[ad_1]
Last Updated:
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टीस डीवाई चंद्रचूड़ रिटायरमेंट के बाद सरकारी बंगला खाली ना करने पर चर्चा में हैं. मगर, सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे भी जज हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के अगले ही दिन सरकारी बंगला खाली कर अ…और पढ़ें
एक जज ऐसे भी, तुरंत खाली किया था सरकारी बंगला.
हाइलाइट्स
- जस्टिस चेलमेश्वर ने रिटायर होते ही सरकारी बंगला खाली किया.
- उन्होंने बिना ताम-झाम के अपने गांव जाने का फैसला किया.
- सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे.
तारीख 22 जून साल 2018… सुबह के 5 बजे थे, दिल्ली के तुगलक रोड स्थित जजेज कॉलोनी से सामान से लदे हुए ट्रक रवाना हो रहे थे. जब मीडिया और लोगों ने जानने की कोशिश की कि आखिर माजरा क्या है? तो पता चला सुप्रीम कोर्ट के बेबाक जज, जो अपने कड़े फैसलों के लिए जाने जाते थे, ने छह वर्षों से उपयोग में लाए गए अपने बंगले को खाली कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में आज उनका आखिरी दिन था यानी न्यायिक पद पर न्यायिक पद पर लगभग 21 वर्ष और 8 महीने का कार्यकाल का आखिरी दिन. बिना ताम-झाम, बिना किसी फेयरवेल…और बिना किसी देरी और किसी पद के मोह में उन्होंने 6 साल पहले मिले बंगले को खाली कर अपने गांव आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पेद्दा मुत्तेवी जाने का फैसला किया. जस्टिस चेलमेश्वर ने न्यायपालिका में अपने करियर के दौरान कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं और कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने.
ये 2018 की तस्वीर है, 22 जून को जब जस्टिस चेलमेश्वर अपना सरकारी बंगला खाली कर रहे थे.
कोई पद नहीं चाहिए
सुप्रीम कोर्ट के गंभीर मुद्दों पर उठा चुके हैं सवाल
उनके कार्यकाल की सबसे चर्चित घटना वह ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस थी. 12 जनवरी 2018 को उनके आवास पर आयोजित की गई थी. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जस्टिसों के साथ मिलकर देश की सर्वोच्च अदालत में व्याप्त गंभीर मुद्दों को उजागर किया था. उन्होंने चीफ जस्टिस को लिखे एक पत्र को सार्वजनिक किया था, जिसमें मामलों के आवंटन (Master of Roster) को लेकर पारदर्शिता की कमी की ओर इशारा किया गया था.
पारंपरिक विदाई को अस्वीकार कर दिए थे
कई महत्वपूर्ण फैसले
– जस्टिस चेलमेश्वर ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए. उन्होंने इनफॉरमेंशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 66A को असंवैधानिक करार देते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. यह धारा सोशल मीडिया पर “आपत्तिजनक” समझे गए पोस्ट को लेकर लोगों की गिरफ़्तारी की वजह बन रही थी.
– वह उस तीन-जस्टिसों की पीठ का हिस्सा भी थे जिसने यह कहा कि कोई भी नागरिक केवल आधार न होने की वजह से सरकारी योजनाओं या सब्सिडी से वंचित नहीं किया जा सकता. इसके अलावा उन्होंने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) मामले में एकमात्र असहमति का निर्णय दिया था, जिसमें उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली की अपारदर्शिता पर सवाल उठाए थे.
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व…और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व… और पढ़ें
[ad_2]
Source link

