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कर्नाटक का वो गांव जहां के 100 से ज्यादा लोग ईरान में फंसे, 90% से ज्यादा शिया मुस्लिम आबादी

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कर्नाटक के अलीपुर गांव के 100 से ज्यादा लोग ईरान में फंसे हैं. भारतीय दूतावास उनकी सुरक्षित वापसी के लिए काम कर रहा है. गांव के लोग चिंतित हैं और प्रियजनों की वापसी का इंतजार कर रहे हैं.

कर्नाटक के गांव के 100 से ज्यादा लोग ईरान में फंसे, 90% से ज्यादा शिया आबादी

कर्नाटक के एक गांव के 100 से ज्यादा लोग ईरान में फंसे हैं. (Image:AP)

हाइलाइट्स

  • कर्नाटक के अलीपुर गांव के 100 से ज्यादा लोग ईरान में फंसे हैं.
  • भारतीय दूतावास उनकी सुरक्षित वापसी के लिए काम कर रहा है.
  • गांव के लोग प्रियजनों की वापसी का इंतजार कर रहे हैं.

चिकबलपुर (कर्नाटक). इजराइल और ईरान के मध्य बढ़ते तनाव के बीच कई भारतीय नागरिक ईरान में फंसे हुए हैं. इनमें से 100 से ज्यादा लोग कर्नाटक के चिकबलपुर जिले के अलीपुर गांव से हैं. यह गांव मुख्य रूप से शिया मुस्लिमों का गांव है. इनमें छात्र, परिवार और कामकाजी पेशेवर शामिल हैं, जो शिक्षा, व्यवसाय और धार्मिक गतिविधियों के लिए ईरान गए थे. तेहरान में दूतावास और कर्नाटक में स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ भारतीय अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं और क्षेत्र में फंसे लोगों की सुरक्षित वापसी के लिए इंतजाम में सहयोग कर रहे हैं. ताजा मतदाता सूची के अनुसार, अलीपुर लगभग 25,000 लोगों की आबादी वाला गांव है जिसमें 8,000 से 8,500 मतदाता हैं. यहां हिंदुओं की आबादी भी है, लेकिन लगभग 90 प्रतिशत निवासी मुस्लिम हैं जो मुख्य रूप से शिया समुदाय से हैं.

यह गांव ईरान के साथ अपने गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों के लिए जाना जाता है, जो इसे धर्म से जुड़े एवं चिकित्सा अध्ययन के लिए एक आम गंतव्य बनाता है. अलीपुर में मस्जिद-ए-जाफरिया के इमाम मौलाना सैयद मोहम्मद यूशा अबेदी ने कहा कि ‘हमारे अलीपुर के कुछ छात्र वर्तमान में ईरान में पढ़ाई कर रहे हैं.’ अबेदी ने कहा कि ‘कोम में लगभग 50 लोग हैं और लगभग 15 छात्र तेहरान में एमबीबीएस कर रहे हैं. अन्य 25 से 30 लोग कोम और मशहद जैसे शहरों में व्यवसाय में शामिल हैं. कुल मिलाकर अलीपुर के लगभग 100 लोग वर्तमान में ईरान में हैं, जिनमें परिवार और बच्चे शामिल हैं.’

हाल में इजराइल के हवाई हमलों के बाद ईरान के विभिन्न शहरों में रहने वाले अलीपुर के अधिकतर निवासियों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया गया है. इमाम ने कहा कि ‘भारतीय दूतावास संपर्क में है और दूतावास ने इनमें से कई को तेहरान से कोम में स्थानांतरित करने में मदद की है.’ ईरान में बीडीएस की छात्रा हबीबे जहरा के पिता सैयद अबू ताहिर ने कहा कि ‘वे अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं और हमें उम्मीद है कि सभी सुरक्षित लौट आएंगे.’ ताहिर ने कहा कि ‘मेरी बेटी 2024 से वहां बीडीएस की पढ़ाई कर रही है और लड़कियों के छात्रावास में रह रही है. वहां सब कुछ ठीक है, लेकिन मौजूदा स्थिति को देखते हुए हम डरे हुए हैं. हमने स्थानीय अधिकारियों को पहले ही सूचित कर दिया है और विकास सौध (कर्नाटक राज्य सचिवालय) के एक अधिकारी ने भी हमसे संपर्क किया है. वे इस स्थिति में हमारा समर्थन कर रहे हैं.’

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मूल रूप से अलीपुर के निवासी सकलेन अब्बास बेंगलुरु में कॉलेज में अपने बेटे के दाखिले के लिए 20 दिन पहले भारत लौटे थे. हालांकि, उनकी पत्नी और दो बच्चे ईरान में ही हैं. उन्होंने कहा कि ‘मेरी पत्नी ईरान में फंसी हुई हैं. कर्नाटक के कई लोग वहां फंसे हुए हैं, जिनमें छात्र भी शामिल हैं. फिलहाल, स्थिति सामान्य है. सभी दुकानें खुली हैं और काम कर रही हैं. हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए हालात और खराब होने की आशंका है. भारतीय दूतावास सभी भारतीयों को सीमाओं के करीब लाने और उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है.’ गांव के कई परिवार अपने प्रियजनों की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. मीर नजर अब्बास के पिता मीर जाहिद रजा ने पुष्टि की कि उनके परिवार के चार सदस्य अब भी ईरान में हैं, जिनमें चार वर्षीय और 13 वर्षीय बच्चा भी शामिल है. उन्होंने कहा कि ‘वे सुरक्षित हैं, लेकिन हम चिंतित हैं.’

Rakesh Singh

Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें

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