[ad_1]
नई दिल्ली. मुंबई की तंग गलियों में दूध और स्टेशनरी का सामान बेचने वाले एक किशोर की कहानी आज दुनिया भर में प्रेरणा का स्रोत है. यह कहानी है रिजवान साजन की. यह भारतीय मूल के यूएई के सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं, जिनकी नेट वर्थ करीब 18,000 करोड़ रुपये है. उन्होंने ने अपने दम पर डेन्यूब ग्रुप की स्थापना की, जो आज निर्माण सामग्री, रियल एस्टेट, और होम डेकोर के क्षेत्र में एक वैश्विक नाम है.
नहीं मानी हार
खाड़ी युद्ध और नई शुरुआत
कुवैत में आठ साल तक मेहनत करने के बाद रिजवान सेल्स मैनेजर बन गए, लेकिन 1990 में सद्दाम हुसैन के कुवैत पर हमले ने उनकी जिंदगी को फिर से पटरी से उतार दिया. खाड़ी युद्ध के कारण उनकी सारी बचत खत्म हो गई और वह खाली हाथ मुंबई लौट आए. लेकिन रिजवान का जज्बा कम नहीं हुआ. उन्होंने दुबई में एक ब्रोकरेज कंपनी में नौकरी शुरू की, जो बिल्डिंग मटेरियल के बिजनेस में थी. इस दौरान उन्होंने बाजार को समझा और 1993 में अपनी कंपनी डेन्यूब ग्रुप की नींव रखी.
एक साम्राज्य का उदय
प्रेरणा का स्रोत
55 वर्षीय रिजवान साजन की कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि बार-बार गिरकर उठने की है. मुंबई की झुग्गियों से दुबई के अरबपतियों की सूची में शामिल होने तक, उन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजवान की मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें यूएई के सबसे अमीर भारतीय बिजनेसमैन बनाया. उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं.
[ad_2]
Source link


