Home अजब गजब HMT Watches: भारत की पहली स्वदेशी घड़ी का इतिहास.

HMT Watches: भारत की पहली स्वदेशी घड़ी का इतिहास.

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HMT Watches Story: अगर आप 1980 या 1990 के दशक में बड़े हुए हैं, तो शायद आपके पिताजी या दादाजी की कलाई पर जो चमकती घड़ी देखी होगी, संभव है कि वह घड़ी HMT की रही हो. उस समय HMT घड़ी सिर्फ समय बताने वाली एक मशीन नहीं थी, बल्कि सम्मान और रुतबे का प्रतीक थी. नौकरी लगने पर, रिटायरमेंट पर या शादी के मौके पर घड़ी देना और पाना गर्व की बात मानी जाती थी. उस जमाने में जब हर चीज बाजार में आसानी से नहीं मिलती थी, तब HMT ने लोगों को भरोसेमंद और टिकाऊ घड़ियां दीं. लेकिन आज उस ब्रांड का नाम लेने वाला भी कोई नहीं बचा है. नई पीढ़ी ने तो शायद कभी उस ब्रांड का नाम भी नहीं सुना होगा, जो कभी बहुत खास हुआ करता था. फिर भी यह जानना दिलचस्प है कि कैसे भारत की वह घड़ी समय की रफ्तार से पीछे रह गई?

HMT का पूरा नाम था ‘हिंदुस्तान मशीन टूल्स’. इसकी शुरुआत 1953 में भारत सरकार ने की थी. इसका मकसद था देश में मशीन टूल्स का निर्माण करना, ताकि हम औद्योगिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें. लेकिन 1961 में जब कंपनी ने जापान की सिटीजन (Citizen) कंपनी के साथ मिलकर घड़ियां बनाना शुरू किया, तब एक नया इतिहास लिखा गया. यह भारत की पहली स्वदेशी घड़ी थी. धीरे-धीरे ये घड़ियां लोगों की ज़िंदगी का हिस्सा बन गईं. HMT की घड़ियों में ‘जनता’, ‘पायलट’, ‘कंचन’, ‘सोनार’, ‘कोहिनूर’ जैसी घड़ियां हर वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही थीं. उस दौर में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी HMT की घड़ी पहनी थी और इसे द टाइमकीपर ऑफ द नेशन (The Timekeeper of the Nation) कहा था.

क्यों स्पेशल थी HMT की घड़ी
HMT की खासियत थी इसकी सादगी, टिकाऊपन और भरोसा. गांव से लेकर शहर तक, हर किसी के पास एक न एक HMT घड़ी ज़रूर होती थी. यह केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि एक भावना बन चुकी थी. हर नौकरीपेशा व्यक्ति को उसकी पहली सैलरी या प्रमोशन पर HMT घड़ी मिलती थी. शादी में यह एक आदर्श तोहफा होती थी. धीरे-धीरे समय बदलता गया, लेकिन HMT वहीं का वहीं रह गया.

1990 के बाद जब बाजार में टाइटन जैसे नए ब्रांड्स आए, तो घड़ियां सिर्फ ज़रूरत की चीज़ नहीं रहीं. घड़ियां तब फैशन का हिस्सा बन गईं. टाइटन ने डिज़ाइन, मार्केटिंग और स्टाइल पर काफी काम किया. चूंकि वह टाटा का एक ब्रांड था, लोगों ने उसे पसंद करना शुरू कर दिया. दूसरी तरफ HMT ने न तो डिज़ाइन बदले, न ही समय के साथ तकनीक में बदलाव किया.

दूसरी बात ये कि एचएमटी एक सरकारी कंपनी थी, और इसमें हर फैसले पर अप्रूवल आने के लिए लंबा समय लग जाता था. कंपनी को लग रहा था कि मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं, क्योंकि लोग ब्रांड पर भरोसा करते हैं. प्रतिस्पर्धा को नजरअंदाज करना HMT को भारी पड़ा और उसकी घड़ियां धीरे-धीरे दुकानों से गायब होने लगीं.

सन 2000 के बाद कंपनी को भारी नुकसान होने लगा. कई फैक्ट्रियां बंद होने लगीं. आखिरकार 2016 में भारत सरकार ने HMT Watches और HMT Chinar Watches को पूरी तरह बंद कर दिया. हज़ारों कर्मचारी वीआरएस लेकर रिटायर हो गए और देश का एक सुपर ब्रांड सिर्फ यादों में रह गया.

अब क्या करती है HMT कंपनी?
HMT घड़ियां बनाने वाली मूल कंपनी आज भी मशीन टूल्स और ट्रैक्टर जैसे क्षेत्रों में काम कर रही है. आज भी कई घड़ी प्रेमी पुराने HMT मॉडल जमा करते हैं. कुछ स्टार्टअप इन पुरानी घड़ियों को नया रूप देकर बेचते हैं.

हालांकि 2016 में HMT ने अपने वॉच डिवीजन को भारी घाटे की वजह से बंद कर दिया था, लेकिन 2019 में कंपनी ने दोबारा घड़ियों का उत्पादन शुरू किया. इसके पीछे कलेक्टर्स और घड़ी प्रेमियों की मांग बड़ी वजह बताई गई. HMT की आधिकारिक वेबसाइट (www.hmtwatches.in) पर आज भी कई तरह के मॉडल देखने को मिलते हैं. इनमें क्वार्ट्ज, ऑटोमैटिक और मैकेनिकल घड़ियां शामिल हैं.

हालांकि, अब यह मैन्युफैक्चरिंग पहले की तुलना में बहुत कम है. घड़ियों के कुछ पुर्जे अब Miyota/Citizen जैसी विदेशी कंपनियों से मंगवाए जाते हैं और कुछ मैन्युफैक्चिंग का काम भी थर्ड पार्टी कंपनियों को सौंपा गया है.

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