[ad_1]

हरदा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन किसानों को बीजोपचार के बाद ही बुवाई करने की सलाह दी है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मुकेश बंकोलिया के अनुसार बीजोपचार फसल को शुरुआती अवस्था में रोग और कीटों से बचाता है।
.
जिले में करीब 1 लाख 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई होती है। किसान राजेश गुर्जर ने बताया कि अधिक बारिश में बीमारियों के प्रकोप से बचाव के लिए बीजोपचार आवश्यक है। इससे फसल में बीमारियों की संभावना कम होती है और उत्पादन बढ़ता है।
‘बचाव के लिए एफआईआर विधि अपनाएं’ वैज्ञानिकों ने एफआईआर विधि का उपयोग करने की सलाह दी है। इस विधि में फफूंदनाशक, कीटनाशक और राइजोबियम का प्रयोग किया जाता है। बीजोपचार के लिए एजोक्सीस्ट्रॉबिन 2.5 प्रतिशत, थायोफिनेट मिथाइल 11.25 प्रतिशत और थायोमेथाकजाम 25 प्रतिशत एफ.एस. 10 मिली प्रति किलोग्राम बीज का उपयोग करें। इसके बाद जैविक कल्चर ब्रैडी राइजोबियम और पीएसएम से उपचार करें। दोनों की मात्रा 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज रखनी चाहिए।
[ad_2]
Source link

