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Saharsa Abhinav Success Story: सहरसा के रहने वाले अभिनव ने एमएनसी के 10 लाख का पैकेज छोड़कर कृषि सेक्टर को चुना. अभिनव ऑस्ट्रेलिया ब्रीड के केचुंए से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं. इनके पास 150 बेड है और हर माह 30 …और पढ़ें
सहरसा का यह युवक कर रहा ऑस्ट्रेलिया ब्रीड के केंचुआ का पालन
हाइलाइट्स
- अभिनव ने एमएनसी की नौकरी छोड़कर कृषि सेक्टर चुना.
- ऑस्ट्रेलिया ब्रीड के केंचुए से जैविक खाद तैयार कर रहे हैं.
- सालाना टर्नओवर 15 लाख से अधिक, 6 लोगों को रोजगार दिया.
सहरसा. बिहार के युवा हर क्षेत्र में कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं और कई बार उनकी मेहनत रंग भी लाती है. आज हम आपको एक ऐसे युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कृषि के क्षेत्र में अनोखा काम किया है. सहरसा के अभिनव ने ऑस्ट्रेलिया ब्रीड केंचुआ का पालन शुरू किया है और इसे देसी अंदाज में आगे बढ़ा रहे हैं. अभिनव पहले मल्टीनेशनल कंपनियों में मैनेजर के पद पर काम कर चुके हैं, लेकिन उनकी असली रुचि कृषि में थी. वे किसानों को जैविक खेती के जरिए बेहतर मुनाफा और अच्छी फसल देने का प्रयास कर रहे हैं.
सहरसा जिले के कहरा प्रखंड के बरियाही में अभिनव ने रेलिकम ऑर्गेनिक प्लांट शुरू किया है, जहां ऑस्ट्रेलिया ब्रीड के केंचुए का पालन होता है. शुरुआत में हरियाणा से लाए गए केंचुए अब इतने बढ़ गए हैं कि अभिनव इन्हें कई राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं. वे केंचुए से जैविक खाद भी तैयार करते हैं और इस प्लांट में कई लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
15 लाख से अधिक है सालाना टर्नओवर
अभिनव ने लोकल 18 को बताया कि वर्मी कंपोस्ट का प्लांट स्थापित किए 2 साल हो चुके हैं. इस प्लांट में कमर्शियल तरीके से जैविक खाद तैयार की जाती है, जो बिहार, बंगाल, झारखंड और अन्य राज्यों में सप्लाई होती है. वर्तमान में 6 लोगों को रोजगार मिला हुआ है और इस प्लांट में 150 बेड में जैविक खाद तैयार की जा रही है. हर माह 30 टन जैविक खाद का उत्पादन हो रहा है और सालाना टर्नओवर 15 लाख से अधिक है. उन्होंने बताया कि एग्रीकल्चर सेक्टर में काफी कुछ सीखने को मिलता है और इस फील्ड से भी लोग आगे बढ़ सकते हैं. आजकल किसान अपने खेतों में केमिकल का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसका असर फसल पर पड़ता है. इसी समस्या को दूर करने के उद्देश्य से इस प्लांट को लगाया गया है, ताकि किसान पुराने रीति-रिवाज अपना सकें.
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10 लाख का पैकेज ठुकरा कर चुना कृषि सेक्टर
अभिनव ने 14 साल तक कॉर्पोरेट इंडस्ट्री में काम किया और कई मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छे पद पर रहे. लाखों का पैकेज मिल रहा था, लेकिन अंतिम चरण में 10 लाख का पैकेज ठुकरा दिया. एग्रीकल्चर सेक्टर में आने का उद्देश्य खेतों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल को खत्म करना है. कई आर्टिकल्स में यह भी दिखाया गया है कि भारत एग्रीकल्चर में काफी आगे आ रहा है और सबसे बड़ी दिक्कत केमिकल से जुड़ी हुई थी. इसे दूर करने के उद्देश्य से इस फील्ड को चुना है और लगातार सफलता मिल भी रही है.
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