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अपना एयरबेस संभल नहीं रहा, और भारत से चाहिये F-35 पर पहरा… ब्रिटेन की बुजदिली तो देखिये

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कभी जिस ब्रिटिश सेना की तूती पूरी दुनिया में बोलती थी, आज वह किस हाल से गुजर रहा है. उसे हाल ही दो घटनाओं से समझा जा सकता है. एक ओर ब्रिटेन के सबसे बड़े एयरबेस RAF ब्राइज़ नॉर्टन में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी घुसकर दो सैन्य विमानों पर रंग पोत देते हैं, वहीं दूसरी ओर ब्रिटिश वायुसेना का सबसे आधुनिक F-35B स्टील्थ फाइटर जेट यहां केरल में खुले में धूप-बारिश झेल रहा है. भारत ने दरियादिली दिखाकर इसे अपनी सरजमीं पर लैंड करने की इजाजत दी और दोबारा उड़ान के लिए जरूरी ईंधन दिया और सुरक्षित रखने के लिए एयरपोर्ट पर हैंगर तक की पेशकश की, लेकिन ब्रिटेन है कि उसकी फरमाइशें ही खत्म नहीं हो रहीं.

20 जून को फिलिस्तीन एक्शन नामक एक समूह ने ऑक्सफ़ोर्डशायर स्थित रॉयल एयरफोर्स के ब्राइज़ नॉर्टन एयरबेस में घुसकर दो विमानों पर ‘विरोध का रंग’ पोत दिया. ये वही एयरबेस है, जहां से आरएएफ अकरोटिरी (मध्य पूर्व में ब्रिटेन का सबसे बड़ा बेस) के लिए ईंधन भरने वाले विमान उड़ते हैं.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टारमर ने इस हरकत को ‘शर्मनाक’ बताते हुए कार्रवाई की बात कही, लेकिन विपक्ष ने सवाल उठाया कि जब देश की सबसे सुरक्षित सैन्य स्थली ही असुरक्षित है, तो क्या F-35 जैसे संवेदनशील विमान को लेकर ब्रिटेन भरोसे के काबिल है?

F-35B सात दिन से भारत में अटका

इसी बीच, ब्रिटिश रॉयल नेवी का F-35B लाइटनिंग II फाइटर जेट 14 जून से केरल में अटका पड़ा है. इस फाइटर जेट ने HMS Prince of Wales एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरी थी, लेकिन ईंधन की कमी और मौसम खराब होने के चलते केरल के तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर आपात लैंडिंग करनी पड़ी.

हालांकि यह लैंडिंग पूर्व निर्धारित समझौते (Operation Highmast) के तहत वैध थी, लेकिन उसके बाद जो हुआ उसने ब्रिटिश पक्ष की ‘बुजदिली’ को उजागर कर दिया. भारतीय वायुसेना और स्थानीय प्रशासन ने ब्रिटिश टीम को F-35B को सुरक्षित हैंगर में रखने और यहां तक कि अस्थायी शेड बनाने की पेशकश की — लेकिन इसे ‘गोपनीय सैन्य तकनीक’ का हवाला देकर ठुकरा दिया गया.

नतीजा यह हुआ कि F-35B विमान खुले में टरमैक पर खड़ा है. ब्रिटिश फाइटर पायलट लगातार उस पर नजर रखे हुए हैं, परंतु बारिश और गर्मी की मार उसके पुर्जे ढीले कर रही है.

मरम्मत विफल, अब बड़ी टीम की उम्मीद

ब्रिटेन की एक तकनीकी टीम पहले ही विमान को दुरुस्त करने आ चुकी है, लेकिन हाइड्रोलिक सिस्टम में बड़ी गड़बड़ी के चलते वह प्रयास विफल रहा. अब 30 सदस्यों की एक बड़ी टीम अगले 48–72 घंटों में भारत पहुंचने वाली है. अगर फाइटर जेट उनसे भी ठीक नहीं हो सका, तो इसे विशेष ट्रांसपोर्ट विमान से ब्रिटेन वापस ले जाया जाएगा.

भारत ने न सिर्फ वायुसेना के IACCS सिस्टम के जरिये समय पर आपात लैंडिंग की मंजूरी दी, बल्कि ब्रिटिश पायलटों और तकनीकी टीम के लिए होटल, खाना, लॉजिस्टिक्स से लेकर ग्राउंड हैंडलिंग तक का इंतज़ाम भी किया. लेकिन इस ‘मेहमाननवाज़ी’ के बावजूद ब्रिटेन का रवैया अजीब है — सहयोग लेने में हिचक नहीं, पर भरोसा जताने में कंजूसी.

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