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नई दिल्ली: 2006 की गर्मियों में, चंडीगढ़ में एक खामोश दोपहर अचानक गोलियों की आवाज से दहल उठी. प्राभजिंदर सिंह उर्फ डिम्पी, पंजाब का गैंगस्टर सरेआम मार दिया गया. यहीं से शुरू हुआ वह खूनी सिलसिला जिसने पंजाब की मिट्टी को अपराध के दलदल में झोंक दिया. डिम्पी का कातिल था रॉकी, फाजिल्का का एक नौजवान गैंगस्टर, जिसने दो साल बाद गिरफ्तारी दी. लेकिन कहानी वहीं खत्म नहीं हुई. रॉकी, जयपाल भुल्लर, विक्की गोंडर और शेरा खुब्बन जैसे गैंगस्टरों का कभी दोस्त रहा, लेकिन जल्द ही यह दोस्तियां दुश्मनी में बदल गईं. 2012 में फिर चली गोलियां. गैंगस्टर अमनदीप सिंह उर्फ हैप्पी देओरा को शेरा खुब्बन ने मौत के घाट उतार दिया. हैप्पी की नजदीकी अकाली नेता सुखदीप सेखों से थी, जो एक साल बाद खुद गोली का शिकार बन गया.
2013 में, गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक वार्ड में चमकौर सिंह ने अपने दुश्मन रंजीत सिंह को गोली मार दी. जवाबी कार्रवाई में रंजीत के गुर्गों ने चमकौर के भाई और भतीजे की हत्या कर दी. बदले की इस आग में चमकौर भी लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ गया.
2015 में एक और खौफनाक घटना हुई. सुक्खा काहलवां को पुलिस कस्टडी में ही गोली मार दी गई. विक्की गोंडर ने इसकी जिम्मेदारी ली, कहा, ‘ये मेरे दोस्त लवली बाबा की मौत का बदला था.’ इस हत्याकांड में इस्तेमाल की गई गाड़ी इंस्पेक्टर इंदरजीत के पास से मिली, जो खुद बाद में ड्रग्स केस में गिरफ्तार हुआ.
2016 में कांग्रेस नेता और छात्रसंघ अध्यक्ष रवि ख्वाजके की हत्या हुई. दावा किया गया कि बंबीहा गैंग ने यह हत्या 2014 में हुए एक और मर्डर का बदला लेने के लिए की थी. इसी साल अप्रैल में रॉकी की हत्या हो गई. एक बार फिर बिश्नोई गैंग और गोंडर गैंग आमने-सामने थे.
2018 तक गैंगवार ने सार्वजनिक जगहों को अपना मैदान बना लिया था. जिम में, मॉल के बाहर, कैफे के कोनों में… गोलियों की गूंज आम हो गई. अक्टूबर 2020 में गोल्डी ब्रार के कजिन गुरलाल ब्रार को चंडीगढ़ के एक मॉल के सामने मार दिया गया. दो हफ्ते बाद एनएसयूआई नेता रंजीत सिंह राणा को भी सरेआम गोली मार दी गई.
29 मई 2022 को जब पंजाब के स्टार सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या हुई, तो पूरा देश चौंक गया. बिश्नोई गैंग ने दावा किया कि यह यूथ अकाली दल नेता विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या का बदला था, जिसे बंबीहा गैंग ने मारा था.
2023 में बिश्नोई और भगवानपुरिया गैंग के बीच टकराव ने एक बार फिर हिंसा की आग भड़काई. दोपहर के उजाले में गोलियां चलीं, और कई बदमाश मारे गए. 2025 की शुरुआत में ही सरपंच सोनू चीमा को सैलून में बैठकर शेविंग करवाते वक्त मार दिया गया.
गुरदासपुर के भगवानपुर गांव से निकला जग्गू कभी कबड्डी का उभरता सितारा था. आज वह पंजाब का ‘एक्सटॉर्शन किंग’ है. हत्या, ड्रग्स, हथियार तस्करी… 128 से ज़्यादा केस उसके खिलाफ दर्ज हैं. उसके नेटवर्क पाकिस्तान से कनाडा तक फैले हैं. 2025 में उसे बठिंडा से सिलचर (असम) की हाई-सिक्योरिटी जेल में ट्रांसफर किया गया. बिश्नोई-गोल्डी बराड़ से उसका नाता टूट गया, जब उन्होंने उस पर मूसेवाला के शूटरों की जानकारी लीक करने का आरोप लगाया.
राज्य ने भी गैंगस्टरों पर सख्त रुख अपनाया. 2012 में शेरा खुब्बन को एनकाउंटर में मार गिराया गया. 2016 में हरियाणा के कन्नू छिक्कारा को गोली मारी गई. 2018 में विक्की गोंडर और प्रेमा लहोरिया को OCU ने ढेर किया. 2019 में गैंगस्टर जगसीर सिरा को हरियाणा पुलिस ने मारा.
इस गैंगवॉर की सबसे खतरनाक बात है इसका ‘कल्ट कल्चर’, जहां अपराधी हीरो बन जाते हैं. सोशल मीडिया पर उनके फैन पेज चलते हैं. राजनीतिक नेताओं के साथ उनके फोटो वायरल होते हैं. कई गैंगस्टर तो छात्र राजनीति और पंचायती राजनीति से ऊपर उठे हैं, जो अब करोड़ों के नेटवर्क चला रहे हैं.
पुलिस की सख्ती और एनकाउंटर के बावजूद, गैंगवॉर रुकने का नाम नहीं ले रहा. राजनीतिक शह, सोशल मीडिया की ग्लोरी, और जेलों से संचालित गैंग सिस्टम इसे और भी खतरनाक बना रहा है.
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