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नई दिल्ली. इन दिनों पूरा देश भीषण गर्मी से जूझ रहा है. मई-जून में उत्तर भारत में सूरज देवता आग बरसाते हैं. इस भीषण गर्मी में भी कुछ लोगों को धूप में खड़े रहना पड़ता है. इनमें ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी शामिल है. वे दिनभर भीषण गर्मी में ड्यूटी करते हैं. इससे उनके लू की चपेट में आकर बीमार होने की आशंका बढ जाती है. इसी खतरे को देखते हुए अब यूपी सरकार ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को एसी हेल्मेट उपलब्ध करवा रही है. गाजियाबाद और सहारनपुर जैसे शहरों ट्रैफिक पुलिसकर्मी यह हेल्मेट लगा ड्यूटी करते नजर भी आने लगे हैं. इस हेल्मेट को हैदराबाद की कंपनी जर्श (Jarsh) ने बनाया है. शार्क टैंक इंडिया सीजन 4 में स्टार्टअप जर्श ने अमन गुप्ता से 50 लाख रुपये का निवेश हासिल किया था.
एसी हेल्मेट बनाने वाले स्टार्टअप जर्श की शुरुआत हैदराबाद के रहने वाले कौस्तुब, आनंद और श्रीकांत ने की है. फाउंडर्स का कहना है कि उन्होंने महसूस किया कि तमाम चीजों की टेक्नोलॉजी बदली है, लेकिन बिजली, ऊंचाई, गर्मी, बारिश जैसे हालात से सुरक्षा देने वाले इंडस्ट्रियल सेफ्टी गियर में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इसी को देखते हुए उन्होंने हेल्मेट को मॉर्डन बनाया है. इस स्टार्टअप ने तीन तरह के प्रोडक्ट बनाए हैं. पहला है एसी हेल्मेट. दूसरा है स्मार्टवोल्ट. ये बताता है कि कहां पर कंरट दौड़ रहा है. तीसरा है स्मार्ट कैरेबाइनर. इसके जरिए कहीं ऊंचाई पर लटकर कर काम करने में सुरक्षा मिलती है.
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आयरनमैन के Jarvis से आया Jarsh
तीनों फाउंडर क्लासमेट रह चुके हैं, जिन्होंने हैदराबाद से साथ में ही इंजीनियरिंग की है. स्टार्टअप फाउंडर्स ने कहा कि इंडस्ट्रियल सेफ्टी गियर इंडस्ट्री करीब 6 लाख करोड़ की इंडस्ट्री है. कंपनी का नाम Jarsh आयरन मैन के Jarvis से आया है. गुजरात पुलिस ने पिछले साल कंपनी के एसी हेल्मेट यूज करना शुरू किया था. अब यूपी पुलिस इनका इस्तेमाल कर रही है.
एसी हेल्मेट है सबसे बड़ा प्रोडक्ट
कंपनी का एसी हेल्मेट एक पेटेंटेड टेक्नोलॉजी है, जो सॉलिड स्टेट कूलिंग मॉडल पर काम करता है. यह हेल्मेट नॉर्मल हेल्मेट से थोड़ा भारी होता है, लेकिन गर्मी जैसे हालात में काफी आराम देता है. इस हेल्मेट में लगी बैटरी करीब 2 घंटे चलती है और ठंडी हवा देती है. वहीं अगर आप इसे कमर पर बांधी जाने वाली एक बैटरी से जोड़ दें तो 10 घंटों तक ठंडी हवा ले सकते हैं.
स्मार्टवोल्ट और स्मार्ट कैरेबाइनर
इसके अलावा कंपनी का दूसरा प्रोडक्ट है स्मार्टवोल्ट, जो बिना किसी बिजली के तार को टच किए ही बता देता है कि वहां करंट है. हर साल बिजली से करीब 3500 लोगों की मौत होती है. स्मार्टवोल्ट से बिजली का काम करने वालों को दूर से ही पता चल सकता है कि किसी तार या पोल में करंट तो नहीं. इससे उनकी सुरक्षा होती है. वहीं तीसरा प्रोडक्ट है स्मार्ट कैरेबाइनर, जिसकी वजह से लोगों को ऊंचाई से लटकते वक्त सुरक्षा मिलती है.
कंपनी का टर्नओवर
कंपनी ने सबसे पहले एसी हेल्मेट बेचनी शुरू की. साल 2023 में कंपनी की सेल 1.5 करोड़ रुपये रही, जिसमें 10 लाख रुपये का नुकसान हुआ. यह पूरा बिजनेस सिर्फ एसी हेल्मेट से आया था. शार्क टैंक इंडिया में पिच देते हुए जर्श फाउंडर ने बताया था कि साल 2024 में उन्हें 6-7 करोड़ रुपये बिक्री की उम्मीद है, जिसमें से 3-4 करोड़ सिर्फ एसी हेल्मेट से आने आएंगे. साल 2025 के लिए कंपनी ने 15 करोड़ रुपये के बिजनेस का टारगेट लेकर चल रही है.
कितनी है कीमत
एसी हेल्मेट के सबसे बड़े ग्राहक हैं पुलिस विभाग. वहीं वेदांता ग्रुप, एमआरएफ और एशियन पेंट भी कंपनी से हेल्मेट खरीदते हैं. बता दें कि जहां नॉर्मल हेल्मेट 200-400 रुपये के बीच आते हैं, वहीं एसी हेल्मेट की कीमत 10-17 हजार रुपये है. वहीं इसे बनाने में अभी करीब 4200 रुपये की लागत आती है.
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