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Success Story: नासिक की 18 वर्षीय हर्षदा सिद्धे ने खिचिया पापड़ बेचकर कॉलेज के साथ अपना बिज़नेस शुरू किया है. शुरुआत में मुश्किलें आईं, लेकिन आज हर महीने ₹70,000 तक कमाती हैं.
खिचिया पापड़ बेचकर हजारों कमा रही हर्षदा
हाइलाइट्स
- हर्षदा ने कॉलेज के साथ खिचिया पापड़ का बिज़नेस शुरू किया.
- हर महीने 60-70 हजार रुपये कमाती हैं.
- नासिक में हर्षदा के पापड़ के लिए लाइन लगती है.
नासिक की 18 साल की हर्षदा सिद्धे ने यह साबित कर दिया है कि अगर कुछ कर गुजरने की ठान ली जाए, तो उम्र मायने नहीं रखती. कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ वह अब अपना खुद का बिज़नेस भी चला रही हैं. उन्होंने खिचिया पापड़ बेचने का स्टॉल लगाकर हर महीने 60 से 70 हजार रुपए तक की कमाई शुरू कर दी है.
हर्षदा जब बचपन में अपने माता-पिता के साथ मुंबई जाया करती थीं, तो वहां उन्होंने खिचिया पापड़ का स्वाद चखा. तभी से उनके मन में इस पापड़ को लेकर एक अलग ही लगाव बन गया था. उन्होंने सोचा कि नासिक में यह कुछ नया और अलग होगा. वहीं से खिचिया पापड़ बेचने का आइडिया उनके दिमाग में आया.
परिवार ने पहले रोका, फिर साथ दिया
जब हर्षदा ने यह विचार अपने घर में बताया, तो सबसे पहले जवाब मिला—“पहले पढ़ाई पर ध्यान दो”. लेकिन हर्षदा अपने फैसले पर अडिग रहीं. धीरे-धीरे परिवार को भी उनका जुनून समझ में आया और आज उनकी मां और पिता दोनों ही उनके इस स्टॉल में मदद करते हैं.
हर्षदा ने बताया कि जिस दिन उन्होंने अपना स्टॉल शुरू किया था, उस दिन एक भी ग्राहक नहीं आया. कुछ लोग पापड़ देखकर चले गए, जिससे घरवालों को भी थोड़ी नाराज़गी हुई. लेकिन हर्षदा ने हार नहीं मानी. धीरे-धीरे लोगों को उनके पापड़ पसंद आने लगे और अब उनकी दुकान पर लाइन लगती है.
नासिक वालों को खूब भा रहा है नया स्वाद
हर्षदा के स्टॉल पर अब रोज़ 50 से 60 पापड़ बिकते हैं. नासिक के कॉलेज रोड इलाके में हर शाम जब हर्षदा का स्टॉल सजता है, तो वहां भीड़ लग जाती है. शहर के लोगों को यह नया स्वाद खूब पसंद आ रहा है, खासकर क्योंकि खिचिया पापड़ अभी नासिक के लिए एक नया और अनोखा अनुभव है.
हर्षदा फिलहाल अपने स्टॉल पर दो तरह के खिचिया पापड़ बेचती हैं. मसाला पापड़ की कीमत 50 रुपये है, वहीं पनीर पापड़ 60 रुपये में मिलता है. ये पापड़ मकई और चावल से बनते हैं, जिन्हें गर्म कोयले पर भूनकर तैयार किया जाता है. इसके ऊपर मसाले, चटनी और प्याज के छिलके डालकर इसे और भी स्वादिष्ट बनाया जाता है.
हर्षदा ने बीएससी के पहले साल की पढ़ाई पूरी कर ली है और अब दूसरे साल में दाख़िला लेने वाली हैं. पढ़ाई के साथ बिज़नेस को बैलेंस करना आसान नहीं होता, लेकिन उन्होंने दोनों को संभालना बख़ूबी सीख लिया है. यही वजह है कि इतनी छोटी उम्र में उन्होंने खुद की एक पहचान बना ली है.
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