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रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत मिले कि यह मामला आत्महत्या का था।
गुना की चौधरन कॉलोनी में 14 फरवरी को 15 वर्षीय अभ्युदय जैन की मौत के मामले में पुलिस ने अब खारिजी रिपोर्ट पेश कर दी। SIT ने जांच में माना कि गलत मामला दर्ज हुआ था। भोपाल मेडिकल कॉलेज की विशेषज्ञ रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने इसे हत्या नहीं, बल्कि आत्मह
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दरअसल, एक्सपर्ट डॉक्टर की रिपोर्ट के एक शब्द ने पूरे मामले की दिशा बदल दी। इसी एक शब्द के चलते जिस मां को बेटे की हत्या का आरोपी माना जा रहा था, उसे अब पुलिस ने पूरी तरह निर्दोष बताकर क्लीन चिट दे दी है।
सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र रघुवंशी ने रिपोर्ट की व्याख्या करते हुए बताया कि ‘एंटी मॉर्टम’ का मतलब है- मौत से पहले हुई घटना। चाहे गला दबाया गया हो (स्ट्रैंगुलेशन) या फंदे से लटकाया गया हो। हैंगिंग में व्यक्ति स्वयं फंदे पर लटकता है, जिससे सांस रुकने से मौत होती है, जबकि स्ट्रैंगुलेशन में किसी बाहरी कारण से गला दबने से दम घुटता है। यह दुर्घटनावश भी हो सकता है और जानबूझकर भी किया जा सकता है। दोनों ही स्थितियों में एस्फिक्सिया (दम घुटना) होता है, लेकिन रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत मिले कि यह मामला आत्महत्या का था।

अभ्युदय का बाथरूम में शव मिलने के बाद पोस्टमॉर्टम कराया गया था।
14 फरवरी को बाथरूम में मृत मिला था अभ्युदय बता दें कि 14 वर्षीय अभ्युदय जैन 14 फरवरी को अपने बाथरूम में मृत अवस्था में मिला था। पुलिस ने पीएम करने वाले डॉक्टरों की राय और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उसकी मां अलका जैन को उसकी हत्या का आरोपी माना था। 22 फरवरी को इस मामले में कोतवाली थाने में FIR दर्ज की गई थी। 8 मार्च को पुलिस ने आरोपी मां अलका जैन को गिरफ्तार किया था, तभी से वह जेल में बंद है।
अभ्युदय के पिता अनुपम जैन पुलिस की इस जांच से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने इस मामले की जांच गुना से बाहर वरिष्ठ अधिकारी से कराए जाने के लिए IG को आवेदन दिया था। उनके आवेदन पर IG ग्वालियर ने DIG के नेतृत्व में जांच कराने की बात कही थी। DIG अमित सांघी ने शिवपुरी में अजाक DSP अवनीत शर्मा को नई SIT का हेड बनाया था। डेढ़ महीने से नई SIT मामले की जांच कर रही थी।
नई SIT ने इस मामले में पीएम रिपोर्ट पर भोपाल के गांधी मेडिकल डॉक्टरों से मेडिको लीगल राय मांगी। GMC के डॉक्टरों की इस रिपोर्ट में बताया गया कि अभ्युदय की मौत फांसी पर लटकने से हुई थी। इसी आधार पर SIT ने अलका जैन को बेकसूर माना और खारिजी रिपोर्ट पेश की।

अभ्युदय का शव मिलने के बाद मां अलका पर मर्डर की FIR हुई थी।
पढ़िए, गुना और भोपाल के डॉक्टरों की राय इस मामले में 15 फरवरी को गुना में अभ्युदय के शव का पोस्टमॉर्टम किया गया। तीन डॉक्टर महेंद्र किरार, डॉ सतीश सिनोरिया और डॉ ध्रुव कुशवाह ने पीएम किया। पीएम रिपोर्ट में इन डॉक्टरों ने ओपिनियन दिया। इस ओपिनियन में उन्होंने लिखा – “हमारी राय में, मृतक अभ्युदय जैन की मौत का कारण मृत्युपूर्व गला घोंटना था। हालांकि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य को सह-संबंधित किया जाना चाहिए। ” अंग्रेजी में इसे “एंटी मॉर्टम स्ट्रैंगुलेशन” कहा गया।
नई SIT ने GMC के डॉक्टरों से ओपिनियन मांगा। GMC के मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट के इंचार्ज डॉक्टर आशीष जैन अपने ओपिनियन में लिखा – “इस मामले में पीएम रिपोर्ट में उल्लेखित निष्कर्षों के आधार पर मृतक अभ्युदय जैन की मौत का कारण एंटीमॉर्टम हैंगिंग (फांसी लगाना) है। एंटीमॉर्टम हैंगिंग आमतौर पर आत्महत्या की प्रकृति की होती है, जब तक कि वैज्ञानिक आधार पर अन्यथा साबित न हो जाए।” अंग्रेजी में यहां “एंटी मॉर्टम हैंगिंग” कहा गया।
इस एक शब्द के कारण ही इस मामले की पूरी दिशा बदल गई। एंटी मॉर्टम स्ट्रैंगुलेशन के कारण जहां अभ्युदय की मां को उसकी हत्या का दोषी माना गया था, वहीं एंटी मॉर्टम हैंगिंग के कारण उसे निर्दोष मान लिया गया। केवल एक शब्द के बदल जाने से पूरे केस की दिशा बदल गई। दैनिक भास्कर ने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र रघुवंशी से समझा की आखिर ये हैंगिंग और स्ट्रैंगुलेशन शब्दों के क्या मायने हैं, जिनके कारण केस का रुख दूसरी दिशा में मुड़ गया।
डॉक्टर बोले- हमारे अनुभव के आधार पर रिपोर्ट सही इधर, पीएम करने वाले डॉक्टरों के पैनल में शामिल एक डॉक्टर ने बताया कि हमने जो ओपिनियन दिया था, वो तीनों डॉक्टरों के अनुभव के आधार पर दिया था। हमारे अनुभव के आधार पर रिपोर्ट सही थी। हमारा ओपिनियन था कि मौत का कारण गला घुटना है। हमने उसमें यह कहीं भी मेंशन नहीं किया था कि हत्या हुई है या सुसाइड।

मां अलका के साथ अभ्युदय।
पुलिस ने कहा- गलत FIR हुई मामले में एक्सपर्ट डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने माना कि अभ्युदय जैन ने सुसाइड किया है। इसके बाद सोमवार को पुलिस ने CJM कोर्ट में खारिजी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में पुलिस ने यह माना है कि अलका जैन पर मामला गलत दर्ज हुआ है। इसलिए उसे रिहा किया जाए। लेकिन कोर्ट ने फिलहाल जमानत देने से इनकार कर दिया।
जानिए, खारिजी रिपोर्ट क्या होती है जब कोई भी FIR दर्ज होती है, तो पुलिस उसमें जांच के बाद तीन काम करती है। पुलिस या तो उसमें चालान पेश करती है, या उसमें खात्मा लगाती है, या फिर खारिजी रिपोर्ट पेश करती है।
- चालान: अगर विवेचना में पुलिस को आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिल जाते हैं, तो वह आरोपी को दोषी मानते हुए कोर्ट में चालान पेश करती है। इसी के आधार पर आगे का ट्रायल होता है।
- खात्मा: वहीं अगर किसी केस में विवेचना के बाद पुलिस को आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिलते हैं, तो वह खात्मा रिपोर्ट पेश करती है। इसमें यह माना जाता है कि अपराध तो हुआ, लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
- खारिजी: वहीं किसी मामले में खारिजी लगाने का मतलब होता है कि मामला ही गलत दर्ज हो गया था। पुलिस इसमें आरोपी को निर्दोष साबित करते हुए कोर्ट में मामला खत्म करने के लिए रिपोर्ट पेश करती है।

अभ्युदय की मौत के बाद डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया।
पढ़िए, एक्सपर्ट डॉक्टरों की राय का आधार बने पांच प्वाइंट…
- पुलिस द्वारा प्रस्तुत फोटोग्राफ में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। तिरछा लिगेचर मार्क (गर्दन पर निशान) आमतौर पर फांसी के मामलों में देखा जाता है।
- पीएम रिपोर्ट में उल्लेख के अनुसार लिगेचर मार्क बाधित था। गला घोंटने का लिगेचर मार्क (गर्दन पर निशान) आमतौर पर गर्दन को पूरी तरह से घेरता है, जो इस मामले में नहीं देखा गया।
- मुंह से लार टपक रही थी जिसका उल्लेख नक्ष पंचायतनामा में किया गया है और पीएम रिपोर्ट में भी दर्ज किया गया है। लार का टपकना मृत्यु से पहले फांसी लगाने के पुष्टिकरण संकेतों में से एक है और गला घोंटने में कभी नहीं देखा जाता है।
- पीएम रिपोर्ट के अनुसार, गले के दाहिनी ओर ह्यॉइड (hyoid ) हड्डी टूटी हुई थी। गला घोंटने में ह्यॉइड हड्डी का फ्रैक्चर असामान्य है, लेकिन फांसी के मामलों में आम तौर पर देखा जाता है।
- पीएम रिपोर्ट के अनुसार मूत्रमार्ग के छेद के आसपास स्राव था। हैंगिंग मामलों में अनैच्छिक वीर्य स्राव आमतौर पर ग्लान्स लिंग के सिरे पर देखा जाता है, लेकिन गला घोंटने के मामलों में यह असामान्य है।
अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगी अलका, जमानत याचिका निरस्त कोर्ट ने अभ्युदय की मां की जमानत खारिज कर दी है। मंगलवार को जमानत के लिए आवेदन लगाया गया था। सरकारी वकील ने इस पर मौखिक आपत्ति पेश की। बुधवार को जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया। ऐसे में फिलहाल अलका जैन को जेल में ही बंद रहना होगा। पूरी खबर पढ़िए…
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