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छतरपुर में पिछड़ेपन और बदहाली की एक अलग दास्तां निकलकर सामने आई है, जहां एक पिता को अपनी बेटियों को पढ़ाना-लिखना और उन्हें बेटों की तरह पालना-पोषना लोगों को अखर रहा है। इसके लिए वह उन सात बेटियों वाले पिता को नीचा दिखाने से नहीं चूक रहे और मेहनत मजदूरी कर अपनी सात बेटियों का पालन पोषण करने वाले पिता को प्रताड़ित कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक मामला छतरपुर जिले के मातगुवां थाना क्षेत्र के चौका गांव का है जहां के 50 वर्षीय रमेश अहिरवार SP ऑफिस आवेदन लेकर पहुंचा और उसने बताया कि वह मजदूरी कर अपना और अपने परिवार की गुजर बसर करता है। बीती 15 मई को वह गांव में ही एक शादी समारोह में गया था और टेबिल पर बैठकर खाना खा रहा था, तभी गांव के गुन्दा अहिरवार ने खाना खाते वक्त उसके चेहरे पर गर्म सब्जी फेंक दी और उपहास का पात्र बना दिया। सब लोग हंसने लगे। उसने पूछा कि सब्जी क्यों फेंकी तो वह और लोगों के साथ मिलकर गाली-गलौच करने और मारपीट पर उतारू हो गया। इससे वह अपनी बेइज्जती सहकर अपने घर आ गया। इतने में उक्त सभी आरोपीगण एक राय होकर उसके घर में घुस आए जो हाथ में लाठी डंडे लिए थे, उन्होंने उस पर हमला कर दिया। उसकी बेटी ने बचाया तो उस पर प्रहार हो गया। इस बीच उसकी पत्नी और अन्य बेटियां बचाने आईं तो उन्होंने सभी को लाठी-डंडों से पीटा, मारपीट कर सभी आरोपी गाली गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी देते हुए चले गए।
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डर से रात में नहीं जा सका थाने
रात अधिक हो जाने और आरोपियों के डर से वह रात में रिपोर्ट करने थाने नहीं जा सका और दूसरे दिन सुबह थाना मातगुवां में रिपोर्ट करने के लिए गया, लेकिन उसकी उचित रिपोर्ट नहीं निखी गई, जिस कारण वह घायल पत्नी और बेटी के साथ SP ऑफिस न्याय की गुहार लगाने आया है।
सात बेटियों को पढ़ाना-लिखाना लोगों की जलन का कारण
घायल रमेश अहिरवार बताता है कि उसकी सात बेटियां हैं आठवां सबसे छोटा लड़का है। वह अपनी बेटियों को पढ़ा-लिखा रहा है जिसे वह लड़कों की तरह मानकर चलता है और बेटियां भी उसके कदम से कदम मिलाकर लड़कों की तरह हर काम में हर जगह साथ देती हैं, जिसका समाज और गांव के लोगों को बुरा लगता है। यही वजह है कि लोग उसे लज्जित करने और जब मौका मिलता है बेइज्जत करने पर उतारू रहते हैं। रमेश बताता है कि लोग नहीं चाहते कि उसकी बेटियां पढ़ें-लिखें आगे बढ़ें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। वह चाहते हैं कि उन्हें रूढ़िवादी और अनपढ़ रहने दो उन्हें आगे मत बढ़ाओ और उससे कहते भी हैं कि अपनी बेटियों को क्यों पढ़ा-लिखा रहे हो, क्यों लड़कों की तरह रखते हो हर काम में साथ लेते हो। जिस पर मैं उन्हें जवाब दे देता हूं कि मेरी बेटियां हैं, मैं उन्हें चाहे जैसे पढाऊं-लिखाऊं, उन्हें इस लायक बनाऊंगा कि वह अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और अपना मुकाम बना सकें। इसी बात से नाराज पुराने खयालातों वाले समाजजन जलते हैं और मुझसे बुराई मानते हैं और बेइज्जत करने की फिराक में रहते हैं।
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हम अपने पिता की बेटा और बेटियां दोनों हैं
घायल और पीड़ित की बेटी रोशनी अहिरवार, जो कि बीए एलएलबी की सेकेंड ईयर की छात्रा है, बताती है कि वह 7 बहनें और 1 भाई है। भाई सबसे छोटा है। मेरे पिता मेहनत मजदूरी कर हम बहनों को पढ़ा लिखा रहे हैं और हमें बेटों की तरह रखते हैं। हम बहनें भी अपने पिता का हर कदम में बेटा-बेटी दोंनो बनकर साथ देते हैं। पिता का भी हमें भरपूर सहयोग रहता है। और यही वजह है जो लोगों को खलती है। लोग चाहते हैं कि मेरे पिता अपनी बेटियों को न पढाएं, उन्हें आगे न बढ़ने दें, अगर यह आगे बढ़ जाएंगीं तो इनकी तरक्की हो जाएगी और हम पीछे रह जाएंगे। इसके लिए वह हमारे पिता से भी कह चुके हैं पर पिता उनकी बात को अनसुना कर देते और मना भी कर देते हैं। जिससे सभी जलने लगे हैं और हमेशा बेइज्जत करने की फिराक में रहते हैं। रोशनी ने बताया कि इस बार उन्होंने पिता को सिर्फ बेईज्जत करने के उद्देश्य से शादी समारोह में खाना खाते समय मुंह पर सब्जी फेंक दी, पिता के साथ घर आकर मारपीट की। जब हम लोगों ने बचाया तो हमें भी मारा। मेरी आंख में चोट आई है। हम रिपोर्ट करने थाने गए तो सही रिपोर्ट नहीं लिखी तो न्याय और मदद की गुहार लगाने एसपी ऑफिस आए हैं। लोगों को लगता है कि इसके तो बेटियां ही बेटियां हैं यह क्या कर लेगा, पर हम अपने पिता का बेटों की तरह साथ देते हैं और इस बार भी जब पिता के साथ मारपीट की तो उनका डटकर मुकाबला किया, तो क्या अब हमारा बेटियां होना गुनाह है। और अगर यह गुनाह है तो हमें यह गुनाह मंजूर है और हम इसका डटकर मुकाबला करेंगे।

पिता के साथ एसपी ऑफिस पहुंची बेटी।
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