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रायसेन जिले के प्रभारी मंत्री नारायण सिंह पंवार ने शिक्षा विभाग में तबादलों की जो सूची मंजूर की थी, उसे जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) डीडी रजक ने रोक दिया। डीईओ अपने 23 पसंदीदा नाम शामिल करवाना चाहते थे। जब ये नाम स्वीकृत नहीं हुए, तो उन्होंने जानबूझकर सूची पोर्टल पर अपलोड नहीं की।
मंत्री ने 13 जून को 236 प्राथमिक शिक्षकों की तबादला सूची मंजूर कर दी थी। डीईओ ने 14 जून की रात 12 बजे तक पोर्टल पर एक भी नाम अपलोड नहीं किया। इसी रात पोर्टल बंद हो गया और सभी तबादले अटक गए। ओएसडी के मुताबिक, 13 जून को सूची मिलने के बाद डीईओ ने उसे अपलोड नहीं किया।
उल्टा 14 जून को वे फिर से 23 नए नामों की अलग सूची लेकर मंत्री निवास पहुंच गए। मंत्री ने साफ कहा कि पहले पुरानी सूची पोर्टल पर चढ़ाओ, फिर नए नामों पर विचार करेंगे। शाम से रात 12 बजे तक मंत्री स्टाफ ने डीईओ, क्लर्क सुनील सक्सेना और ऑपरेटर महेंद्र नाथ बोध को 10 बार फोन किया, पर किसी ने कॉल रिसीव नहीं की।
डीईओ और प्रभारी मंत्री के ओएसडी के तर्क, भास्कर ने बताई हकीकत
1- मंत्री ने 13 जून को दी सूची, भास्कर के पास पावती {डीईओ: प्रभारी मंत्री कार्यालय से तबादले की फाइल नहीं दी, पेन ड्राइव भी रख ली गई। {मंत्री कार्यालय: डीईओ कार्यालय के लेखापाल शिवनारायण अहिरवार को 13 जून को सूची दे दी थी। {हकीकत- प्रभारी मंत्री के दफ्तर से जो पावती मिली है, उसमें 13 जून को ही डीईओ ऑफिस के लेखापाल ने तबादलों की रिसीव ली। 2- जिनके कोड थे, उनमें से भी एक भी नाम की एंट्री नहीं: {डीईओ: तबादला सूची में स्कूलों के कोड नहीं थे। ऐसे में कैसे पोर्टल पर एंट्री करते। {मंत्री कार्यालय: जिन प्राथमिक शिक्षकों के कोड थे, उनके नाम भी अपलोड नहीं हुए। हकीकत: जिन स्कूलों के कोड दिए थे, कम से कम उन शिक्षकों के नाम तो अपलोड करने थे। 3-अन्य विभागों ने असहमति वाले नाम अपलोड: डीईओ: तबादला सूची में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नाम भी थे। इनके तबादले के अधिकार प्रभारी मंत्री को नहीं थे। {मंत्री कार्यालय: असहमति वाले नाम हटाकर सूची अपलोड करनी थी, जैसा अन्य विभागों में किया है। {हकीकत: राजस्व, पंचायत, स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों ने असहमति वाले नाम छोड़कर अन्य नाम समय पर अपलोड कर दिए। 4- जनप्रतिनिधियों ने जिनकी सिफारिश की, डीईओ को उनके स्कूल तय करने होते हैं: {डीईओ: कई शिक्षकों का तबादला अन्यत्र होना था, लेकिन स्कूलों के नाम ही नहीं मिले। {मंत्री कार्यालय: जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तावित शिक्षकों काे वर्तमान पदस्थापना वाले स्थान से हटाना था। उन्हें कहां भेजना है, यह डीईओ को तय करना था। डीईओ की मंशा ही नहीं थी। {हकीकत: जिन शिक्षकों को अन्यत्र भेजना होता है, उनके स्कूल का चयन डीईओ को ही करना होता है।
डीईओ की कार्यप्रणाली को लेकर सीएम को चिट्ठी डीईओ की लापरवाही की वजह से तबादले अटके। समय पर सूची उपलब्ध कराई थी। मैंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। नारायण सिंह पंवार, प्रभारी मंत्री
डीईओ की कार्यप्रणाली को लेकर सीएम को चिट्ठी डीईओ की लापरवाही की वजह से तबादले अटके। समय पर सूची उपलब्ध कराई थी। मैंने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी है। नारायण सिंह पंवार, प्रभारी मंत्री
डीईओ झूठ बोल रहे, सूची देने की पावती हमारे पास है: हमारे कार्यालय से 13 जून को सूची डीईओ को दे दी गई थी। इसकी पावती भी हमारे पास है। -अभिषेक चौरासिया, ओएसडी, प्रभारी मंत्री, रायसेन
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