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अमरेली जिले की महिलाएं अब सिर्फ घर की जिम्मेदारी नहीं निभा रहीं, बल्कि अपने ही आंगन से अपनी एक अलग पहचान भी बना रही हैं. घर से शुरू हुए छोटे-छोटे उद्योग आज उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं. किसी ऑफिस या दुकान की जरूरत नहीं, बल्कि वे अपने घर के किचन और आंगन को ही मिनी फैक्ट्री में बदल चुकी हैं.
अमरेली की हिमाक्षीबेन कंकरेचा और अंजनीबेन पंड्या ने मिलकर जो गृह उद्योग शुरू किया, वह आज कामयाबी की मिसाल बन गया है. 35 साल की हिमाक्षीबेन ने 12वीं तक पढ़ाई की है और पिता से प्रेरणा लेकर पारंपरिक गुजराती नमकीन जैसे खाखरा, फाफड़ा, चकरी, दाबेला चना और फारसी पूरी बनाना शुरू किया. शुरुआत में छोटी मात्रा में बनी चीजें आज बड़े शहरों तक पहुंच रही हैं.
घर में ही बना रोजगार का ठिकाना
इस गृह उद्योग से आज उन्हें हर महीने लगभग 3 लाख रुपये की कमाई होती है. खुद का 20 हजार मुनाफा अलग और 15 महिलाओं को रोज़गार भी मिल रहा है. हर महिला को रोज़ 300 रुपये मिलते हैं. इस आमदनी ने महिलाओं में आत्मविश्वास और हौसले को नई उड़ान दी है. अब वे सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपने कारोबार की मालकिन हैं.
36 साल की अंजनीबेन पंड्या, जो ग्रेजुएट हैं, हिमाक्षीबेन की दोस्त भी हैं और बिजनेस पार्टनर भी. दोनों मिलकर मौसमी अचार और तरह-तरह के नमकीन बनाती हैं, जो अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, मुंबई, राजकोट और जामनगर जैसे शहरों में भेजे जाते हैं. वे सोशल मीडिया और फोन के जरिये ऑर्डर लेती हैं और समय पर डिलीवरी भी करती हैं. ये महिलाएं प्रदर्शनी और मेलों में भी हिस्सा लेकर अपने उत्पादों की मार्केटिंग करती हैं.
30 साल का अनुभव बना ताकत
इन दोनों बहनों ने 30 साल पहले इस काम की शुरुआत की थी. तब से लेकर आज तक उन्होंने लगातार नई चीजें सीखीं, ट्राय कीं और उन्हें बाजार तक पहुंचाया. चाहे नया स्वाद हो या ग्राहकों की जरूरत के मुताबिक बदलाव, वे हमेशा तैयार रहती हैं. यही वजह है कि उनका छोटा सा गृह उद्योग अब एक बड़ा नाम बन चुका है.
घर बैठे शुरू करें, सपना साकार करें
इस उद्योग की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यह घर से ही शुरू हो सकता है. न ज्यादा पूंजी की जरूरत, न ही किसी बड़ी जगह की. महिलाएं आराम से परिवार और काम में संतुलन बनाकर काम कर सकती हैं. इसी मॉडल ने कई और महिलाओं को प्रेरित किया है.
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