्पिटल में कहने को 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं की बात लिखी है, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं देने के नाम पर यहां कोई डॉक्टर नहीं था। चांदनी के अलावा कोई पैरा मेडिकल स्टाफ तक नहीं था।
आवेदन निरस्त, फिर भी चल रहा था
अस्पताल के संचालक ने अप्रैल में लाइसेंस के लिए सीएमएचओ कार्यालय में आवेदन किया था। तब निरीक्षण के दौरान न कोई डॉक्टर मिला था न मरीज। अस्पताल में मिली कमियों के बाद 25 मई को आवेदन वापस कर दिया था। हैरत की बात है कि लाइसेंस नहीं मिलने के बाद भी धड़ल्ले से अस्पताल का संचालन हो रहा था। अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
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