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Explainer: बांग्लादेश में फिर दंगे-फसाद की आहट, क्यों इस्तीफा देना चाहते हैं मोहम्मद यूनुस, किस बात पर विवाद?

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 muhammad yunus
Image Source : PTI
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस

भारत के ईस्ट और वेस्ट यानि पाकिस्तान और बांग्लादेश में इन दिनों जबरदस्त हलचल है। पाकिस्तान में शहबाज शरीब कब इतिहास बन जाएंगे, कोई नहीं जानता तो वहीं पाकिस्तान का मोहरा बना बांग्लादेश भी उसी के नक्शे-कदम यानि तख्तापलट के रास्ते पर आगे बढ़ चुका है। सारे दांव-पेच फुस्स होने के बाद युनुस वाकई मैदान छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं या नई चाल चलेंगे ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन आर्मी चीफ ने यूनुस को क्लीयर कट चेतावनी दे दी है। जनरल इलेक्शन से लेकर रखाइन कॉरिडोर तक, आर्मी चीफ के सवालों का यूनुस कोई जवाब नहीं दे पा रहे। उनके NSA से लेकर सलाहकार तक सवालों के घेरे में हैं।

9 महीने पहले जैसे शेख हसीना को जान बचाकर बांग्लादेश से भागना पड़ा था कुछ वैसा ही अब बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के साथ होने वाला है। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को एक कड़ा संदेश भेजा है। वकार ने यूनुस से कहा है कि वो जल्द से जल्द चुनाव कराएं, सैन्य मामलों में हस्तक्षेप बंद करें और रखाइन कॉरिडोर जैसे मामलों पर सेना के सही जानकारी देते रहें।

आखिर क्यों आई इस्तीफा देने की नौबत?

मोहम्मद युनूस की कुर्सी खतरे में है। बांग्लादेश के मौजूदा प्रधानमंत्री को बंधक बनाया जा रहा है। ये बात खुद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस ने बताई है यानि  5 अगस्त 2024 को जैसा तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ हुआ था ठीक वैसा ही मौजूदा प्रधानमंत्री मोहम्मद युसूफ के साथ होने जा रहा है। 9 महीने पहले बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जिस मोहम्मद यूनुस बतौर अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया गया था अब उसी के खिलाफ बांग्लादेश की फौज ने मोर्चा खोल दिया है। आर्मी चीफ के विरोध के बाद मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफे वाला दांव चल दिया है।

यूनुस का कहना है कि मौजूदा हालात में राजनीतिक पार्टियों के साथ मिलकर काम करना मुश्किल है वो बंधक जैसा महसूस कर रहे हैं। इतना ही नहीं मोहम्मद युनूस ने तो यहां तक कह दिया कि जब तक राजनीतिक दल आम सहमति तक नहीं पहुंचते, वो काम नहीं कर पाएंगे।

किस बात पर विवाद?

मोहम्मद युनूस बांग्लादेश में अस्थिरता के लिए पॉलिटिकल पार्टियों को जिम्मेदार बता रहे हैं लेकिन असली वजह सेना और सरकार के बीच बढ़ता टकराव है। जिस बांग्लादेश की सेना ने मोहम्मद युनूस को सत्ता के शिखर पर बैठाया उसी आर्मी और यूनुस सरकार के बीच लगातार मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। आर्मी चीफ वकार-उज़-ज़मान ने युनूस सरकार को अल्टीमेटम दे दिया है।

बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल जमान ने कहा, आम चुनाव दिसंबर से आगे टलने नहीं चाहिए। आर्मी चीफ ने वॉर्निंग देते हुए कहा कि अंतरिम सरकार के पास संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर फैसला लेना का नैतिक और संवैधानिक अधिकार नहीं है जबकि यूनुस सरकार दिसंबर में चुनाव नहीं करना चाहती है। युनूस कह चुके हैं कि वो अगले साल जून में चुनाव करना चाहते हैं।

सत्ता संभालते ही विवादास्पद फैसले लेते रहे हैं युनूस

दरअसल, जब से मोहम्मद युनूस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली है तब से वो विवादास्पद फैसले ले रहे हैं। चाहे वो शेख हसीना की ‘बांग्लादेश अवामी लीग’ (BAL) पर प्रतिबंध लगाना हो या अलकायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन ‘अंसारुल्लाह बांग्ला टीम’ के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी हाफी की रिहाई। इतना ही नहीं अब वो बांग्लादेश की सेना में अपनी दखलअंदाजी बढ़ाना चाहता था। इसलिए मोहम्मद यूनुस अब सेना में जमान के विरोधी और पाकिस्तान समर्थक जनरल फैजुर रहमान को आगे बढ़ा रहे है। फैजुर रहमान ने हाल ही में बांग्लादेश के NSA और मोहम्मद युनूस के राइट हैंड खलीलुर रहमान से बंद कमरे में बैठक की थी। बताया गया कि इस मीटिंग का मेन एजेंडा जनरल जमान को सेना प्रमुख के पद से हटाना था।

आर्मी और अंतरिम सरकार के बीच टकराव

मोहम्मद युनूस की साजिश की खबर बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल जमान को मिल गई जिसके बाद जनरल जमान ने रखाइन कॉरिडोर को मुद्दा बनाकर युनूस की मुश्किलें बढ़ा दी। आर्मी चीफ ने बांग्लादेश और म्यामांर बॉर्डर पर बनने वाले रखाइन कोरिडोर को खूनी कॉरिडोर करार दे दिया। आर्मी चीफ ने कहा कि सेना ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जिससे देश की संप्रभुता पर खतरा हो।

यूनुस अमेरिका को खुश करने के लिए रखाइन कॉरिडोर को आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसे में अमेरिका उन्हें सत्ता में बने रहने में मदद कर सकता है जबकि बांग्लादेश के सभी प्रमुख दल इस कॉरिडोर का विरोध कर रहे हैं। रखाइन कॉरिडोर को बांग्लादेश के NSA खलीलुर रहमान का ब्रेन चाइल्ड माना जाता है। खलीलउर रहमान जो अमेरिका का नागरिक है वो पाकिस्तान के साथ मिलकर जनरल जमान के खिलाफ साजिश रच रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक ने भी बांग्लादेश के NSA रहमान से मुलाकात की है जिससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने खुलकर यूनुस और उनके समर्थक धड़े का साथ देना शुरू कर दिया है।

चौतरफा घिरे मोहम्मद यूनुस

जनरल वकार को शक है कि यूनुस बाहरी ताकतों के साथ मिलकर देश में उनके खिलाफ प्रदर्शन कराकर उन्हें पद से हटाना चाहते हैं। वकार का तीनों सेना के साथ मिलकर शक्ति प्रदर्शन सीधे यूनुस सरकार के लिए मैसेज था। मोहम्मद यूनुस पर सिर्फ आर्मी चीफ ही दबाव नहीं बना रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी BNP भी आम चुनाव के मुद्दे पर युनूस सरकार को घेर रही है। BNP ने युनूस सरकार से सलाहकारों की संख्या कम करने और दिसम्बर तक चुनाव की योजना पेश करने को कहा है। साथ ही सरकार के सलाहकार महफूज आलम, आसिफ महमूद शोजिब भुइयां और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान को तत्काल हटाने की मांग की है। महफूज आलम को यूनुस का बेहद करीबी और शेख हसीना विरोधी आंदोलन का मास्टरमाइंड कहा जाता है।

किसी भी वक्त हो सकता है तख्तापलट!

शेख हसीना की अवामी लीग पर प्रतिबंध के बाद अब खालिदा जिया की BNP ही बांग्लादेश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रह गई है इसलिए BNP को लगता है कि अगर चुनाव हुए तो उनकी सरकार बनना तय है। इस बीच राजधानी ढाका एक बार फिर से प्रदर्शनों का गढ़ बन सकती है, क्योंकि NCP यानि नेशनल सिटिजन पार्टी से जुड़े छात्र नेताओं ने  युवाओं और इस्लामिक कट्टरपंथियों को सड़क पर उतरने का आह्वान कर रहे हैं।

बांग्लादेश फिर उसी राह पर चलता जा रहा है जैसे वो पिछले साल चला था जब शेख हसीना के खिलाफ छात्रों के प्रोटेस्ट के चलते उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा था। अगर यूनुस बैकफुट पर नहीं आए और आर्मी चीफ की चेतावनी को हल्के में लिया तो बांग्लादेश में तख्तापलट किसी भी वक्त हो सकता है।

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