[ad_1]
.
ये कहते हुए रीना पहाड़े भावुक हो जाती हैं। रीना के पति विक्की पहाड़े पिछले साल 4 मई को आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के रहने वाले विक्की एयरफोर्स में कॉर्पोरल थे। इस घटना के करीब एक महीने बाद 10 जून 2024 को छिंदवाड़ा के ही रहने वाले सीआरपीएफ जवान कबीरदास उईके भी आतंकी हमले में शहीद हो गए थे।
भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर उन शहीदों की पत्नियों को समर्पित किया है, जिन्होंने 2008 से अब तक हुए आतंकी हमले में अपनी जान गंवाई हैं। दैनिक भास्कर ने छिंदवाड़ा के इन दो परिवारों से मुलाकात कर समझा कि वे ऑपरेशन सिंदूर को किस तरह देख रहे हैं…

दो दिन पहले ही शादी की सालगिरह थी विक्की का परिवार छिंदवाड़ा के नौनिया करबल इलाके में रहता है। जब भास्कर की टीम यहां पहुंची तो विक्की पहाड़े की शहादत की पहली बरसी पर पूरा परिवार इकट्ठा था। विक्की तीन बहनों के इकलौते भाई थे। तीनों बहनें भी बरसी पर घर पर ही थीं। घर में चहल-पहल के बीच उदासी भरा माहौल भी था।
विक्की पहाड़े की पत्नी रीना ने बताया- छोटी बहन की गोद भराई की रस्म थी। इसके लिए 1 महीने की छुट्टी लेकर आए थे। 18 अप्रैल 2024 को ही वे छिंदवाड़ा से ड्यूटी पर लौटे थे। 2 मई को हमारी शादी की सालगिरह थी। मेरी उनसे बात हुई, वो बेहद खुश थे। उनकी छुट्टियां सेंक्शन हो गई थीं। 7 जून को मेरे बेटे का जन्मदिन होता है। वो 6 साल का होने वाला था।
साथ ही दो बहनों की डिलीवरी डेट भी ड्यू थी। हम लोगों ने प्लान किया कि घर में दो डिलीवरी हैं, उसके बाद बेटे का बर्थडे है, पूरा परिवार साथ रहेगा।

4 मई 2025 को विक्की पहाड़े की शहादत को एक साल पूरा हुआ है।
पत्नी बोली- उस रात ने जीवन ही बदल दिया विक्की की पत्नी रीना ने कहा- 4 मई को दोपहर में हम लोगों की बात हुई। उसके बाद रात को साढ़े आठ बजे मेरे पास उनकी बटालियन के सीओ का कॉल आया। उन्होंने कहा- आपके पति की आतंकियों से मुठभेड़ हुई है और वे घायल हैं। ये सुनकर मुझे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ।
मैंने इधर-उधर कॉल लगाना शुरू किए। सूचना मिली कि पुंछ के इलाके में आतंकियों ने राशन ले जा रही यूनिट की गाड़ी पर हमला किया है। कुछ सैनिक घायल हैं। हम लोग रात भर उनके स्वस्थ होने की दुआएं करते रहे। जैसे-जैसे रात गहराती गई, टेंशन बढ़ता गया। सुबह करीब 4 बजे सूचना आई कि वो शहीद हो गए।
वो दिन था और आज का दिन है। वो मनहूस रात अक्सर मुझे याद आती है। उस एक रात ने मेरा पूरा जीवन ही बदल दिया।

उस दिन के वाकये को याद कर रीना भावुक हो जाती हैं।
बेटे के सवालों का जवाब नहीं दे पाती रीना कहती हैं- अभी बॉर्डर पर जो चल रहा है, वह हम बच्चे को नहीं दिखाते हैं। वह अभी बहुत छोटा है। अभी तो हमारे घर में टीवी भी नहीं चल रहा है। वह बस कार्टून देखता है। हम लोग मोबाइल पर सारी गतिविधियां देख रहे हैं। उनसे पूछा कि ऐसा क्यों? तो बोलीं- वह जब भी आर्मी के लोगों को देखता है तो उसके बहुत से सवाल होते हैं।
वह मुझसे पूछता है कि मम्मी वो लोग कौन थे, जिन्होंने पापा को गोली मारी। अब मैं उसका क्या जवाब दूं? मैं केवल इतना कहती हूं कि पापा बेहद बहादुर थे। उन्होंने जो किया, बहुत अच्छा किया है। उसके इतने सारे सवाल हैं कि उनके जवाब देना मेरे लिए मुश्किल होता है।
सरकार ने अच्छा एक्शन लिया है रीना कहती हैं कि सेना ने अभी जो ऑपरेशन सिंदूर चलाया है, वह बेहद अच्छा कदम है। हमें इस बात की खुशी है कि अभी सरकार जो कर रही है, वो उन सभी शहीद विधवाओं के लिए है, जिन्होंने अपने पतियों को सीमा पर खोया है।

बहन बोली- भाई का सपना था बच्चे नौकरी नहीं करेंगे विक्की की बड़ी बहन बबीता मप्र पुलिस में सब इंस्पेक्टर है। वह बताती हैं कि विक्की हम तीनों बहनों का लाडला था। उसने प्रायमरी स्कूल की पढ़ाई हिवरा वासुदेव गांव से की। उसके बाद वह अमरवाड़ा के सिंगौड़ी के नवोदय विद्यालय में पढ़ने चला गया। वहां हमसे दूर हो गया। हम लोगों की इच्छा थी कि पढ़ाई के बाद वह नौकरी करे और हमारे साथ रहे।
इंडियन आर्मी में जाना उसका सपना था। मेरे पिता दिमाक पहाड़े भी सेना में जाना चाहते थे। बबीता बताती है कि उसका बैंक का एग्जाम क्लियर हो गया था, लेकिन उसने आगे इंटरव्यू की तैयारी नहीं की बल्कि वह सेना में जाने की तैयारी करता रहा। 2011 में उसका एयरफोर्स में सिलेक्शन हो गया। इसके बाद उसी ने छिंदवाड़ा में बाकी बहनों के लिए घर बनाया।
साल 2018 में उसकी शादी हुई। दो साल बाद बेटा हुआ। वह बहुत खुश था। कहता था- पुंछ की फील्ड पोस्टिंग पूरी होने के बाद आमला या नागपुर में फैमिली पोस्टिंग मिलेगी। साल 2031 तक सेना में रहने के बाद घर लौटूंगा तो बिजनेस करूंगा।

अब जानिए शहीद कबीरदास उईके के बारे में….

ग्रेजुएशन के दौरान ही सीआरपीएफ में सिलेक्शन विक्की के एक महीने बाद जून में शहीद होने वाले कबीर दास उईके ने भी परिवार को लेकर कई सपने संजोए थे। उइके की पत्नी ममता छिंदवाड़ा में आठवीं बटालियन क्वार्टर में रहती है। ममता के पिता इसी बटालियन में हवलदार है। ममता बताती हैं, कबीर बिछुआ के पुलपुल गांव के रहने वाले थे, उनके परिवार में मम्मी जी दो छोटी बहनें और एक छोटा भाई है।
घर में सबसे बड़े होने के नाते उन पर परिवार की जिम्मेदारी थी। जब वो बीएससी सेकेंड ईयर में थे तभी 2011 में उनका सिलेक्शन सीआरपीएफ में हो गया। भोपाल में ट्रेनिंग के बाद पहली पोस्टिंग शिवपुरी के करैरा में हुई। यहां से वह सीधे जम्मू चले गए। वहां अगले दस साल तक रहे। वे सीआरपीएफ की 121वीं यूनिट में थे।

कबीर की पत्नी ममता अपने पिता के साथ रहती है।
लॉकडाउन में हुई शादी, दो साल में उजड़ गया सुहाग
ममता बताती हैं, लॉकडाउन के दौरान 2021 में हमारी शादी हुई। तब पाबंदी के चलते मैं उनके साथ नहीं जा पाई। इसी बीच उनकी यूनिट कठुआ में पोस्टेड हो गई। वे छुट्टियों में घर आते थे, लेकिन हमें कभी लगातार लंबे समय साथ रहने का मौका नहीं मिल सका। हम रोजाना मोबाइल पर बात करते थे। वो मुझे कभी किसी खतरे के बारे में नहीं बताते थे।
हम लोगों का शाम को मोबाइल पर बात करने का टाइम फिक्स था। 10 जून को भी शाम को हमारी बात होने वाली थी। मुझे कबीर ने नहीं बताया था कि वह पेट्रोलिंग पर जाने वाले हैं। मैं निश्चिंत थी कि कुछ देर बाद उनसे बात होगी। जब फोन नहीं आया तो मुझे चिंता हुई, लेकिन फिर मैंने सोचा कि किसी काम में बिजी होंगे।

जब बॉडी घर आई तभी मुझे भरोसा हुआ कि अब वो नहीं है
बबीता बताती है कि जब हमने यूनिट में कॉल किया, तो पता चला कि कठुआ में आतंकी हमला हुआ है। आतंकियों ने पेट्रोलिंग कर रही सीआरपीएफ की टुकड़ी पर घात लगाकर हमला किया है। कुछ ही देर में छिंदवाड़ा से कॉल आने शुरू हो गए। कबीर डयूटी पर थे, आतंकियों ने छुपकर गोली चलाई थी। उन्होंने आतंकियों पर जवाबी हमला किया और उनमें से तीन को मार गिराया था।
ये भी पता चला कि आतंकी नाइट विजन गैजेट्स पहनकर आए थे उन्होंने अंधेरे का फायदा उठाकर छुपकर गोलीबारी की हमारे सैनिक डटकर लड़े। मुठभेड़ में आतंकी भी मारे गए, लेकिन कबीर शहीद हो गए।कबीर को सीने पर गोली लगी थी, उन्हें बचाया नहीं जा सका। मैं सोच भी नहीं सकती थी कि जिस इंसान ने कहा था कुछ देर बाद कॉल करता हूं, कभी उसका कॉल ही नहीं आएगा।

12 जून 2024 को पूरे राजकीय सम्मान के साथ कबीर का अंतिम संस्कार किया गया था।
भारत ने जो कदम उठाया वो बिल्कुल सही-ममता
ममता से ऑपरेशन सिंदूर के बारे में पूछा तो बोलीं- भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जो कदम उठाया है वो बिल्कुल सही है। मेरा सिर्फ इतना कहना है कि जो सैनिक मोर्चे पर डटे हैं वे अपना ख्याल रखें। परिवार उनका इंतजार कर रहा है। आप लोग देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं वो गर्व की बात है।
वह कहती हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों की फैक्ट्री बन चुका है। सारे आतंकवादी पाकिस्तान से ही आते हैं ये किसी से छिपा नहीं है। इस बार हमने उनकी जड़ों पर हमला किया है, ये सबसे सही एक्शन है।

मैं हाउस हसबैंड बनूंगा, तुम जॉब करना
ममता ने जुलाई 2024 में छिंदवाड़ा की गर्वमेंट आईटीआई में नौकरी जॉइन की है। वे यहां अस्सिटेंट ग्रेड थ्री की पोस्ट पर हैं। वह बताती है कि कबीर बेहद सुलझे हुए इंसान थे, उन्होंने मुझे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया था। उन्हीं की प्रेरणा से मैने फिर से पढ़ाई शुरू की थी। वो कहते थे कि 2031 तक मेरी 20 साल की सर्विस पूरी हो जाएगी।
तब तक तुम्हारी जॉब लग जाएगी, अपने बच्चे होंगे तब मैं हाउस हसबैंड की भूमिका निभा लूंगा। बच्चों की देखभाल करुंगा तुम नौकरी करना। इसी बीच उनका ट्रांसफर भोपाल हो गया, कुछ काम था, इसलिए वे यूनिट में रुके हुए थे। 15 जून 2024 शनिवार को उन्हें यूनिट से निकलना था, बस गिनती के दिन रह गए थे, मैं पूरी तरह निश्चिंत थी कि अब वे पास आने वाले हैं।
इस फैमिली पोस्टिंग के कुछ समय में ही वे सिविल में आ जाएंगे। मगर, होनी को कुछ और ही मंजूर था। ममता कहती है कि मेरे पति चाहते थे कि मैं सिविल सर्विस में जाऊं, इसलिए जॉब के साथ सिविल सर्विस की तैयारियां कर रही हूं।

[ad_2]
Source link



