Home मध्यप्रदेश The mystery of the princess’ murder and the story of a coffin...

The mystery of the princess’ murder and the story of a coffin | शहजादी की हत्या का रहस्य और एक ताबूत की कहानी: चार बेटियों के बाद बेटे की चाहत में की नौकर से शादी; फिर गायब हो गई – Madhya Pradesh News

12
0

[ad_1]

मध्यप्रदेश क्राइम फाइल्स में इस बार बात एक ऐसे व्यक्ति की, जो कर्नाटक के मैसूर राजघराने में छोटी सी नौकरी करता था। वो महल के दीवान की शादीशुदा पोती यानी राजकुमारी के प्रति आकर्षित हुआ। राजकुमारी का पति भारतीय विदेश सेवा में अफसर था। वो भी छोटी सी नौक

.

सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन एक दिन अचानक महिला लापता हो गई। घर वालों को पता नहीं चला कि वो कहां गई है।

बात 80 के दशक की है। सागर का रहने वाला मुरली मनोहर मिश्रा उर्फ श्रद्धानंद मैसूर राजघराने में नौकरी करता था। मैसूर राजघराने के दीवान की बेटी शकीरा नमाजी खलीली की शादी भारतीय विदेश सेवा के अफसर अकबर मिर्जा खलीली से हुई थी। शकीरा मैसूर रियासत के पूर्व दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती थी।

मैसूर में उनकी पत्नी अपनी चार बेटियों के साथ रहती थीं। सब ठीक चल रहा था। लेकिन शकीरा को इस बात का मलाल था कि उन्हें कोई बेटा नहीं है। बेटे को लेकर घर में झगड़े होते थे।

दिल्ली में हुई शकीरा की श्रद्धानंद से पहली मुलाकात इस बीच एक दिन शकीरा दिल्ली आती हैं। यहां यूपी की पुरानी शाही फैमिली के घर में फंक्शन था। यहां उनकी मुलाकात एक शख्स से होती है। उसका नाम था स्वामी श्रद्धानंद। असली नाम मुरली मनोहर मिश्र था। वह मध्यप्रदेश के सागर का रहने वाला था, लेकिन उसने अपना नाम स्वामी श्रद्धानंद कर लिया था।

यूपी के शाही परिवार में ये नौकर था। श्रद्धानंद टैक्स और प्रॉपर्टी की अच्छी समझ रखता था। लोगों और शाही परिवार के कई काम करवाता था। इसके अलावा ये अपने आप को तंत्र-मंत्र का जानकार भी बताता था।

शकीरा बेटा चाहती थी, श्रद्धानंद के चंगुल में फंस गई फंक्शन के दौरान श्रद्धानंद से हुई सामान्य सी मुलाकात और उसके व्यवहार से शकीरा प्रभावित हो जाती हैं। श्रद्धानंद को भी तब पता चलता है कि शकीरा की चार बेटियां हैं और वो बेटा चाहती हैं।

बेटे के लालच में मुरली मनोहर मिश्र उर्फ श्रद्धानंद के चंगुल में शकीरा फंस जाती हैं। इसके बाद दोनों अकसर मिलने लगते हैं। प्यार हो जाता है और फिर उनके बीच संबंध भी बन जाता है।

बेटे की ख्वाहिश में शकीरा ने दूसरी शादी की चार बेटियां होने के बावजूद शकीरा एक बेटा चाहती थी। पति विदेश में रहते थे। मुरली मनोहर उर्फ श्रद्धानंद उसके प्रति आकर्षित था। दोनों धीरे-धीरे करीब आ गए। आखिरकार शकीरा ने पति से तलाक लेने का फैसला लिया।

1985 में शकीरा ने पति अकबर खलीली को तलाक दे दिया। तलाक के बाद एक साल तक शकीरा अकेले रही। इस बीच शकीरा और श्रद्धानंद की मुलाकात जारी रही। दोनों ने फिर शादी करने का फैसला किया।

1986 में शकीरा ने करीब 48 साल की उम्र में स्वामी श्रद्धानंद से शादी कर ली और मुंबई से बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं।

ऐशो-आराम से जिंदगी बिताने लगा श्रद्धानंद सबा फोन पर भी लगातार मां से बातचीत करती रहती। हालांकि शकीरा तीनों बेटियों को भी पैसे भेजते रहती थी।

इधर, श्रद्धानंद शादी के बाद शकीरा की दौलत पर ऐशो-आराम से जिंदगी बिताने लगा। शादी को पांच साल बीत चुके थे सब कुछ ठीक चल रहा था।

मई 1991 में एक दिन बेटी सबा ने मां शकीरा से बात करनी चाही। फोन किया, लेकिन बात नहीं हो सकी। उसने श्रद्धानंद से पूछा तो उसने बताया कि शकीरा प्रेग्नेंट हैं और अमेरिका के न्यूयॉर्क में रुजवेल्ट हॉस्पिटल में चेकअप के लिए गई हैं। बेटी ने अमेरिका में पता लगाया, लेकिन मां का पता नहीं चला। मां गायब हो चुकी थी।

बेटी ने पुलिस को दी मां के गुम होने की सूचना कई महीने बीत गए लेकिन बेटी सबा की मां से बात नहीं हुई और न ही पता चला कि मां कहां है। आखिर में बेटी सबा बेंगलुरु पहुंची और पुलिस स्टेशन पहुंच मां की गुमशुदगी दर्ज करवाई। राजघराने से जुड़ा मामला होने के कारण पुलिस तेजी से जांच शुरू कर देती है। बेटी सबा अपना शक शादी करने वाले स्वामी श्रद्धानंद पर जताती है। पुलिस उससे पूछताछ करती है, मगर पूछताछ के बाद भी कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगती है। बेंगलुरु क्राइम ब्रांच पुलिस की जांच में भी कोई सुराग नहीं मिलता है। पुलिस रसूख के कारण स्वामी श्रद्धानंद पर सख्ती नहीं बरत पाती है। धीरे-धीरे मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

धीरे-धीरे शकीरा को लापता हुए 3 साल बीत जाते हैं। वो कहां हैं, किस हाल में हैं, कुछ भी पता नहीं चल पाता है।

आखिरकार चमत्कार हो जाता है। ठीक 3 साल बाद ऐसा कुछ हुआ, जिसने पुलिस को कातिल तक पहुंचा दिया।

शराब ठेके पर पता चला कहां है लापता शकीरा 29 अप्रैल 1994 की रात को बेंगलुरु क्राइम ब्रांच के एक कॉन्स्टेबल का दोस्त जो कर्नाटक पुलिस में था, शराब के ठेके के यहां ड्यूटी दे रहा था। वहां कुछ लोग शराब पी रहे थे।

शराब पीते-पीते कुछ लोग वहां पुलिस, क्राइम के बारे में बात कर रहे थे। उनमें से एक शख्स जो ज्यादा नशे में था वो बोला की पुलिस क्या होती है। कुछ नहीं होती है।

ये सुनकर पुलिसकर्मी के कान खड़े हो गए। वो उस शख्स के पास गया। पुलिसकर्मी सादी वर्दी में था। उसने शराब के नशे में धुत व्यक्ति से कहा कि क्या लंबी-लंबी फेंक रहे हो। इस पर वो बोला कि तुम्हें कुछ नहीं पता। तुमने शकीरा खलीली का नाम सुना है। पुलिसकर्मी जान बूझकर मना कर देता है। व्यक्ति कहता है कि तू नहीं जानता। वो दीवान की बेटी थी। हमारे साहब ने उसे मारकर घर में ही ताबूत में दफना दिया है। वो ताबूत मैं खरीदकर लेकर आया था।

पुलिसकर्मी फिर कहता है कि तुम नशे में कुछ भी फेंक रहे हो। व्यक्ति एक दुकान का नाम बताता है और कहता है कि वहां से ताबूत लिया था। पुलिसकर्मी अन्य पुलिसकर्मियों को सूचित करता है और नशे में धुत व्यक्ति को रात को उठा लिया जाता है।

पुलिस उसे थाने ले आती है। नशा उतरने के बाद पुलिस उससे पूछताछ करती है। पहले तो वो इनकार करता है, मगर सख्ती से पूछने पर वो पूरी करतूत का खुलासा कर देता है।

ताबूत बेचने वाले दुकानदार ने बताया आरोपी का नाम पुलिस की एक टीम उस दुकान वाले के पास जाती है जहां से ताबूत खरीदा गया था।

इतना ही नहीं दुकानदार ने ये भी बताया कि ताबूत खरीदने वाले ने उसे कहा था कि उसके पास बेशकीमती (एंटिक वैल्यू) आदमकद मूर्ति है। जिसे रखने के लिए उसे ताबूत चाहिए। इसलिए ताबूत भी एंटिक चाहिए। अब पुलिस ने कड़ी जोड़ना शुरू करती है।

क्राइम फाइल्स के पार्ट 2 में जानिए इन सवालों के जवाब

  • ताबूत बेचने वाले ने किसका नाम बताया?
  • शराब ठेके पर शकीरा के बारे में बताने वाला शख्स कौन था?
  • पुलिस कैसे शकीरा की लाश तक पहुंची?
  • हत्या क्यों और किसलिए की गई?
  • आरोपी को क्या सजा हुई?

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here