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पहले 20 रिजेक्शन, फिर 10 हजार रुपये और 2 कर्मचारियों के साथ शुरुआत, आज 500 करोड़ की कंपनी के मालिक

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Success Story: छोटे से गांव में पैदा हुआ ये लड़का 40 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते 500 करोड़ रुपये की कंपनी बना देगा, ऐसा तो उसके परिवार ने भी नहीं सोचा होगा. लेकिन ये हुआ. उसने इस छोटी-सी उम्र में कई बार असफलताओं का स्वाद भी चखा. लेकिन असफलताओं से सबक लेते हुए ऐसे स्तर पर पहुंच गया, जहां से उसकी कामयाबी ने शोर मचा दिया. हम बात कर रहे हैं हैप्पीलो (Happilo) के फाउंडर विकास डी. नाहर की. हैप्पीलो के ड्राई फ्रूट्स, मसाले और चॉकलेट्स बाजार में काफी तेजी से बिक रहे हैं. जानते हैं विकास नाहर ने केवल कुछ हजार से काम शुरू करके, कैसे इतना बड़ा बिजनेस अंपायर खड़ा कर दिया, जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

1984 में पैदा हुए कर्नाटक के मांड्या जिले के एक गांव में एक किसान के घर विकास डी. नाहर का जन्म हुआ. उनके पिता धनमल नाहर कॉफी और काली मिर्च की खेती करते थे. खेतों की मिट्टी में पले-बढ़े विकास ने बचपन से ही बिज़नेस की बारीकियां सीखीं. उनके भाई वीरेंद्र पहले ही “सात्विक स्पेशियलिटी फूड्स” में काम कर रहे थे, जिससे विकास को फूड इंडस्ट्री का अनुभव मिला. ऐसे वातावरण में व्यापार की समझ धीरे-धीरे विकसित होती गई. शादी के बाद उनकी पत्नी सुनीता और बेटी उनके जीवन की सबसे बड़ी ताकत बनीं, जिन्होंने हर मोड़ पर उनका साथ दिया.

शिक्षा की बात करें तो विकास डी. नाहर ने बेंगलुरु विश्वविद्यालय से 2005 में कंप्यूटर साइंस की डिग्री ली. इसके बाद जैन ग्रुप में सीनियर इम्पोर्ट मैनेजर के तौर पर काम शुरू किया. यहां उन्होंने इंटरनेशनल ट्रेड की बारीकियों को समझा, लेकिन उनका दिल कहीं और था. नौकरी से संतुष्ट नहीं होकर उन्होंने 2008 में पुणे के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए किया. एमबीए के बाद वह “सात्विक” कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर बने.

असफलता से सीखना ही सफलता की कुंजी

यहीं से फूड इंडस्ट्री की यात्रा शुरू हुई, लेकिन रास्ता आसान नहीं था. विकास ने 20 से भी ज्यादा बार नए बिज़नेस आइडियाज पर काम किया, पर हर बार नाकामी मिली. विकास नाहर ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उन्होंने 20 अलग-अलग काम शुरू किए, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. उन्होंने कहा, “असफलता से सीखना ही सफलता की कुंजी है.” इसी मूलमंत्र के साथ वे आगे बढ़ते रहे. कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने अपने अलग-अलग बिजनेस के लिए लगभग 20 निवेशकों से संपर्क किया, मगर उन्होंने आइडिया को रिजेक्ट कर दिया.

बार-बार गिरने के बावजूद वो उठते रहे, सीखते रहे. और फिर आया वो ऐतिहासिक साल- 2016. इस वर्ष विकास डी. नाहर ने सिर्फ 10,000 रुपये और दो कर्मचारियों के साथ हैप्पीलो की नींव रखी. उनकी पत्नी की 20 लाख रुपये की सेविंग को काम में लगाया गया. ड्राई फ्रूट्स चूंकि महंगे होते हैं, तो इतने में भी काम बनना आसान नहीं था. इसके बाद 80 लाख रुपये की रकम सरकारी स्कीम CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्माल इंट्रप्राइजेज) के माध्यम से जुटाई गई.

यह एक ऐसा ब्रांड था, जो हेल्दी स्नैक्स जैसे ड्राई फ्रूट्स, सीड्स और मिक्स बेचता था. पहला प्रोडक्ट “ट्रेल मिक्स” जैसे मार्केट में आया, वैसे ही हिट हो गया. लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे थे और हैप्पीलो ने उनकी जरूरतों को समझा.

पोर्टफोलियो में 40 से ज्यादा ड्राई फ्रूट्स

विकास की मेहनत, दृढ़ता और इनोवेशन की सोच ने हैप्पीलो को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया. उन्होंने क्वालिटी पर समझौता नहीं किया और प्रोडक्ट्स की रेंज को लगातार बढ़ाया. आज हैप्पीलो 40 से ज्यादा ड्राई फ्रूट्स, 60 मसालों और 100 से अधिक चॉकलेट्स का निर्माण करता है. फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और देशभर के रिटेल स्टोर्स में इसकी मजबूत पकड़ बन चुकी है.

2021 में A91 पार्टनर्स से 12 मिलियन डॉलर और 2022 में मोतीलाल ओसवाल से 25 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली. आज हैप्पीलो की वैल्यूएशन 500 करोड़ रुपये से भी ऊपर है. ये सब सिर्फ एक विजन, दृढ़ निश्चय और मेहनत का नतीजा है.

कई भाषाएं जानते हैं विकास डी. नाहर

विकास न सिर्फ बिजनेस में, बल्कि भाषाओं में भी माहिर हैं. वे अंग्रेजी, हिंदी, कन्नड़, मारवाड़ी और स्पेनिश में बात कर सकते हैं. इससे उन्हें निवेशकों और ग्राहकों से बेहतर संवाद करने में मदद मिलती है. 2023 में वे “शार्क टैंक इंडिया सीजन 2” में डिजिटल गेस्ट शार्क बने और “द हेल्थ फैक्ट्री” व “नारा आबा” जैसे स्टार्टअप्स में निवेश किया. उनकी कहानी इतनी प्रेरणादायक बनी कि उन्हें फोर्ब्स और टाइम्स की “40 अंडर 40” लिस्ट में जगह मिली.

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