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कोतवाली थाना पुलिस में जांच की जा रही है।
नर्मदापुरम में भारतीय मुद्रा का कागज बनाने वाली संवेदनशील इकाई सिक्योरिटी पेपर मिल (एसपीएम) में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। एक व्यक्ति करीब एक साल तक फर्जी पहचान से स्टोर शाखा में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत रहा। मामला तब उजागर हुआ जब मई 2025 में
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जांच में पता चला कि दीपक कुमार नाम का यह व्यक्ति किसी अन्य की पहचान से नौकरी कर रहा था। मई माह में फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद एसपीएम प्रबंधन ने उसे तत्काल बर्खास्त कर दिया। आरोपी अपने गांव तिलहारा, नालंदा (बिहार) भाग गया।
कोतवाली पुलिस कर रही जांच
एसपीएम प्रबंधन ने 31 मई को पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कानूनी कार्रवाई की मांग की। इसके बाद कोतवाली पुलिस मामले की जांच कर रही है। एसआई शरद बर्डे ने एसपीएम के कुछ अधिकारियों के बयान दर्ज किए हैं और आईबीपीएस से परीक्षा व इंटरव्यू के दौरान के बायोमेट्रिक दस्तावेज मांगे हैं।

एसपीएम ने पत्र जारी कर स्पष्टीकरण दिया है।
आईबीपीएस के माध्यम से होती है भर्ती
सिक्योरिटी पेपर मिल (एसपीएम) के जनसंपर्क अधिकारी संजय भावसार ने बताया कि संस्थान में सभी भर्तियां इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड पर्सनल सिलेक्शन (आईबीपीएस) द्वारा की जाती हैं।उन्होंने बताया कि भर्ती विज्ञापन के बाद उम्मीदवार सीधे आईबीपीएस को ऑनलाइन आवेदन करते हैं।
IBPS ही लिखित परीक्षा आयोजित करता है और परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों का बायोमेट्रिक विवरण लेता है। आवेदन से लेकर अंतिम चयन तक की पूरी प्रक्रिया आईबीपीएस द्वारा संपन्न की जाती है। चयनित उम्मीदवारों की सूची प्राप्तांकों के साथ एसपीएम को भेजी जाती है।
इसके बाद एसपीएम दस्तावेज सत्यापन के लिए उम्मीदवारों को बुलाता है। सत्यापन के बाद ही अस्थायी नियुक्ति दी जाती है। परिवीक्षा अवधि में शैक्षणिक, जाति, अनुभव प्रमाणपत्र और पुलिस वेरिफिकेशन संबंधित संस्थानों से कराया जाता है। सभी औपचारिकताएं पूरी होने पर ही कर्मचारी का स्थायीकरण किया जाता है।

एसपीएम के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कर्मचारी की सेवा समाप्त कर दी गई है।
कर्मचारी की सेवा समाप्त
मामले में एसपीएम ने स्पष्टीकरण जारी किया। जनसंपर्क अधिकारी संजय भावसार ने बताया कि दीपक कुमार की ऑनलाइन परीक्षा आईबीपीएस द्वारा मुंबई केंद्र पर आयोजित की गई थी। जब आईबीपीएस ने एसपीएम नर्मदापुरम में दीपक कुमार का बायोमेट्रिक सत्यापन कराया, तो वह सत्यापन में फेल हो गया। इसके बाद मई माह में उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई। मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा गया है। भावसार ने बताया कि एसपीएम की भर्ती प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी है।
भाई गलत नहीं, खुद इस्तीफा देकर आया
वहीं आरोपी दीपक कुमार के परिवार ने उसके बचाव में कहा है कि वह गलत नहीं है। दैनिक भास्कर से फोन पर बातचीत में दीपक के भाई ने सवाल उठाया कि अगर वह गलत था तो एक साल तक काम करने कैसे दिया गया।
भाई ने कहा कि एसपीएम में अंदर-बाहर जाने पर बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगती थी। मेरा भाई करीब एक साल तक थम लगाता रहा, तब उसे क्यों नहीं पकड़ा गया। उन्होंने दावा किया कि दीपक स्वयं इस्तीफा देकर नौकरी छोड़कर आया है।

थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
किसी और ने दी परीक्षा, कोई और कर रहा था नौकरी
कोतवाली थाना प्रभारी सौरभ पांडे ने बताया कि एसपीएम से प्राप्त पत्र के अनुसार, डेढ़ साल पहले स्टोर मैनेजर पद पर आईबीपीएस के माध्यम से हुई नियुक्ति में गड़बड़ी सामने आई है। परीक्षा किसी और ने दी थी, जबकि नौकरी कोई दूसरा व्यक्ति कर रहा था।
टीआई ने बताया कि पुलिस को एसपीएम की आंतरिक जांच रिपोर्ट मिल गई है और कुछ जिम्मेदार अधिकारियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। थाना प्रभारी ने बताया कि आवेदन पत्र की जांच की जा रही है। आईबीपीएस से परीक्षा, इंटरव्यू और वेरिफिकेशन संबंधी जानकारी मिलने के बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
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