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Success Story: रायबरेली के विवेक कुमार निजी कंपनी में सुपरवाइजर के पद पर नौकरी कर रहे थे, फिर उन्होंने नौकरी छोड़ अपने गांव में मुर्गी पालन का काम शुरू किया. आज वह सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं.
सौरभ वर्मा/रायबरेली : सरकारी नौकरी ही अच्छी आय का साधन नहीं होती है. यह कहना है रायबरेली के रहने वाले विवेक कुमार का, जिन्होंने अपनी मेहनत के बल पर वह मुकाम हासिल किया. जिसकी लोग आज तारीफ कर रहे हैं. दरअसल, रायबरेली जिले के कस्बा शिवगढ़ के रहने वाले विवेक कुमार लखनऊ की एक प्लाईवुड फैक्ट्री में बतौर सुपरवाइजर कार्यरत थे. लेकिन उसमें उनका मन नहीं लग रहा था. फिर उन्होंने सोचा क्यों न वापस घर चला जाए और स्वयं का स्वरोजगार शुरू किया जाए. इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए वह वापस अपने गांव आ गए और यहां पर उन्होंने पशु पालन विभाग से मुर्गी पालन के बारे में जानकारी हासिल की. पशुपालन विभाग से मुर्गी पालन के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद उन्होंने अपने पुश्तैनी जमीन पर मुर्गी फार्म बनाकर मुर्गी पालन का काम शुरू कर दिया. अब वह इससे अच्छी कमाई करने के साथ ही कई अन्य लोगों को गांव में ही रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं.
लोकल 18 से बात करते हुए विवेक कुमार बताते हैं कि दूसरों की नौकरी करने से अच्छा अपना स्वयं का स्वरोजगार है. इसमें किसी के अधीनस्थ काम नहीं करना पड़ता है. आप स्वयं के मालिक होते हैं. आगे की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वह देसी और फार्मी दोनों प्रकार की मुर्गियों का पालन करते हैं. फॉर्म को तैयार करने से लेकर चूजे लाने तक लगभग ढाई से तीन रुपए का खर्च आता है. तो वहीं चूज़े तैयार होने के बाद सालभर में 6 से 7 लाख रुपए की आसानी से कमाई हो जाती है.
विवेक कुमार बताते हैं कि मुर्गियों को बिक्री के लिए कहीं बाहर लेकर नहीं जाना पड़ता है मोबाइल फोन से ही ऑनलाइन माध्यम से इनकी बिक्री हो जाती है. व्यापारी फॉर्म से ही मुर्गियां खरीद कर ले जाते हैं, जिससे आने-जाने का खर्च तो बचता ही है. समय की भी बचत हो जाती है. वह बताते हैं कि वह आधा एकड़ जमीन पर मुर्गी फार्म बनाकर मुर्गी पालन का काम कर रहे हैं.
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