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There is no crematorium in the village, relatives reached another village with the dead body | गांव में श्मशान नहीं, शव लेकर दूसरे गांव पहुंचे परिजन: मोबाइल टॉर्च और वाहनों की लाइट में किया अंतिम संस्कार, अशोकनगर विधायक भी पहुंचे – Ashoknagar News

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अशोकनगर जिले के कोलुआ गांव में मुक्तिधाम नहीं होने के कारण एक आदिवासी महिला के निधन के बाद परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए भारी परेशानी झेलनी पड़ी। रविवार रात परिजन बारिश में भीगते हुए शव लेकर तीन किलोमीटर दूर दूसरे गांव गए, जहां रात 10 बजे वाहनों की

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जानकारी के मुताबिक, रविवार शाम को सोमवती आदिवासी पति लालाराम आदिवासी (30) की तबीयत बिगड़ी थी। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। मूल रूप से गुना जिले के आरोन तहसील के जाखोदा गांव की रहने वाली सोमवती का शव परिजनों ने अशोकनगर के कोलुआ गांव लाने का निर्णय लिया, जहां उसकी बड़ी बहन रहती है।

कोलुआ गांव में मुक्तिधाम नहीं होने और रिमझिम बारिश जारी रहने के कारण परिजन शव को गांव में नहीं जला सके। लंबे इंतजार के बाद करीब 9 बजे यह तय किया गया कि शव को जमाखेड़ी गांव के श्मशान ले जाया जाएगा।

वाहनों की लाइट और मोबाइल की टॉर्च जलाकर अंतिम संस्कार किया गया।

वाहनों की लाइट और मोबाइल की टॉर्च जलाकर अंतिम संस्कार किया गया।

बारिश में ट्रॉली शव 3KM दूर ले गए परिजन एक ट्रॉली में शव लेकर तीन किलोमीटर दूर जमाखेड़ी गांव पहुंचे। यहां रात 10 बजे तक हल्की बारिश जारी रही। अंधेरे के बीच मोबाइल की टॉर्च और ट्रैक्टर-बाइक की लाइट की मदद से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई। आसपास कोई साफ-सुथरी जगह नहीं थी, फिर भी परिजन ने किसी तरह लकड़ियां सजाकर दाह संस्कार किया।

विधायक भी पहुंचे पैदल, टॉर्च से रास्ता देखा जानकारी मिलने पर अशोकनगर विधायक हरीबाबू राय भी मौके पर पहुंचे। अंधेरे और कीचड़भरे रास्ते के कारण उन्हें भी कुछ दूर पैदल चलना पड़ा। उन्होंने मोबाइल की टॉर्च जलाकर रास्ता तय किया।

सालभर पहले भी हुई थी ऐसी ही परेशानी स्थानीय लोगों ने बताया कि कोलुआ गांव में वर्षों से कोई श्मशान नहीं है। एक साल पहले भी एक व्यक्ति की मौत के बाद बारिश में अंतिम संस्कार नहीं हो पाया था, तब शव को तुलसी सरोवर स्थित मुक्तिधाम ले जाना पड़ा था। तब अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया था कि श्मशान बनाया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।

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