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प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी को बंद करने की तैयारी अंतिम चरण में है। जबलपुर स्थित यह यूनिवर्सिटी वर्ष 2011 में बनाई गई थी। अब यह सिर्फ परीक्षा एजेंसी बनकर रह गई है। सरकार एमबीबीएस समेत सभी मेडिकल कोर्स रीजनल यूनिवर्सिटी को सौंपने जा रही है।
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इसके लिए उच्च शिक्षा और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मिलकर प्रस्ताव तैयार किया है। यह प्रस्ताव विधि विभाग को भेजा गया है। वहां से अनुमति मिलते ही यह कैबिनेट में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह नई व्यवस्था लागू हो जाएगी।
इसके तहत भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को डिग्री बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से मिलेगी। इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के छात्रों को डिग्री देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी से दी जाएगी। जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के छात्र अब डिग्री रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से पाएंगे।
नई शिक्षा नीति के तहत ग्लोबल यूनिवर्सिटी मॉडल लागू किया जा रहा है। रीजनल यूनिवर्सिटी को मजबूत बनाया जा रहा है। यहां बीए, बीकॉम से लेकर मेडिकल कोर्स तक कराए जाएंगे।

भास्कर एक्सपर्ट –
डॉ. पंकज शुक्ला, पूर्व डायरेक्टर एनएचएम डॉ. एचएस त्रिपाठी, पूर्व रजिस्ट्रार, बीयू, भोपाल
इधर, आयुष यूनिवर्सिटी की योजना भी अब ठंडे बस्ते में
उज्जैन में प्रस्तावित आयुष यूनिवर्सिटी की योजना अब ठंडे बस्ते में चली गई है। पहले इसे मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग किया जाना था, लेकिन अब एमबीबीएस को भी रीजनल यूनिवर्सिटी से जोड़े जाने के कारण आयुर्वेदिक कॉलेज भी वहां शिफ्ट होंगे। इसलिए आयुष यूनिवर्सिटी एक्ट खत्म करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसे ईसी सदस्य अशोक खंडेलवाल के कार्यकाल के बाद पूरा किया जाएगा।
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