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दो दिन पहले पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह अमेरिका ने बी2 स्टील्थ बांबर के जरिए ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बंकर बूस्टर बम गिराकर उन्हें तबाह कर दिया. इसके बाद ये स्टील्थ बांबर पूरी दुनिया में चर्चा में हैं. स्टील्थ विमान रडार की पकड़ में नहीं आते. हीट सेंसर से भी अदृश्य हो जाते हैं. इस विमान की डिजाइनिंग का खास भूमिका एक भारतीय इंजीनियर की थी, जिसने ये तकनीक चीन को बेच दी. अब वह अमेरिका में 31 साल की कैद की सजा काट रहा है.
अमेरिका के बी-2 स्टील्थ बांबर की डिजाइन और तकनीक के पीछे जो खास लोग थे, उसमें एक भारतीय इंजीनियर भी था. जिसका नाम नौशीर गोवाडिया है. वह अब अमेरिका के कोलोराडो के सुपरमैक्स जेल में सजा काट रहे हैं.
कौन हैं नौशीर गोवाडिया
फिर अमेरिका में शुरू हुआ स्टील्थ बांबर बी2 का प्रोजेक्ट
इसी समय अमेरिका और वियतनाम की लड़ाई हुई. अमेरिका के एयरफोर्स की तमाम खामियां इसमें उजागर हो गईं. इसमें अमेरिका के हजारों विमान मारे गए. लिहाजा अमेरिका अब एक ऐसा खास विमान बनाना चाहता था, जो रडार और सेंसर की पकड़ में आए ही नहीं बल्कि उनके सामने अदृश्य हो जाए. इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ. काम नॉथ्रोप को मिला.
नौशीर इस खास टीम के अहम शख्स थे
नौशीर इस खास टीम के अहम हिस्सा थे. उन्हें हाई सेक्योरिटी क्लीरेंस मिला हुआ था. उन्हें एडवांस एयरोस्पेस का दिग्गज माना जाता था. क्योंकि वह अलग लेबल पर सोचते और काम करते थे. इस दौरान उन्होंने बी-2 स्पिरिट बॉम्बर के लिए एक अनोखे प्रोपल्सन सिस्टम बनाने में बड़ी भूमिका निभाई.
फिर अपनी डिफेंस कंसल्टिंग कंपनी खोली
उन्होंने 1986 में ये कंपनी छोड़कर खुद की एयर डिफेंस कंसल्टिंग कंपनी खोल ली. इसी दौरान उन्हें एक दुर्लभ ब्लड डिसआर्डर भी हुआ. काम उनके पास आने लगा. लेकिन इसी बीच एक विवाद हुआ और उनकी कंपनी को मिलाकर एक बड़ा कांट्रैक्ट रद्द कर दिया गया. इससे उन्हें बहुत झटका लगा. उन्होंने इसी दौरान एक किलानुमा मकान खरीदा . इसके लिए उन्हें पैसों की जरूरत थी.
फिर वह चीन के प्रलोभन में फंस गए
ये हैं मुंबई में पैदा हुए पारसी जो अमेरिकी बी2 स्टील्थ बांबर बनाने वाली टीम के अहम सदस्य थे लेकिन फिर उन्होंने इसके सीक्रेट चीन को बेच दिए.
इस दौरान उन्होंने चीन को वो तकनीक लीक कर दी, जिस पर उन्होंने काम किया. साथ में शायद कुछ और तकनीक भी उन्हें बताई. इसके बदले जाहिर सी बात है कि उन्हें मोटा फायदा हुआ लेकिन अमेरिका के एफबीआई की नजर उन पर पड़ गई.
एफबीआई का फंदा कसा तो माना जासूसी की
बाद में गोवाडिया ने मान लिया कि उन्होंने चीन के लिए काम किया, उसे कुछ तकनीक दी है. अदालत में जासूसी और द्रेशद्रोह समेत करीब 32 मामलों में उन्हें दोषी पाया गया. इसके बाद उन्हें वर्ष 2011 में 31 साल की सजा दे दी गई. हालांकि उनका बेटा कहता है कि एफबीआई ने जानबूझकर उन्हें फांसा और फ्रेम किया है.
तो अब वैसा ही चीन भी उड़ाता मिलेगा
कोर्ट ने नौशीर को जिन अपराधों का दोषी माना, उसमें पहला है चीन को ऐसे क्रूज मिसाइल का डिजाइन देना जिससे कि चीन की मिसाइलें इन्फ्रारेड मिसाइलों के जरिए पकड़ी ना जा सकें. इसके अलावा उन्हें तीन बार गैरकानूनी रूप से सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारियों को चीन तक पहुंचाने और 2001 से 2002 के बीच गलत टैक्स रिटर्न भरने का दोषी माना गया. सबूतों से ये भी पता चला कि जुलाई 2003 से जुलाई 2005 के बीच गोवाडिया ने 6 बार चीन की यात्रा की. चीन को क्रूज मिसाइल तैयार करने में मदद की. गोवाड़िया को चीन की तरफ से कम से कम 11 लाख डॉलर की रकम दी गई.
हालांकि उन पर चीन के अलावा जर्मनी , इज़राइल और स्विटजरलैंड के लोगों भी गोपनीय जानकारी बेचने का आरोप लगाया गया.
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