Home देश/विदेश भारतीय सेना की आर्टिलरी: बोफोर्स से लेकर स्वदेशी धनुष तक का सफर.

भारतीय सेना की आर्टिलरी: बोफोर्स से लेकर स्वदेशी धनुष तक का सफर.

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INDIAN ARMY ARTILLERY: ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भारतीय तोपों ने ऐसी आग उगली कि पाकिस्तानी आतंकियों और पाकिस्तानी सेना को होश फाख्ता हो गए. कारगिल के बाद 26 साल में फिर से इतनी तगड़ी मार भारतीय तोपखाने ने दी. हालां…और पढ़ें

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भारतीय सेना का तोपखाना हुआ और ताकतवर

हाइलाइट्स

  • भारतीय तोपों ने ऑपरेशन सिंदूर में पाक को करारा जवाब दिया.
  • भारतीय सेना में 2027 तक 2800 नई तोपें शामिल होंगी.
  • भारतीय सेना की मारक क्षमता पाकिस्तान और चीन से बेहतर है.
INDIAN ARMY ARTILLERY: बोफोर्स गन भले ही विवादों में रही हो, लेकिन इसकी मारक क्षमता पर आज तक किसी ने सवाल नहीं उठाया. पूरे कारगिल युद्ध के दौरान आर्टिलरी ने ढाई लाख से ज्यादा राउंड फायर किए थे, जिसमें अकेले बोफोर्स ने 70-80 हजार गोले दागकर पाकिस्तानियों को भागने पर मजबूर कर दिया था. एक कहावत है कि जिसके पास जितनी लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें होंगी, युद्ध में पलड़ा उसी का भारी होगा. कारगिल युद्ध में भी यह साबित हो गया. लेकिन भारत के दोनों पड़ोसियों के साथ संभावित युद्ध हाई एल्टिट्यूड के इलाके में ही लड़नी पड़ेगी. इसलिए आर्टिलरी मॉर्डेनाइजेशन के प्लान को तेजी से आगे बढ़ाया गया.

1999 से शुरू हुआ आर्टिलरी के आधुनिकीकरण का प्लान
80 के दशक में भारतीय सेना में बोफोर्स तोपें शामिल हुई थीं. लेकिन उसके तीन दशक से ज्यादा समय में सेना के लिए कोई नई तोप नहीं खरीदी गई. 1999 में शुरू हुए सेना के आधुनिकीकरण के प्लान में आर्टिलरी तोपें सबसे अहम थीं. जिसमें साल 2027 तक 2800 तोपें भारतीय सेना में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया था. स्टैंडर्ड कैलिबर 155 mm तय किया गया. इसमें 1580 टोड तोपें, जो गाड़ियों के जरिए खींची जाती हैं, 814 ट्रक माउंटेड गन, यानी गाड़ियों पर बनी तोपें, 100 ट्रैक्टड सेल्फ़ प्रोपेल्ड तोपें, जो रेगिस्तानी इलाकों के लिए हैं, 180 विल्ड सेल्फ़ प्रोपेल्ड गन और 145 अल्ट्रा लाइट होवितसर तोपें, जिन्हें हेलिकॉप्टरों के जरिए उन पहाड़ी इलाकों तक ले जाया जा सके, जहां सड़कों के जरिए पहुंचना मुश्किल होता है.

प्लान कितना पूरा हुआ 26 साल में
इन 26 सालों में सबसे बड़ा फैसला लिया गया वह है भारत की अपनी स्वदेशी तोप. सरकार ने साफ कर दिया कि ज्यादा से ज्यादा हथियार स्वदेशी होंगे, जिसमें तोपें भी शामिल थीं. जरूरत के हिसाब से विदेशों से भी तोपें मंगवाई गईं. 145 अल्ट्रा लाइट होवितसर तोपें अमेरिका से ली गईं. 100 ट्रैक्टड सेल्फ़ प्रोपेल्ड K-9 वज्र तोपें कोरिया से खरीदी गईं. हाई एल्टिट्यूड के लिए 100 अतिरिक्त गन खरीदी जा रही हैं. देसी बोफोर्स के नाम से जानी जाने वाली स्वदेशी धनुष भारतीय सेना में शामिल हो चुकी है. इसके अलावा अटैग्स यानी एडवांसड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम भी भारतीय सेना में शामिल होने वाली है. 155 mm 52 कैलिबर की इस तोप की मारक क्षमता दुनिया में सबसे ज्यादा रेंज की है. माउंटेड गन सिस्टम भी स्वदेशी तरीके से तैयार किया जा चुका है. जल्द ही इसे भी भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा. यह कहना गलत नहीं होगा कि प्लान के मुताबिक काम चल रहा है.

पाकिस्तान और चीन से भारत आगे
अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो इस समय भारतीय सेना की आर्टिलरी में 9500 से भी ज्यादा गन हैं, जिनमें टोड गन 3000 के आसपास हैं, जिनमें 105 mm इंडिया फील्ड गन भी शामिल है और मोर्टार की संख्या लगभग 6500 से भी ज्यादा है. वहीं 200 से भी ज्यादा मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर हैं और इसकी संख्या में और इजाफा करने की तैयारी हो चुकी है. अगर हम पाकिस्तान और चीन की आर्टिलरी तोपों की मारक क्षमता और संख्या की बात करें तो पाकिस्तान के पास 3000 के आसपास तोपें हैं, लेकिन किसी की भी मारक क्षमता 30 किलोमीटर से कम ही है. वहीं चीन के पास 7000 से भी ज्यादा आर्टिलरी गन हैं और उनकी मारक क्षमता हमारे बराबर ही है.

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