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बैतूल में मूंग की खेती का रकबा पिछले पांच सालों में दस गुना बढ़कर 20 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। घोड़ाडोंगरी, शाहपुर और दामजीपुरा सहित सभी ब्लॉक में मूंग की खेती हो रही है।
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वर्तमान में मौसम की अनियमितता और कीटों के प्रकोप से फसल को नुकसान हो रहा है। बालियों में फूल आने के समय इल्लियों का प्रकोप बढ़ गया है। किसान बाली आने पर कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं। फली अवस्था में बादल छाए रहने से कीट व्याधि का अनुकूल वातावरण बन जाता है।
बादल छाए रहने से कीटों का प्रकोप बढ़ा किसान अनिल वर्मा ने बताया कि मौसम के बदलाव और आसमान पर लगातार बादल छाए रहने से कीटों का प्रकोप बढ़ा है। उन्होंने पत्तियों और फलियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।

मूंग की खेती का रकबा पिछले पांच सालों में 20 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है।
दोनों सीजन में होती है मूंग की खेती कृषि वैज्ञानिक एस आर राजपूत के मुताबिक मूंग की फसल सर्दी और गर्मी दोनों मौसम में ली जाती है। गर्मियों की फसल का उत्पादन बेहतर रहता है। प्रति एकड़ 6-7 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त होता है। सरकार ने इस साल 3 मार्च से मूंग का समर्थन मूल्य 8 हजार 580 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
कीटनाशकों की तुलना में खरपतवारनाशक ज्यादा हानिकारक फसल को जल्दी तैयार करने के लिए किसान खरपतवारनाशक का प्रयोग करते हैं, जिससे 8-10 दिनों में फसल कट जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार कीटनाशकों की तुलना में खरपतवारनाशक ज्यादा हानिकारक हैं।
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