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भारतीय सेना के लिए स्वदेशी QRSAM मिसाइल सिस्टम तैयार.

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QRSAM ARMY AIR DEFENCE: भारतीय सेना के एयर डिफेंस सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत का परिचय दिया. एक भी पाकिस्तानी अटैक को सफल नहीं होने दिया. अब आने वाले दिनों में भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो…और पढ़ें

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सेना के लिए QRSAM की होगी खरीद

हाइलाइट्स

  • भारतीय सेना को QRSAM एयर डिफेंस सिस्टम मिलेगा.
  • QRSAM की रेंज 30 किलोमीटर तक है.
  • QRSAM दुश्मन के एरियल अटैक को रोकने में सक्षम है.
QRSAM ARMY AIR DEFENCE: पहले के समय में तकनीक इतनी विकसित नहीं थी, लिहाजा उस समय के हिसाब से खतरे भी होते थे और उनसे निपटने के हथियार भी. समय के साथ साथ खतरे भी बढ़े है और उनसे निपटने के लिए हथियार की तकनीक भी. भारतीय सेना के पास शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग रेंज मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम हैं, जो भारतीय सीमा तक आने वाले किसी भी दुश्मन के एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन को आसानी से एंगेज कर सकते हैं. इस एयर डिफेंस सिस्टम की फैमिली में एक और मेंबर शामिल होने वाला है. इसकी मंजूरी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली DAC ने दे दी है. इस प्रोजेक्ट की कुल कीमत 33,000 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है. सेना के लिए स्वदेशी QRSAM यानी क्विक रेस्पॉन्स सर्फेस टू एयर मिसाइल तैयार है.

ग्राउंड अटैक में सुरक्षा देगा
QRSAM की खास बात यह है कि यह एक ट्रैक्ड मोबाइल सिस्टम है. इनका इस्तेमाल आम तौर पर दुश्मन के इलाके में ग्राउंड अटैक खास तौर पर टैंक के मूवमेंट के दौरान होता है. जब भी दुश्मन के इलाके में भारतीय टैंक दाखिल होंगे तो यह मैकेनाइज्ड भी साथ मूव करेंगे. कोई भी दुश्मन का एरियल अटैक होगा तो इन्हीं एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए उन्हें रोका जाएगा. भारतीय सेना के रूसी डिफेंस सिस्टम डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है. इसके मिसाइल और रडार स्वदेशी कंपनी BEL तैयार कर रही है और वाहन प्लेटफॉर्म को BDL बना रहा है. भारतीय सेना फिलहाल 3 रेजिमेंट खरीदने का प्लान कर रही है. इसकी रेंज की बात करें तो यह 30 किलोमीटर तक किसी भी दुश्मन के फाइटर, अटैक हेलिकॉप्टर, प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन और अन्य एरियल वेहिकल के अटैक को रोकने की क्षमता रखता है. एक लॉन्चर में 6 मिसाइल ट्यूब होगी जो 8X8 ट्रक के ऊपर माउंट है. यह 6 सर्फेस टू एयर मिसाइल 6 अलग-अलग टार्गेट को एंगेज कर सकती है. इसमें खास तौर पर इलेक्ट्रॉनिक काउंटर मेजर तकनीक से लैस है, जिससे इसे जाम नहीं किया जा सकता है. इसके सभी ट्रायल सफल हो चुके हैं.

पुराने एयर डिफेंस की जगह लेगा
भारतीय थल सेना के एयर डिफेंस सिस्टम में वाहन आधारित एयर डिफेंस सिस्टम रूसी है और यह कई दशकों पहले खरीदा गया था. इनमें शिल्का, तंगुष्का, स्ट्रेला-10M, ओसा AK और पिचौरा शामिल हैं. इनकी जगह स्वदेशी QRSAM लेंगे. पिचौरा को मोबाइल या स्टेशनरी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. एयर डिफेंस सिस्टम भी अब पुराने हो चले हैं. इनकी जगह धीरे-धीरे आकाश मिसाइल एयर डिफेंस सिस्टम ले रही है. लेकिन आकाश मिसाइल स्टेशनरी है जबकि बाकी सब मोबाइल हैं.

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