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Agniveer: अग्निवीर अंकुर राणा को 68 दिन अस्पताल में रहने के बाद सेना से बाहर कर दिया गया क्योंकि वह ट्रेनिंग से 30 दिन से अधिक अनुपस्थित रहे. ट्रिब्यूनल ने इसे नियमों के मुताबिक बताया और याचिका खारिज कर दी.
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- अग्निवीर अंकुर राणा 68 दिन ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहे थे.
- अस्पताल में भर्ती समय को सेना ने ड्यूटी नहीं माना.
- AFT ने सेवा समाप्ति को सही ठहराते हुए याचिका खारिज की.
अग्निवीर अंकुर राणा ने 25 दिसंबर 2022 को सेना में भर्ती ली थी. उनका बेसिक ट्रेनिंग सेशन 1 जनवरी 2023 से हैदराबाद के आर्टिलरी सेंटर में शुरू हुआ. लेकिन 27 जनवरी को उन्हें अचानक तबीयत खराब होने के कारण मेडिकल रूम में रिपोर्ट करना पड़ा. उनकी हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें सेना के अलग-अलग अस्पतालों में शिफ्ट किया गया. आखिरी में वे पुणे के एक आर्मी अस्पताल में भर्ती रहे, जहां से उन्हें 22 अप्रैल को छुट्टी मिली. उन्होंने 23 अप्रैल को फिर से ट्रेनिंग सेंटर जॉइन कर लिया, लेकिन तब तक वह 68 दिनों तक ट्रेनिंग से अनुपस्थित रह चुके थे.
सेना ने क्या कहा?
सेना ने अंकुर को सेवा से बाहर कर दिया. उनका कहना था कि “अग्निपथ योजना” के नियमों के अनुसार अगर कोई अग्निवीर 30 दिन से ज्यादा ट्रेनिंग से दूर रहता है, तो उसे नौकरी से हटा दिया जाएगा. भले ही वो कारण बीमारी ही क्यों न हो.
सेना की ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) की 17 नवंबर 2022 की नीति में ये साफ लिखा है कि कुल 30 दिन से ज्यादा की अनुपस्थिति पर सेवा खत्म की जा सकती है.
अग्निवीर अंकुर ने अदालत का दरवाजा खटखटाया
अंकुर को लगा कि उनके साथ अन्याय हुआ है. उन्होंने आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल (AFT) लखनऊ में केस किया. उन्होंने कहा कि वे ड्यूटी पर ही थे क्योंकि वे सेना के ही अस्पताल में भर्ती थे. साथ ही, बिना मेडिकल बोर्ड की जांच के किसी को बाहर नहीं किया जा सकता. उनके वकील ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 यानी “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार” का उल्लंघन बताया.
अदालत का फैसला – नियम सब पर लागू
ट्रिब्यूनल की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अनिल कुमार और वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन शामिल थे, ने इस याचिका को खारिज कर दिया. उनका कहना था कि अग्निपथ योजना के नियम साफ हैं—30 दिन से ज्यादा की ट्रेनिंग से अनुपस्थिति किसी भी कारण से हो, वह गैरहाजिरी मानी जाएगी. इसलिए अंकुर राणा की सेवा समाप्त करने में कोई गैरकानूनी या गलत बात नहीं है.
ट्रिब्यूनल की बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति अनिल कुमार और वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन शामिल थे, ने इस याचिका को खारिज कर दिया. उनका कहना था कि अग्निपथ योजना के नियम साफ हैं—30 दिन से ज्यादा की ट्रेनिंग से अनुपस्थिति किसी भी कारण से हो, वह गैरहाजिरी मानी जाएगी. इसलिए अंकुर राणा की सेवा समाप्त करने में कोई गैरकानूनी या गलत बात नहीं है.
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