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मप्र विधानसभा के बजट सत्र में जिस अजीनोमोटो के इस्तेमाल करने और इसे प्रतिबंधित करने पर बहस हुई थी, वो दरअसल प्रतिबंधित ही नहीं है। फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया यानी एफएसएसआई ने इसे जीएमपी (गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस) की लिस्ट में रखा
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दरअसल, जबलपुर उत्तर के विधायक अभिलाष पांडे ने बजट सत्र के दौरान ये मामला विधानसभा में उठाया था। उन्होंने पूछा था कि अजीनोमोटो, फ्लेवर इन्ग्रेडिएंट्स और प्रिजर्वेटिव्स के इस्तेमाल को कम करने के लिए सरकार का क्या कदम उठा रही है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा था कि नियम बने हैं उसका पालन सख्ती से करवाएंगे।
इसके बाद खाद्य एवं औषधी प्रशासन विभाग ने पूरे प्रदेश से जंक फूड के सैंपल इकट्ठा किए। मई के आखिर में विभाग को ये रिपोर्ट सरकार को सब्मिट करना थी, लेकिन दो महीने गुजरने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। भास्कर ने जब अधिकारियों से पूछा तो वे बोले- यदि किसी खाद्य पदार्थ में ये मिलता भी है तो कार्रवाई नहीं कर सकते, क्योंकि ये बैन नहीं है।
साथ ही भास्कर को ये भी पता चला कि स्टेट फूड लेबोरेटरी के पास अजीनोमोटो की जांच करने की सुविधा ही नहीं है। इसके सैंपल जांच के लिए प्राइवेट लैब में भेजे जाते हैं। पढ़िए रिपोर्ट

पहले जानिए विधानसभा में कैसे हुई थी बहस? जबलपुर उत्तर के विधायक अभिलाष पांडे ने डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला से सवाल किया था कि प्रदेश में फास्ट फूड का चलन तेजी से बढ़ा है उसमें अजीनोमोटो,फ्लेवर इन्ग्रेडिएंट्स और प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जा रहे हैं जो सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। क्या इसे लेकर कोई गाइडलाइन जारी की गई है? यदि नहीं है तो क्या कोई अभियान चलाकर इस पर सख्ती की जाएगी।
इसके जवाब में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने कहा था कि ये संवेदनशील मामला है इसमें जरूर कार्रवाई की जाएगी। वहीं बीच में नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि- पिछले दिनों मैंने इंदौर के प्रमुख डॉक्टर्स की बैठक बुलाई थी कि लोगों को बहुत कम उम्र में हार्ट अटैक आ रहा है, कैंसर हो रहा है तो इस पर उन्होंने कहा कि लोगों को जंकफूड से बचना चाहिए।
कुछ ऐसे जंकफूड है जिनमें साल्ट, विनेगर्स डाले जाते हैं जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं खाए जाते हैं। मेरा मानना है कि इसे गंभीरता से लेकर सरकार सूचना जारी करवा दें कि जो भी इसका इस्तेमाल करेगा हम उसे पनिश करेंगे। कैलाश विजयवर्गीय की बातों का समर्थन पाटन से विधायक अजय विश्नोई ने भी किया था।

विधानसभा में मामला उठा तो विभाग ने लिए सैंपल 25 मार्च को विधानसभा में ये मुद्दा उठा था। इसके बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने प्रदेश भर में फास्ट फूड की जांच का अभियान चलाया। इंस्पेक्टर्स को फास्ट फूड के नमूने लेने के निर्देश दिए गए। एक से 25 अप्रैल के बीच प्रदेश भर से 55 सैंपल कलेक्ट किए। मई के महीने में स्टेट फूड लेबोरेटरी को जांच रिपोर्ट देना थी, मगर दो महीने बीत जाने पर भी रिपोर्ट जारी नहीं की।
विभाग के पास जांच करने की सुविधा ही नहीं है भास्कर ने जब अधिकारियों से पूछा कि दो महीने बाद भी रिपोर्ट जारी नहीं हुई तो पता चला कि स्टेट फूड लेबोरेटरी में अजीनोमोटो की जांच करने की सुविधा ही नहीं है। फूड एनालिस्ट कैलाश सिलावट ने बताया कि हमने सैंपल्स में ये देखा कि उसमें हानिकारक कलर तो नहीं मिलाए गए हैं, खराब क्वालिटी के तेल का इस्तेमाल तो नहीं किया गया। अजीनोमोटो उसमें है या नहीं इसकी जांच करने की सुविधा नहीं है।
अधिकारी बोले- अजीनोमोटो प्रतिबंधित नहीं दरअसल, फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया यानी एफएसएसआई ने इसे जीएमपी (गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिस) की लिस्ट में रखा। इसका मतलब ये है कि खाद्य पदार्थ बनाने वाला इसे अपनी समझ के अनुसार मिला सकता है। खाद्य एवं औषधी प्रशासन विभाग के अधिकारी डी के वर्मा कहते हैं एफएसएसआई ने जब इसे प्रतिबंधित नहीं किया है।
ये किसी फास्ट फूड में पाया भी जाएगा तो भी हम कार्रवाई नहीं कर पाएंगे। वर्मा ने कहा कि जो स्ट्रीट वेंडर्स इसका ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें समझाइश जरूर देंगे। उनसे पूछा कि जब जांच करने की सुविधा ही नहीं है तो कैसे पता चलेगा कि ज्यादा मात्रा में मिलाया गया है, तो वे इस सवाल का जवाब नहीं दे सके।

2016 में FSSI की तरफ से नूडल्स और पास्ता में अजीनोमोटो के इस्तेमाल को लेकर निर्देश जारी किए गए थे। कहा गया था कि पैकेट पर नो एमएसजी लिखना जरूरी है।
कैलाश विजयवर्गीय अजीनोमोटो के बैन पर बोले- देखेंगे भास्कर ने जब नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से इस मामले में बात की तो उन्होंने वो ही बात दोहराई जो विधानसभा में कही थी। विजयवर्गीय ने कहा- फास्ट फूड बेचने वाले उसमें ऐसे साल्ट मिला रहे हैं जो खाने योग्य नहीं है। हमें बच्चों की सेहत की चिंता है इसी कारण हमने यह मुद्दा उठाया।
विधानसभा में मामला उठने के बाद ही फूड डिपार्टमेंट ने कार्रवाई की है। जब भास्कर ने उन्हें बताया कि FSSI ने इसे बैन नहीं किया है, इसलिए खाद्य विभाग इस पर कार्रवाई नहीं कर सकता तो उन्होंने कहा- देखते हैं, हम बात करेंगे।

डॉक्टर ने कहा- ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल हानिकारक भोपाल के जेपी के सिविल सर्जन डॉ. राकेश श्रीवास्तव बताते हैं अजीनोमोटो यानी मोनोसोडियम ग्लूटामेट का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के लिए होता है। इसे लत लगाने वाला केमिकल भी कहते हैं। इसे अधिक मात्रा में डालना तो बहुत हानिकारक है, इसके अलावा फास्ट फूड अपने आप में बहुत नुकसान दायक हैं क्योंकि इससे भूख मरती है, मोटापा आता है।
इसे खाने वाले बैलेंस डाइट नहीं ले पाते जिससे कई बीमारियों की चपेट में आते हैं। इसकी शुरुआत जापान से हुई, फिर यह चीन में उपयोग होना शुरू हुआ इसके बाद दुनिया भर में फास्ट फूड में इसका इस्तेमाल होने लगा। इसके नुकसान पर लंबे समय से चर्चा चल रही है।

ब्रेन रिलीज करता है डोपामाइन सीनियर डाइटीशियन अमिता सिंह बताती हैं, अजीनोमोटो या मोनोसोडियम ग्लूटामेट के कारण ब्रेन से डोपामाइन ज्यादा रिलीज होता है। डोपामाइन एक न्यूरो ट्रांसमीटर है, जो मस्तिष्क में पाया जाता है और शरीर के कई कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे “खुशी का हार्मोन” भी कहा जाता है, क्योंकि यह प्रेरणा, आनंद, और इनाम की भावना से जुड़ा होता है।
डोपामाइन, तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेशों का संचार करता है, और मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करता है, जिससे गाड़ी चलाने, मनोदशा, ध्यान, और स्मृति जैसे कार्य प्रभावित होते हैं। अजीनोमोटो के ज्यादा सेवन से डोपामाइन रिलीज होने से हमें खुशी मिलती है। इस वजह से इसकी लत पड़ जाती है। मस्तिष्क को उसी स्वाद का खाना अच्छा लगता है। इससे मोटापे की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा इसमें सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है। जब शरीर में सोडियम ज्यादा होता है, तो ब्लड प्रेशर बढ़ता है। इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है।

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