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मुरैना जिले के खोकापुरा गांव में चीते आने से ग्रामीणों में दहशत है। बीते दिनों ये पांचों चीते गांव में घुस आए और चार बकरियों को शिकार बना लिया। इसके बाद से ये गांव के आसपास ही रुके हैं। ग्रामीणों के मुताबिक चीते अब 200 मीटर के दायरे में ही घूम रहे है
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गांव के निवासी अजयपाल ने कहा कि अगर बच्चे बाहर निकले और चीते आ गए तो उन्हें खा सकते हैं, हमारे पास कोई उपाय नहीं है। वहीं, दूसरे ग्रामीण पंचम सिंह ने बताया कि कुछ भी हो सकता है, बच्चे तो हर समय घर के भीतर-बाहर खेलते रहते हैं। ग्रामीणों का डर इस बात से और बढ़ गया है कि चीतों ने गांव में ही चार बकरियों को मार डाला। अब वे खुलेआम गांव के अंदर ही आराम कर रहे हैं।
रातभर ग्रामीण और वन अमला जागते रहे रविवार की रात वन विभाग के डिप्टी रेंजर एसएस बघेल, चीता मित्र विकास राजपूत और दो अन्य वनकर्मी गांव में मौजूद रहे। ये सभी पूरी रात जागकर गांव की निगरानी करते रहे। ग्रामीणों ने भी उनके साथ मिलकर रतजगा किया। गांव में डर का माहौल इस कदर था कि महिलाएं पूरी रात बच्चों को सीने से लगाए बैठी रहीं। सुबह होने के बाद भी महिलाएं और बच्चे खेतों की ओर शौच के लिए नहीं गए। उन्हें डर था कि कहीं चीते हमला न कर दें।
ग्रामीणों को वन विभाग की ओर से समझाया गया कि ये चीते सामान्य चीतों की तरह आक्रामक नहीं होते। लेकिन ग्रामीणों को भरोसा नहीं हो रहा। एक महिला ने कहा कि बच्चे हैं, क्या हम रिस्क ले सकते हैं? वो बोलते हैं कुछ नहीं करेंगे, लेकिन बकरियां भी तो खा गए।

ग्रामीण डर के साए में जी रहे है।
सुबह बदला गया वन विभाग का स्टाफ शनिवार सुबह वन विभाग ने रातभर की ड्यूटी देने वाले स्टाफ को बदल दिया। डिप्टी रेंजर एसएस बघेल को जौरा कस्बे भेज दिया गया। चीता मित्र विकास राजपूत को भी आराम के लिए वापस बुलाया गया है। उनकी जगह नए अमले की तैनाती कर दी गई है।
ठंड और भरे पेट की वजह से नहीं कर रहे ज्यादा मूवमेंट शनिवार तड़के गांव में हल्की बारिश हुई, जिससे मौसम ठंडा हो गया है। इस वजह से चीते ज्यादा मूवमेंट नहीं कर रहे हैं। वनकर्मियों के मुताबिक, बकरियां खाने से उनका पेट भरा हुआ है, इसलिए वे चलने में सुस्त हो गए हैं

विनोद कुमार शर्मा, डिप्टी रेंजर
200 मीटर के दायरे में ही घूम रहे पांचों चीते वन विभाग के ड्यूटी रेंजर विनोद कुमार शर्मा ने बताया कि पांचों चीते गांव के पास ही 200 मीटर के दायरे में घूम रहे हैं। मूवमेंट बहुत धीमा है। वे थोड़ी दूर चलते हैं और फिर थककर बैठ जाते हैं। सभी एक साथ ही चल रहे हैं और वहीं वापस लौट जाते हैं जहां से आए थे।
डिप्टी रेंजर बोले- चीते उतने खतरनाक नहीं डिप्टी रेंजर विनोद शर्मा ने कहा कि यह बात सही है कि ग्रामीण डरे हुए हैं। हमने उन्हें समझाया है कि ये चीते सामान्य जंगली चीतों की तरह खतरनाक नहीं होते। लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं। हमने स्टाफ में बदलाव कर दिया है और लगातार निगरानी रखी जा रही है।
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