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सुप्रीम कोर्ट ने कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में व्यवसायी अनवर ढेबर को जमानत दे दी. जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत पाने के लिए एक साल तक हिरासत में रहने का नियम अनिवार्य नहीं है. …और पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत के लिए एक साल की जेल अनिवार्य नहीं है.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने अनवर ढेबर को जमानत दी.
- जमानत के लिए एक साल हिरासत में रहना अनिवार्य नहीं.
- मुकदमा जल्द शुरू होने की संभावना नहीं.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी शख्स को जमानत दिए जाने से पहले एक साल जेल में बिताना होगा. इससे एक व्यवसायी को राहत मिली है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में व्यवसायी अनवर ढेबर को जमानत दे दी और कहा कि ‘जमानत पाने के लिए एक साल तक हिरासत में रहने का नियम नहीं है.’ व्यवसायी अनवर ढेबर को पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और वे नौ महीने से अधिक समय तक जेल में रहे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कथित अपराध के लिए अधिकतम सजा सात साल की कैद है. गवाहों की बड़ी संख्या को देखते हुए ढेबर के खिलाफ मुकदमा जल्द शुरू होने की संभावना नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने यह दर्ज किया कि ‘अपीलकर्ता को 8 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया गया था. चालीस गवाहों का हवाला दिया गया है. जांच जारी है. इस अपराध में 450 गवाह हैं. इस अपराध में संज्ञान नहीं लिया गया है. इसलिए निकट भविष्य में मुकदमा शुरू होने की कोई संभावना नहीं है. अधिकतम सजा सात साल है.’ सेंथिल बालाजी मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ढेबर को कड़े नियमों व शर्तों के साथ जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि यदि कोई पासपोर्ट है तो उसे जमा करना होगा. ईडी के वकील ने पीठ से आरोपी को जमानत पर रिहा न करने का आग्रह करते हुए कहा कि उसे पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था और उसे हिरासत में लिए हुए एक साल भी नहीं हुआ है.
ईडी के वकील ने जताई आपत्ति
ईडी के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विभिन्न मामलों में जमानत देने के लिए ‘एक साल की हिरासत के मानदंड’ का पालन कर रही है और उन्होंने कहा कि ढेबर के मामले में भी इसी मानदंड का पालन किया जाना चाहिए. ईडी के वकील ने कहा कि आरोपी राजनीतिक रूप से जुड़ा हुआ और प्रभावशाली व्यक्ति है, तथा उसकी जमानत से मुकदमे में बाधा पैदा होगी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से कहा कि वह विशेष अदालत द्वारा तय शर्तों पर आरोपियों को एक हफ्ते के भीतर रिहा कर दे.
मनी लॉन्ड्रिंग पर सरकार सख्त
कांग्रेस नेता और रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था. यह मामला आयकर विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ और कुछ अन्य राज्यों में शराब व्यापार में कथित कर चोरी और अनियमितताओं के संबंध में दायर आरोपपत्र से शुरू हुआ था. ईडी ने 4 जुलाई को रायपुर की पीएमएलए अदालत में मामले में पेश अभियोजन शिकायत (आरोप पत्र) में दावा किया कि छत्तीसगढ़ में 2019 में शुरू हुए ‘शराब घोटाले’ में 2,161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ और यह राशि राज्य के खजाने में जानी चाहिए थी. ईडी ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ नौकरशाहों, राजनेताओं, उनके सहयोगियों और राज्य आबकारी विभाग के अधिकारियों का एक गिरोह अनियमितताओं में लिप्त था.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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