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Officers arrived 24 hours later to see why the pit was dug, 3 lakh fine imposed on the contractor of the mobile company, a case was also registered | गड्‌ढा क्यों हुआ, देखने 24 घंटे बाद पहुंचे अफसर, मोबाइल कंपनी के ठेकेदार पर 3 लाख जुर्माना, केस भी दर्ज करवाया – Indore News

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मेघदूत के सामने सड़क पर शुक्रवार सुबह हुए गड्‌ढे के मामले में नगर निगम की गंभीर लापरवाही सामने आई है। निगम ने भले ही दावा किया कि शिकायत के 15 मिनट बाद गड्‌ढा भरवा दिया, लेकिन शनिवार को मौके पर पहुंची भास्कर टीम को क्षेत्र के दुकानदारों ने बताया, शुक

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क्षेत्र के दुकान संचालक नीतेश चौरसिया ने बताया शुक्रवार सुबह पूरी सड़क पर पानी ही पानी था। दो घंटे बाद अचानक गड्ढा हो गया। हमने आसपास बाउंड्री की ताकि कोई हादसा न हो। निगम की टीम ने दावा किया था कि 15 मिनट में गड्ढा भर दिया, जबकि निगम की टीम शाम 5.30 बजे पहुंची। उधर, शनिवार सुबह अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया और अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी मामले की जांच के लिए मौके पर पहुंचे।

बिना अनुमति लाइन डालने से क्षतिग्रस्त हुई पानी की लाइन अफसरों ने जांच में पाया कि भारती एयरटेल कंपनी की ठेकेदार फर्म स्टेलाइट प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपाइटर जगदीश शर्मा ने बिना अनुमति लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल डालने का काम किया। इससे रीयूज वाटर की लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। इसी से लीकेज हुआ। मिट्टी कटाव के चलते गड्‌ढा बड़ा हो गया। ठेकेदार एजेंसी की लापरवाही से निगम की छवि धूमिल हुई, इसलिए ठेकेदार फर्म को तीन लाख रुपए जुर्माने का नोटिस जारी कर एजेंसी के जगदीश शर्मा निवासी गुना और तरुण मौर्य निवासी विजय नगर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। करीब 60 हजार रुपए का सामान जब्त कर लिया है।

सीधी बात – शिवम वर्मा, निगमायुक्त

हमारी ओर से समय-समय पर पैचवर्क किया जाता है

Q. सड़क पर गड्ढा कैसे हुआ? A. तीन साल पहले रीयूज पानी की लाइन डाली थी, तब रेस्टोरेशन किया था। जिम्मेदारों पर कार्रवाई करेंगे। Q. सड़क की गुणवत्ता खराब थी, इस बारे में नहीं पता था? A. आईडीए ने 20-25 साल पहले सड़क बनाई थी। वर्तमान में कोई रिपेयर या ड्रेनेज लाइन का कार्य नहीं किया गया। पैचवर्क समय-समय पर किया जाता है।

Q. जिम्मेदारों पर कार्रवाई करेंगे या छोड़ देंगे? A. एयरटेल कंपनी की ठेकेदार एजेंसी को तीन लाख रुपए जुर्माने का नोटिस जारी किया है। एफआईआर भी दर्ज करवाई गई है। Q. जब सड़क की खुदाई हो रही थी तो जोन के अफसर क्या कर रहे थे, उन पर भी कार्रवाई होगी? A. गुरुवार रात को ही गुपचुप तरह से खुदाई कर दी थी। जब लाइन फूटी तो सब चुपचाप वहां से निकल गए।

ठेकेदार कंपनी पर कार्रवाई की है

^एयरटेल कंपनी ने बगैर अनुमति लाइन डाली थी, जिससे सड़क पर बड़ा गड्ढा बन गया। कार्रवाई करते हुए हमने 3 लाख का जुर्माना लगाया है। कंपनी के दो ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज कराया है। – पुष्यमित्र भार्गव, महापौर

तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं…, कमाल ये कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं

इंदौर का विकास रोज नई पर्तें उधेड़ रहा है। लगता है जैसे कोई सिलसिला सा शुरू हुआ है। किसी एक सिरे की तुरपाई खुली है और अब पूरी सिलाई ही उधड़ती चली जा रही है। मेघदूत के सामने सड़क का यूं धंस जाना, मानो लापरवाही, भ्रष्टाचार और अनदेखी का जिंदा दस्तावेज ही सार्वजनिक हो गया है। पर्चे बंट गए हैं हमारी ईमानदारी के।

अब आप लाख एक-दूसरे के सिर पर जिम्मेदारी मढ़ने की कोशिश कीजिए, कलई तो खुल ही गई है। किसने किया, क्या किया ये सवाल तो बाद में पूछे जाएंगे, पहले तो आप ये बताएं कि आप क्या कर रहे हैं? जब शहर हर दिन दुनिया के सामने यूं शर्मिंदा हो

रहा है…, जिम्मेदार कहां बैठकर चैन की बांसुरी बजा रहे हैं? वास्तव में समझना मुश्किल है कि आखिर ये शहर में हो क्या रहा है। अचानक से कोई सड़क धंस जाए और सिस्टम इस बात की वाहवाही लूटे कि हमने 15 मिनट में गड्‌ढा भर दिया है। हुजूर ये सड़क के गड्‌ढे तो भर ही जाएंगे, पहले ये तो बताएं कि ये गड्‌ढा हुआ क्यों है? कितनी बड़ी फौज इंदौर ने नगर निगम में पाल रखी है, क्या यही दिन देखने के लिए हम अपनी गाढ़ी कमाई उनके हवाले कर रहे हैं? कोई तो इंजीनियर होता होगा, कोई तो अमला उसके अधीन होता ही होगा, जो देखता होगा कि क्या काम हुआ है, कैसा काम हुआ है? कितने दिन टिकेगा और यूं भरभराकर धंसते ही कहीं चेहरे पर कालिख तो न मल देगा। या परवाह ही नहीं बची है इस बात की कि चेहरे पर रंग कैसा चढ़ा है, मकसद बस एक है कि जेबों का रंग हरियाला बना रहे।

या फिर पूरी व्यवस्था ठेकेदारों और एजेंसियों के हवाले है…। जैसा मर्जी आए खोदिए, काम कीजिए न कीजिए, अधूरा छोड़ दीजिए। पूरा पैसा लीजिए, बंदरबाट कीजिए और चलते बनिए। आगे क्या होगा उसकी फिक्र ही छोड़ दीजिए। हम संभाल लेंगे, कह देंगे इस कार्यकाल का नहीं, उस कार्यकाल का है। इसने नहीं उसने किया था, जिसने किया था, अब वह कहां है पता नहीं? फाइल मिल नहीं रही है, जो मिली है वह फर्जी, दस्तखत नकली है, खाते बेनामी हैं, भुगतान बस असली है और वह हो गया है। किसने किया, क्या किया, किसको किया, इनके जवाब में वही मासूमियत कि कुछ पता नहीं है। गोल-गोल धानी… कुएं में पानी और उसमें भ्रष्टाचार की भांग।

अफसोस बस इस बात का है कि जब भी भ्रष्टाचार की सड़क धंसती है, पर्तें खुलती हैं, जिम्मेदार उस पर ट्रक भर-भरकर मिट्‌टी डाल देते हैं। किया धरा सब बराबर, ला मेरे पैसे, जा तेरे घर। मिठाई बांटते हैं कि उनकी गलती से गड्‌ढा हुआ था, हमने उसे तुरत-फुरत भर दिया है। और कितने गड्‌ढे भरोगे भाई, कभी तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई का हौसला दिखाओ, दोषियों को कठघरे में खड़ा करो, उनसे हिसाब लो और इसकी सूद समेत भरपाई करो।

पैसा जनता का है, उसने जिम्मेदारी आपको सौंपी है। कभी तो गिरहबान में झांकने का साहस दिखाओ…। इस हाल पर बस दुष्यंत ही याद आते हैं …जो कहते हैं…- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं…, कमाल ये कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं।

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