[ad_1]
सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ को सम्मानित किया।
भोपाल में स्थित कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में ‘ग्रामीण रंग पर्यटन संग’ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निवाड़ी कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ को सम्मानित किया है। यह सम्मान उन्हें ग्रामीण होम-स्टे निर्माण और पर्यटन विकास के ल
.
दरअसल, जिले में लाड़पुरा खास, राधापुर और बागन गांवों में होम-स्टे स्थापित किए गए हैं। ये होम-स्टे पर्यटकों को बुंदेली संस्कृति, लोकजीवन और पारंपरिक व्यंजनों का अनूठा अनुभव प्रदान करते हैं।
‘बेस्ट होमस्टे’ श्रेणी में लाड़पुरा की महुआ होम-स्टे संचालिका उमा पाठक को प्रथम पुरस्कार मिला। राधापुर की कमला होम-स्टे संचालिका कमला कुशवाहा को द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। इन महिलाओं ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा किया है।
महुआ हिल्स होमस्टे की संचालिका उमा पाठक के अनुसार, उनके होम-स्टे में सर्वाधिक पर्यटक ठहरे हैं। पर्यटकों ने प्राकृतिक सौंदर्य और बेहतर सुविधाओं के लिए सराहनीय प्रतिक्रियाएं दी हैं। उन्होंने होम-स्टे को और बेहतर बनाने का संकल्प लिया है।

पर्यटक लेते है बुंदेली संस्कृति का आनंद
ओरछा के पास स्थित लाडपुरा गांव ने विश्व पर्यटन के मानचित्र में अपनी जगह बना ली है। यहां शानदार होम स्टे बनाए गए हैं, जिसमें गांव का दृश्य दिखता है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक यहां रुकते हैं और प्रकृति के साथ-साथ बुंदेली संस्कृति का आनंद लेते हैं। 4 वर्ष पूर्व पर्यटन विभाग के सहयोग से स्थानीय लोगों ने होम स्टे कार्य प्रारंभ किया था। शुरुआती दौर में यहां 3 होम स्टे हुआ करते थे, लेकिन आज इनकी संख्या बढ़कर करीब 14 हो गई है।

गांव जैसा दिखने के लिए गांव में कमरे बनाए जाते हैं
बुंदेलखंड के गांव जैसा माहौल बनाने के लिए गांव में ही इन कमरों को बनाया गया है। कमरे की छत पर मिट्टी का खपरैल लगाया गया है। कमरों के बाहर गाय के गोबर से लीपा जाता है। यहां कमरों के आसपास स्थित खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर सैलानी ग्रामीण परिवेश का पूरा लुत्फ लेते हैं।
होम स्टे संचालिका सीमा कुशवाहा बतातीं हैं कि इन कमरों की बनावट कुछ ऐसी है कि मौसम कोई भी हो, सर्दी हो या गर्मी, कमरे में इसका असर नहीं होता है। कमरे के अंदर एक बेड रहता है, इसके साथ ही कमरे की छत किसी ग्रामीण क्षेत्र में होने का एहसास देती है। यहां आने वाले सैलानी अपने इन पलों को हमेशा याद रखते हैं और वे अपने परिवार और मित्रों को भी यहां आने की सलाह देते हैं।

निवाड़ी में होम स्टे बनकर तैयार हुआ।
सैलानियों को परोसे जाते नाश्ते
सैलानियों के होम स्टे में रुकने के दौरान यहां उन्हें सुबह का नाश्ता और दोपहर व रात को बुंदेली भोजन परोसा जाता है, जिसमें कड़ी, चावल रोटी, चीला, पत्थर के सिलबट्टे की चटनी, मट्ठे का रायता, बेसन का मेड़ा, दाल, बैंगन का भर्ता और गुलगुला समेत अन्य प्रकार के बुंदेली भोजन शामिल होते हैं।
होम स्टे संचालिका सीमा बताती हैं कि देश के कोने-कोने से आए लोग यहां ग्रामीण परिवेश में रहकर बड़े प्रसन्नचित्त होते हैं। रसोई में बुंदेली भोजन बनाते समय कई सैलानी रसोई में उनका सहयोग भी करते हैं, जिसमें सैलानियों को बड़ा आनंद आता है।
[ad_2]
Source link



