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Mp Samvad: It Is Our Duty To Convey The Sacrifices Of Brave Women Like Rani Durgavati Cm Mohan Yadav Said – Amar Ujala Hindi News Live

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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विरासत से विकास अभियान के अंतर्गत हम रानी दुर्गावती जैसे महानायकों की गौरवगाथा को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। रानी दुर्गावती गोंडवाना की पराक्रमी रानी थीं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और नेतृत्व से इतिहास रचा।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हमारे लिए थोड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि रानी लक्ष्मीबाई को सुभद्राकुमारी चौहान जैसी महान कवयित्री मिल गईं, जिन्होंने “ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” जैसी कालजयी पंक्तियों के माध्यम से उनकी वीरता को अमर कर दिया। लेकिन रानी दुर्गावती को वैसा कवि-प्रकाश नहीं मिल पाया, जिसकी वे वास्तव में हकदार थीं। इसी कारण, उनके जीवन के कई प्रेरणादायक पहलू आज भी अंधकार में दबे हुए हैं।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में 52 युद्ध लड़े, जिनमें से 51 में विजय प्राप्त की। उन्होंने न केवल अकबर जैसे शक्तिशाली मुगल सम्राट की सेना का सामना किया, बल्कि कई बार उसे परास्त भी किया। वह केवल एक योद्धा नहीं थीं, बल्कि कला, संस्कृति, और जनकल्याण के क्षेत्र में भी उनका योगदान अतुलनीय रहा।

मुख्यमंत्री ने उनके अंतिम युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि जब 52वां युद्ध आया, तब रानी ने चेताया था कि रात में भी युद्ध के लिए तैयार रहो। लेकिन कुछ दरबारी चाटुकारों ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि ‘आप तो साक्षात दुर्गा हैं, आप सब संभाल लेंगी।’ रानी ने समझाया कि यह युद्ध सामान्य नहीं है, क्योंकि अकबर पहली बार तोपों का प्रयोग कर रहा है।

तोपों की गर्जना से रानी के हाथी और घोड़े बेकाबू हो गए। युद्ध में रानी को एक तीर आंख में और एक पेट में लगा। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उन्होंने आत्मसमर्पण से इनकार किया। उन्होंने पहले ही अपने विश्वस्त सैनिक को एक खंजर सौंप दिया था और आदेश दिया था कि यदि युद्ध की दिशा विपरीत हो जाए तो उन्हें मुगलों के हाथ न लगने दिया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब सैनिक ने खंजर चलाने से इनकार किया और रोते हुए उनके चरणों में गिर पड़ा, तब रानी दुर्गावती ने स्वाभिमान की मिसाल पेश करते हुए स्वयं अपने सीने में खंजर घोंपा और ‘भारत माता की जय’ कहते हुए वीरगति को प्राप्त हुईं। मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि आज रानी दुर्गावती जैसी वीरांगनाओं के त्याग, शौर्य और बलिदान को जनमानस तक पहुंचाना हम सबका दायित्व है।

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