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Success Story: मौसम की तरह बिजनेस बदल लेता है ये युवक, सरकारी नौकरी वालों से भी ज्यादा करता कमाई

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Success Story: छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के छोटे से गांव नर्मदापुर में रहने वाला एक युवक, अभिषेक सिंह राजपूत, आज युवाओं के लिए मिसाल बन चुका है. उसने वो कर दिखाया है जो ज़्यादातर लोग सोचकर छोड़ देते हैं हर मौसम के मुताबिक अपना काम बदलना और उसमें सफलता पाना.

कॉलेज के पहले साल से ही स्टार्टअप का सपना
बीए इंग्लिश से ग्रेजुएट और डीएलएड पास अभिषेक ने बताया कि 12वीं के बाद ही उन्होंने अपने पहले स्टार्टअप की शुरुआत की थी. कॉलेज का पहला साल था, लेकिन सोच थी कुछ अलग करने की. उन्होंने देखा कि हर सीज़न एक नया मौका लेकर आता है बस जरूरत है उसे पहचानने और काम में लगाने की.

गर्मी में सजावट, बरसात में स्टेशनरी और ठंड में कैंपिंग
गर्मियों के सीज़न में जब शादियों की धूम होती है, अभिषेक बर्थडे, एनिवर्सरी और विवाह डेकोरेशन का काम करते हैं. दूल्हे की गाड़ी सजाने से लेकर पूरे वेन्यू को चमकाने तक की जिम्मेदारी वे खुद निभाते हैं.

जैसे ही बारिश का मौसम शुरू होता है, वह स्टेशनरी और किताबों का कारोबार शुरू कर देते हैं. स्कूल-कॉलेज खुलने पर इसकी मांग खूब बढ़ जाती है और गांव के लोगों को शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

ठंड के आते ही अभिषेक कैंपिंग साइट तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि होटल जैसी सुविधाएं टेंट में भी देने का आइडिया लोगों को खूब पसंद आया, और अब तो कई पर्यटक भी उनके कैंप का हिस्सा बनते हैं.

सनसेट प्वाइंट से मिला कैंपिंग का आइडिया
अभिषेक बताते हैं कि कैंपिंग की प्रेरणा उन्हें तब मिली जब वे 12वीं के बाद सनसेट प्वाइंट गए थे. वहां उन्होंने देखा कि टूरिस्ट्स को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रहीं थीं. उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि पढ़ाई के साथ कुछ ऐसा करना है जिससे खुद की पहचान भी बने और जरूरतमंदों को राहत भी मिले.

परिवार की सपोर्ट और खुद पर भरोसे ने बदली किस्मत
उनकी इस यात्रा में परिवार का पूरा समर्थन रहा. वे मानते हैं कि अगर घरवाले साथ हों तो किसी भी राह को आसान बनाया जा सकता है. गांव में ही सेंट्रल बैंक के पास उन्होंने अपनी स्टेशनरी की दुकान खोली, जो आज बच्चों से लेकर बड़े-बुज़ुर्गों तक के लिए सहूलियत का ठिकाना बन गई है.

बेरोजगारी का तोड़, आइडिया और मेहनत का मेल
अभिषेक मानते हैं कि आज के युवाओं को सिर्फ रील्स और सोशल मीडिया में नहीं, रियल लाइफ स्किल्स में अपना वक्त लगाना चाहिए. वे कहते हैं कि जब तक नौकरी नहीं मिलती, तब तक खुद को काम से जोड़ना जरूरी है ताकि आत्मनिर्भरता बनी रहे.

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