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इंडियन रेलवे केटरिंग एण्ड टूरिस्ट कॉर्पोरेशन (IRCTC) की भारत गौरव यात्रा में इंदौर के यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्हें केदारनाथ हेलिकॉप्टर सेवा के नाम पर गलत हेलीपैड पर छोड़ा गया और बगैर लिफ्ट की होटल में ठहराया गया। जिससे खासकर सीन
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आईआरसीटीसी ने 7 से 15 जून तक भारत गौरव यात्रा (केदारनाथ और बद्रीनाथ टूर) का आयोजन किया है। इंदौर निवासी सौरभ मिश्रा, उनके माता-पिता और नजदीकी रिश्तेदार इस यात्रा में केदारनाथ और बद्रीनाथ गए हैं। उन्होंने इस यात्रा को इसलिए चुना क्योंकि इसमें केदारनाथ के लिए हेलिकॉप्टर सेवा शामिल थी, जो सीनियर सिटीजन को अच्छी लगी।
सौरभ मिश्रा बताते हैं कि रानी कमलापति स्टेशन से 7 जून को शुरू हुई ट्रेन यात्रा आरामदायक रही और उसमें भोजन या स्वच्छता को लेकर कोई शिकायत नहीं रही। उसके बाद का अनुभव अत्यंत पीड़ादायक रहा। यात्री ने होटल व्यवस्था में लापरवाही बरतने और IRCTC के टूर मैनेजर अभय परिहार और भानु प्रकाश पर असंवेदनशील व्यवहार का आरोप लगाया। परिवार का कहना है कि ऋषिकेश में 8 जून को उन्हें अनंत इन होटल दिया गया। इसमें पार्किंग की व्यवस्था नहीं थी। इससे सीनियर सिटीजन को 300–500 मीटर तक सामान ले जाना पड़ा।
गैरिज में तैयार हुआ भोजन
आरोप है कि होटल लॉज जैसा था। इसमें गंदे कमरे, मैले बिस्तर, खराब एसी था। जो भोजन दिया गया वह एक गैरिज में तैयार किया था। होटल में पर्याप्त स्टाफ नहीं था और स्थानीय पुलिस बसों को हटाने के लिए दबाव बना रही थी। इससे काफी परेशानी झेलनी पड़ी।
भोजन डेढ़ किमी दूर ऊंचाई पर
रुद्रप्रयाग में होटल सूरि में हमें तीसरी मंजिल का कमरा दिया, जबकि पहले ही बताया गया था कि माता-पिता को घुटनों की समस्या और चलने में कठिनाई है और होटल में लिफ्ट नहीं थी। यहां भोजन की व्यवस्था होटल ज्वालपा इन (1.5 किमी दूर, ऊंचाई पर चढ़ाई) में की गई थी, जो वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुश्किलों भरा रहा।
पीड़ित यात्रियों का आरोप है कि 10 जून को बद्रीनाथ में वीआईपी दर्शन की सुविधा के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं दी गई। कुछ यात्रियों ने 2500 रुपए देकर वीआईपी प्रवेश लिया, जबकि हमें भ्रमित किया गया और सामान्य कतार में लगा दिया। मंदिर बंद होने के कारण दर्शन में देरी हुई। इसके साथ ही मैनेजर अभय परिहार ने दुर्व्यवहार किया।
हेलीपैड चालू ही नहीं था, 3 किमी पैदल चलना पड़ा
11 जून को केदारनाथ की यात्रा पर जाना था। रात 2 बजे रुद्रप्रयाग से रवाना किया गया। सभी को गलत हेलीपैड (केस्ट्रेल सिरसी) पर छोड़ दिया। यहां काफी देर तक कोई सहायता नहीं मिली। बाद में बताया कि वह हेलीपैड चालू ही नहीं था। समन्वय की कमी के कारण हमें तीन अलग-अलग हेलीपैड पर घुमाया। आखिरी में 3 किमी की चढ़ाई पैदल करनी पड़ी, क्योंकि कोई टैक्सी या बस नहीं थी। यात्रियों को ढाई हजार खर्च कर प्राइवेट टैक्सी लेनी पड़ी। देरी और मौसम के कारण हेलिकॉप्टर टिकट रद्द हो गया और केदारनाथ दर्शन नहीं कर पाए। दोपहर में सेवाएं फिर शुरू होने पर भी टिकट फिर से जारी नहीं किए गए।
अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग
इन यात्रियों ने इंदौर लौटने के बाद यात्रा के दौरान हुई मानसिक पीड़ा, आर्थिक नुकसान और अपमान की शिकायत IRCTC से की। उन्होंने लापरवाही और असंवेदनशील व्यवहार के लिए मैनेजर अभय परिहार और भानु प्रकाश के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। साथ ही अव्यवस्था के कारण खुद के खर्च हुए 4 हजार रुपए और सीनियर सिटीजन के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक तीर्थ यात्रा न कर पाने के कारण टूर पैकेज का 50% मुआवजा देने की मांग की है।
मामले में दैनिक भास्कर ने टूर मैनेजर अभय परिहार से पक्ष जाना तो उन्होंने कहा कि मौसम खराब होने के कारण केदारनाथ में सभी को परेशानी हुई थी। वीआईपी दर्शन पैकेज में नहीं है। हमारे द्वारा किसी के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया गया। सारे आरोप निराधार हैं। मैनेजर भानुप्रकाश चर्चा के लिए उपलब्ध नहीं हुए।
यात्रियों ने आईआरसीटीसी पर लगाए आरोप
- पैक्ड बिरयानी खराब और बदबूदार थी। अधिकांश यात्रियों ने इसे खाया ही नहीं।
- यात्री सतीश मिश्रा-उषा मिश्रा का कहना है कि 13-15 जून को सीतापुर-सोनप्रयाग में खुद के खर्चे से केदारनाथ दर्शन किए और 1 बजे सीतापुर से वापसी बस मांगी। इस दौरान 4 बजे तक बस नहीं आई, जिससे 3 घंटे सड़क पर बैठना पड़ा।
- होटल सूरि से बिना नींद या आराम के सुबह 7 बजे चेकआउट कराया गया। होटल ज्वालपा इन (नाश्ते की जगह) ले जाने के लिए बस नहीं दी गई। यात्रियों को 1 हजार रुपए में टैक्सी करनी पड़ी। यहां भी मैनेजर ने दुर्व्यवहार किया।
- यात्रियों को 14 जून की दोपहर तेज गर्मी में लक्ष्मण झूला पार्किंग में उतार दिया। उन्हें कहा कि रात 10 बजे तक इंतजार करें। बस में बैठने या स्टेशन पहुंचने की कोई सुविधा नहीं दी। इस पर 300 रुपए खर्च कर टैक्सी ली और स्टेशन के प्रतीक्षालय में इंतजार करना पड़ा।
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