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ये कहना है यूके में रहने वाली भारतीय मूल की प्रेरणा भारद्वाज का। प्रेरणा ने वो कर दिखाया जो अब तक वहां कोई महिला नहीं कर सकी। वे लगातार दूसरी बार यूके के प्रतिष्ठित बकिंघमशायर काउंसिल की मेयर बनी हैं।
यूके में अन्य तीन महिलाएं भी दो या इससे अधिक बार चुनी गई हैं, लेकिन प्रेरणा इकलौती मेयर हैं जो बकिंघमशायर काउंसिल में दोबारा मेयर बनी हैं। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय मध्य प्रदेश की मां बगलामुखी और बाबा महाकाल को दिया है। दैनिक भास्कर से बातचीत में प्रेरणा ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी बात की।

पढ़िए प्रेरणा के साथ भास्कर की एक्सक्लूसिव बातचीत
भास्कर: यूके की राजनीति में कैसे सक्रिय हुईं? प्रेरणा: मेरे दादा-दादी पंजाब और नाना-नानी हिमाचल के रहने वाले हैं। वे काफी पहले इंग्लैंड में आकर बस गए थे। मेरा जन्म इंग्लैंड के एसेक्स शहर में हुआ। उसके बाद परिवार गेरार्ड टाउन में शिफ्ट हो गया। यहां स्कूलिंग की।
मेरे परिवार में दूर-दूर तक किसी का भी पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है। बचपन में दादाजी इंडिया और अमेरिका की पॉलिटिक्स के बारे में बताते रहते थे। परिवार के साथ इंग्लैंड की पॉलिटिक्स पर चर्चाएं होती थीं। परिवार के सभी सदस्य राजनीति की समझ रखने वाले हैं, मगर राजनीतिक माहौल नहीं था।
परिवार में पहली पॉलिटिशियन मैं ही हूं। मैं बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर में जाना चाहती थी। उसके बाद मैंने इरादा बदला और केंट यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली।

मां बगलामुखी मंदिर में अनुष्ठान करतीं प्रेरणा भारद्वाज।
भास्कर: लगातार दूसरी बार यूके के बकिंघमशायर जैसे काउंसिल की मेयर बनने पर आपको कैसा लग रहा है? क्या आप इस मुकाम तक पहुंचने को लेकर आश्वस्त थीं? प्रेरणा: (हंसते हुए और आंखों में चमक के साथ) यकीन मानिए, ये मेरे लिए भी एक चमत्कार ही है। यह सब बाबा महाकाल और मां बगलामुखी के कारण संभव हो पाया है। मैं इसी साल फरवरी में मध्य प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में गई थी, तब उज्जैन भी गई थी। वहां बाबा महाकाल के दरबार में जो शक्ति महसूस हुई, उसने मुझे अंदर से बदल दिया। उसी दौरान आगर मालवा जिले में मां बगलामुखी के मंदिर में विशेष पूजा और हवन भी करवाया। उस शक्ति का अनुभव आज भी मेरे रोंगटे खड़े कर देता है।
भास्कर: क्या आपने चुनाव जीतने के लिए कोई विशेष पूजा या अनुष्ठान करवाया था?
प्रेरणा-

भास्कर: चुनाव के दौरान आपकी रणनीति क्या रही? आपने किस मुद्दे को प्रमुखता दी जिसने जनता का दिल जीत लिया? प्रेरणा: मैं हमेशा से पर्यावरण और महिलाओं के मुद्दे को लेकर काफी आवाज उठाती रही हूं। पिछले टर्म में मैंने इन पर काफी काम भी किया है। इस बार भी पर्यावरण, स्वच्छता, और महिला सशक्तिकरण, ये तीन मुद्दे मेरे अभियान की आत्मा थे।
मैं चाहती थी कि लोगों को लगे कि मैं सिर्फ वोट मांगने नहीं, बदलाव लाने आई हूं। मैंने पर्यावरण के लिए कई अभियान चलाए, जिसमें सैकड़ों लोग मुझसे जुड़े। मैं हर जगह खुद गई, लोगों से बात की, उनकी समस्याएं सुनी।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होने के दौरान प्रेरणा ने इंदौर में स्वच्छता के काम की जानकारी ली थी।
भास्कर: आपने अपने मध्यप्रदेश के दौरे के दौरान यहां के शहर और यहां के मेयर से मुलाकात की थी? प्रेरणा: जब से मैं मध्य प्रदेश से आई हूं, सिर्फ वहीं की बातें सब से करती हूं। यहां के लोगों को लगने लगा है कि मैं मध्यप्रदेश की रहने वाली हूं। मैंने इंदौर के मेयर से मुलाकात की थी। इंदौर साफ-सुथरा, व्यवस्थित, और पर्यावरण के प्रति काफी जागरूक शहर है।
मेयर पुष्यमित्र भार्गव से मेरी मुलाकात बेहद प्रभावशाली रही। उन्होंने मुझे बताया कि कैसे इंदौर में डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन होता है, लोग खुद गीला-सूखा कचरा अलग करते हैं, और हर मोहल्ला ‘जीरो वेस्ट’ बनने की तरफ बढ़ रहा है।
इंदौर ने पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए डेवलपमेंट के लिए जबरदस्त काम किया है। मैंने सोचा कि जब भारत में ये संभव है तो यूके में क्यों नहीं? मैंने वहां की नीतियों का गहराई से अध्ययन किया और उन्हें बकिंघमशायर में लागू करने की कोशिश की।

प्रेरणा ने महाकाल मंदिर में भी दर्शन-पूजन किया था।
भास्कर: हाल ही में भारत में हुए पहलगाम आतंकी हमले और भारत-पाक तनाव को लेकर आप क्या सोचती हैं? प्रेरणा: मैं भारत से दूर हूं, पर मैं दिल से भारतीय ही हूं। जब पहलगाम का हमला हुआ तो मैं अंदर से हिल गई। कश्मीर, जिसकी खूबसूरती की दुनिया मिसाल देती है, वहां मासूमों पर हमला किया गया। मैं कश्मीर गई हूं, वहां की वादियों में समय बिताया है।
मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और सख्त कार्रवाई की प्रशंसा करती हूं। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि भारत किसी भी कीमत पर अपने लोगों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। पाकिस्तान को भी समझना होगा कि आतंकवाद का समर्थन उसे कहीं नहीं ले जाएगा।

गेरार्ड टाउन के काउंसिल मेंबर्स के साथ मेयर प्रेरणा भारद्वाज।
भास्कर: कीटनाशकों के इस्तेमाल के खिलाफ भी लड़ाई के लिए आप चर्चा में रहीं। कैसा रहा है ये संघर्ष? प्रेरणा: मैं कॉलेज में पढ़ती थी, तब कंजर्वेटिव पार्टी की कोषाध्यक्ष थी। इंग्लैंड में कंजर्वेटिव पार्टी स्टूडेंट्स को पॉलिटिक्स में आने के लिए प्रेरित करती है। पार्टी से जुड़ने के बाद मैंने पेस्टिसाइड (कीटनाशक) के ज्यादा इस्तेमाल के खिलाफ लड़ाई शुरू की थी। बकिंघमशायर प्राकृतिक रूप से समृद्ध शहर है। गेरार्ड टाउन उसका एक हिस्सा है।
वहां पर्यावरण को बचाने के लिए मैंने लोगों को एकजुट किया। बढ़ते शहरीकरण की वजह से अंधाधुंध पेड़ों की कटाई के खिलाफ आवाज उठाई। इसके बाद स्कूली बच्चों के लिए लड़ाई लड़ी। दरअसल, इंग्लैंड की लेबर पार्टी की गवर्नमेंट ने प्राइवेट स्कूलों के लिए 25 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लाद दिया था। इस वजह से पेरेंट्स को बहुत ज्यादा फीस देना पड़ रही थी। बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब हो रही थी।
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प्रेरणा ने कहा- भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां लार्ज स्केल पर चुनाव होते हैं और उससे भी बड़े स्तर पर इलेक्शन कैंपेन होता है।
वे स्टाइलिश हैं, हाथों में कलावा और रुद्राक्ष की माला पहनती हैं, रोज पूजा-पाठ करती हैं। हिंदी बोलने में दिक्कत के बावजूद बड़े प्यार से कहती हैं- नमस्ते इंडिया। वो बचपन में ऐसे माहौल में पली-बढ़ी हैं, जहां का खान-पान, रहन-सहन अलग है लेकिन उन्हें भारतीय भोजन बनाना और खाना पसंद है। पढ़ें पूरी खबर…
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