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Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मियां चरम पर हैं. तमाम दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं और जीत के दावे कर रहे हैं. लेकिन कुछ दल अपनी अहमियत साबित करने और गठबंधन में शामिल होने की कोशिश…और पढ़ें
बिहार में मुस्लिम मतों के बिखराव रोकने की कोशिश में असदुद्दीन ओवैसी.
पटना. बिहार में दो प्रमुख गठबंधन-एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. इसे त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी भी सक्रिय है. वहीं, मुस्लिम वोटरों में खासकर सीमांचल में अपनी पकड़ दिखा चुकी AIMIM भी महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जता रही है, लेकिन बात अभी तक नहीं बनी है. AIMIM लगातार प्रयासरत है और जल्द निर्णय की मांग कर रही है. इसके बयानों में सुझाव के साथ चेतावनी भी शामिल है.
महागठबंधन ने AIMIM को नहीं लिया तो…
AIMIM का यह ऑफर और चेतावनी महागठबंधन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? दरअसल, बिहार में लगभग 18% मुस्लिम वोटर हैं, जो कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। AIMIM, जनसुराज, BSP, जेडीयू और लोजपा जैसी पार्टियों की इन क्षेत्रों में पैठ है.अगर महागठबंधन ने AIMIM को नहीं लिया तो यह पार्टी सीमांचल में बड़ा झटका दे सकती है.
महागठबंधन को कौन पहुंचाएगा नुकसान?
जेडीयू और जनसुराज की पैनी नजर
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि बिहार में महागठबंधन के दल कितने मुस्लिम उम्मीदवार उतारते हैं, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. अगर संख्या ठीक ठाक रही तब तो ठीक है, लेकिन अगर मुस्लिम मतदाता को मनमाफिक नहीं लगे तो जेडीयू और जनसुराज इस बात को भुना सकता है. जाहिर है ऐसे में AIMIM इसमें आग में घी डालने का काम कर सकता है जो महागठबंधन के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट…और पढ़ें
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