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Khandwa collector gave notice to SDM | खंडवा कलेक्टर ने SDM को दिया नोटिस: आदिवासी की जमीन बिक्री केस में बगैर जांच प्रकरण भेजा; एसडीएम बोले- यह रोज का काम – Khandwa News

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अपनी कोर्ट में एक प्रकरण को पढ़कर खंडवा कलेक्टर दंग रह गए, उन्होंने तत्काल एसडीएम को फोन कर लताड़ा। फिर लिखित में नोटिस देकर जवाब मांग लिया। नोटिस में पूछा कि- आपका कृत्य शासकीय काम में लापरवाही और अनुशासनहीनता को दर्शाता है। क्यों ना आपके खिलाफ एक्शन

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यह था मामला

दरअसल, मामला आदिवासी किसान की जमीन बेचने की अनुमति से जुड़ा है। जिले के गुड़ीखेड़ा के एक किसान ने अपनी 9 एकड़ जमीन गैर आदिवासी को बेचने के लिए कलेक्टर से परमिशन मांगी थी। कलेक्टर ने आदिवासी किसान के आवेदन को एसडीएम को भेजकर जांच कराने को कहा था। इस मामले में एसडीएम ने तहसीलदार से जांच कराई।

जांच के दौरान तहसीलदार ने जो रिपोर्ट बनाई, उस रिपोर्ट में और एसडीएम की रिपोर्ट में फर्क पाया गया। तहसीलदार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि किसान यदि 9 एकड़ जमीन बेच रहा है तो उसके पास बाकी एक एकड़ जमीन ही शेष रह जाएगी। नियम का कहता है कि, आदिवासी के पास सिंचित जमीन न्यूनतम 5 एकड़ और असिंचित जमीन न्यूनतम 10 एकड़ होना चाहिए।

एसडीएम ने रिपोर्ट देखें बिना कलेक्टर को भेजी

एसडीएम ने तहसीलदार की रिपोर्ट का अवलोकन और अपने स्तर पर सूक्ष्म परीक्षण किए बगैर ही कलेक्टर को प्रतिवेदन भेज दिया। एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में आदिवासी किसान के आवेदन को उचित बताया और जमीन विक्रय संबंधी अनुमति के लिए अभिमत दें दिया। जब कलेक्टर के पास फाइल पहुंची तो उन्होंने तहसीलदार की रिपोर्ट को पढ़ लिया। इसी दौरान एसडीएम की लापरवाही उजागर हो गई।

खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता।

खंडवा कलेक्टर ऋषव गुप्ता।

एसडीएम की रिपोर्ट में किसान की शेष जमीन का उल्लेख नहीं था

आदिवासी किसान कृपाराम पिता गुलाल अरसे ने उसकी ग्राम गुडीखेडा स्थित जमीन (खसरा नंबर 285 रकबा 3.47 हेक्टेयर यानी करीब 9 एकड़) को गैर आदिवासी को बेचने के लिए अनुमति चाही थी। इस मामले में खंडवा एसडीएम बजरंग बहादुर को जांच करके कलेक्टर को प्रतिवेदन भेजना था।

तहसीलदार ने रिपोर्ट में बताया कि आवेदक के जमीन बेचने के बाद उसके पास 0.720 हेक्टेयर (करीब सवा एकड़) जमीन शेष रह जाएगी। जबकि एसडीएम बजरंग बहादुर की रिपोर्ट में शेष जमीन का उल्लेख ना करते हुए जमीन बेचने की अनुमति देना प्रस्तावित कर दिया गया।

कलेक्टर ने कहा- एसडीएम ने स्वेच्छाचारिता का परिचय दिया

कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने कहा कि एसडीएम बजरंग बहादुर ने मप्र भू-राजस्व संहिता की धारा 165 (6) के प्रावधानों के अनुरूप कार्रवाई नहीं की। साथ ही तहसीलदार के प्रतिवेदन का भी बारीकी से जांच और अवलोकन नहीं किया। उनका दायित्व था कि उक्त प्रकरण व तहसीलदार के प्रतिवेदन की जांच कर कार्रवाई करते।

लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया। इस प्रकार उन्होंने सौंपे गए दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही बरती और स्वेच्छाचारिता का परिचय दिया। जो कि अनुशासनहीनता एवं शासकीय कार्य के प्रति लापरवाही को दर्शाता है। उक्त कृत्य से शासकीय कार्य प्रभावित हुआ हैं। जो कि मप्र सिविल सेवा (आचरण) नियम के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता हैं।

नोटिस देकर पूछा गया है कि, क्यों न आपके उक्त कृत्य के लिए मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम के अंतर्गत आपके विरूद्व अनुशासनात्मक कार्रवाई कर दंडित किया जाए। इस संबंध में नोटिस मिलते ही समक्ष उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत करें। यदि समय-सीमा में जवाब नहीं मिलता तो यह मानकर कार्रवाई की जाएगी कि आप इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहते है, जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार रहेंगे।

एसडीएम बोले- नोटिस रोज का काम, जवाब देंगे

इधर, मामले में एसडीएम बजरंग बहादुर का कहना है कि, नोटिस मिलना तो रोज का काम हो गया है। जो नोटिस मिला है, उसका जवाब भी एक-दो दिन में दें दूंगा।

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