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अपनी सगी बेटी के साथ रेप के मामले में फंसी एक महिला को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता उसकी सगी बेटी है, ऐसे में वह इस ज्यादती में कैसे शामिल हो सकती है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस विवेक अ
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महिला ने बताया कि वह खुद अपने दूसरे पति और उसके बेटे की प्रताड़ना का शिकार रही है। निचली अदालत ने महिला सहित उसके दूसरे पति और सौतेले बेटे को किशोरी से रेप के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
सौतेले भाई और पिता ने किया था रेप
दरअसल, सिहोर जिले के नरसुल्लागंज में 5 जनवरी 2019 से 4 अगस्त 2019 के बीच एक किशोरी के साथ रेप की घटना हुई। पीड़िता ने आरोप अपने सौतेले पिता और सौतेले भाई पर लगाए थे। सिहोर पुलिस ने जांच के दौरान पीड़िता की मां को भी इस अपराध में शामिल मानते हुए, दूसरे पति और उसके बेटे के साथ आरोपी बना दिया।
नरसुल्लागंज की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने 26 अगस्त 2023 को किशोरी की मां, सौतेले पिता और सौतेले भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई। महिला ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
आरोपी पति-भाई की सजा बरकरार
गुरुवार को इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई, जिसमें महिला की ओर से अधिवक्ता श्यामांतक मणि शुक्ला उपस्थित हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिस महिला को आरोपी बनाकर उम्रकैद की सजा दी गई है, वह स्वयं पीड़िता है। जब उसे अपने पति और सौतेले बेटे की करतूतों का पता चला, तो वह अपनी बच्ची को लेकर घर से भाग गई थी। बाद में नाराज पति और बेटे ने उसे ढूंढ़ निकाला और घर लाकर उसके साथ मारपीट की।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला की सजा को स्थगित करते हुए उसे जमानत का लाभ दिया है। महिला के दूसरे पति और सौतेले बेटे की सजा बरकरार रखी है।
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