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हंगामा होते देख कुछ देर बाद चौकीदार मौके पर पहुंचा और गेट खोला गया।
छिंदवाड़ा पशु चिकित्सालय में बुधवार देर रात उस समय हंगामा मच गया जब कुछ समाजसेवी युवक एक बीमार गाय के बछड़े को लेकर इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन अस्पताल का मुख्य गेट बंद मिला और वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। बताया गया कि रात करीब 1 बजे युवक पशु चिकित्स
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ASI ब्रजेश रघुवंशी के अनुसार, हंगामा होते देख कुछ देर बाद चौकीदार मौके पर पहुंचा और गेट खोला गया। इसके बाद युवकों ने अस्पताल में दर्ज डॉक्टरों की सूची के आधार पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने कॉल रिसीव नहीं किया। काफ़ी प्रयासों के बाद डॉक्टर छत्रपाल टांडेकर मौके पर पहुंचे और बछड़े की जांच की।

बछड़े की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए ले जाते युवा।
आरोप- इलाज में देरी से बछड़े की मौत हो गई जांच में पता चला कि बछड़े ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। डॉक्टर ने तुरंत उसे ड्रिप चढ़ाई, लेकिन आवश्यक दवाएं स्टोर में बंद होने के कारण समय पर उपचार नहीं हो पाया। इलाज में हुई देरी के कारण बछड़े की मौत हो गई।
घटना से नाराज़ युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। मौके पर कोतवाली पुलिस पहुंची और स्थिति को शांत कराया। बाद में नगर निगम की गाड़ी से मृत बछड़े को ले जाया गया। इसके बाद ही युवक पशु चिकित्सालय से रवाना हुए।
आपात स्थिति में भी बंद रहा अस्पताल, उठे सवाल इस घटना ने छिंदवाड़ा पशु चिकित्सालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रात के समय आपात स्थिति में अस्पताल का बंद होना, डॉक्टरों की अनुपलब्धता और आवश्यक दवाओं का न मिलना प्रशासन की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। स्थानीय समाजसेवियों और नागरिकों ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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