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Preparation for land allotment for new plant | ग्वालियर में नए प्लांट के लिए जमीन आवंटन की तैयारी: केदारपुर लैंडफिल साइट के आसपास 24 स्कूल-कॉलेज और हॉस्पिटल, कचरे से हजारों लोगों की जान जोखिम में – Gwalior News

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यह बादल नहीं बल्कि शहर के कचरे से उठा धुआं का गुबार है। यह आसपास स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिअल व घरों में रहने वालों को बीमार कर रहा है।

ग्वालियर के केदारपुर में अब नई लैंड फिल साइट (सीबीजी प्लांट एवं ठोस अवशिष्ट प्रसंस्करण अधोसंरचना व सेनेट्री प्लांट) के लिए जमीन आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए शासन और प्रशासन ने प्लांट के लिए तय गाइड लाइन के नियमों को भी ताक पर रख द

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अफसरों की गलत प्लानिंग के कारण शहर में फिर एक प्रोजेक्ट विवादों में आ गया है। जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने शिवपुरी लिंक रोड स्थित केदारपुर में नई लैंड फिल साइट के लिए जगह चुनकर उसके आवंटन की प्रक्रिया शुरू कर दी। जबकि, नियमों के अनुसार इस जमीन को प्लांट के लिए चुना ही नहीं जा सकता। क्योंकि, इसके 200 से 300 मीटर के दायरे में न सिर्फ आवासीय बस्तियां बल्कि दो दर्जन से ज्यादा स्कूल, अस्पताल भी हैं। यहां 24 से ज्यादा स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल, मैरिज गार्डन व कई औद्योगिक इकाई हैं। शासन ने वहां लोगों को रहने के लिए 500 पट्‌टे दिए हैं।

इन स्कूलों में 35 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं और कई स्कूलों के हॉस्टल में बच्चे रहते भी हैं। जिनके जीवन पर इस प्लांट से निकलने वाली जहरीली गैस सीधे तौर पर संकट लाएंगी। अफसरों के इस गलत चयन पर क्षेत्र के दर्जनों रहवासियों ने लश्कर एसडीएम के यहां लिखित में आपत्तियां दर्ज कराकर कहा है कि लैंड फिल साइट को कहीं शहर से बाहरी क्षेत्र में बनाया जाए। मौजूदा प्रस्तावित जगह के कारण मानव जीवन के लिए जानलेवा खतरे पैदा होंगे। स्थानीय लोगों का कहना है लैंड फिल साइट पर जमे कचरे के पहाड़ों से आने वाली दूषित हवा से लोग बीमार हो रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस हवा से फेफड़े इस कदर खराब हो सकते हैं, जैसे सालों से स्मोकिंग कर रहे हो।

मैप, जिसमें गुलाबी रंग में रिहायशी इलाका, पीले रंग में प्लांट के लिए चिह्नित जमीन, जबकि उनके बीच में स्थापित स्कूल व कॉलेज।

मैप, जिसमें गुलाबी रंग में रिहायशी इलाका, पीले रंग में प्लांट के लिए चिह्नित जमीन, जबकि उनके बीच में स्थापित स्कूल व कॉलेज।

कलेक्ट्रेट में ये आपत्तियां पहुंची

  • केदारपुर निवासी अमर सिंह चौहान, नेतराम वंशकार, दीपू जाटव, लखाराम कुशवाह, लेखराज पाल, नरेश कुशवाह समेत 20 से अधिक लोगों ने लश्कर एसडीएम के यहां आपत्ति देकर बताया है कि हम लोग पिछले कई दशकों से यहां रह रहे हैं। इस प्लांट के कारण हम लोगों का जीना मुश्किल हो जाएगा और हम गंभीर बीमारियों की चपेट में आ जाएंगे। इस प्लांट को यहां न लगाकर किसी आबादी विहीन जगह पर लगाया जाए।
  • जय भोलेनाथ मिष्ठान भंडार के प्रबंधन द्वारा भी लश्कर एसडीएम के यहां लिखित आपत्ति प्रस्तुत की गई है कि चिह्नित जमीन के बीच सर्वे नंबर 139 पर प्रबंधन की फूड प्रोसेसिंग यूनिट संचालित है। साथ ही इससे 200 मीटर के दायरे में दर्जनों स्कूल, हॉस्टल, अस्पताल हैं।
  • फूटी कॉलोनी के विस्थापितों को भी इस चिह्नित जमीन के नजदीक ही घर दिए गए हैं। यहां रहने वाले कमल किशोर, बलराम सिंह, केदार गुर्जर समेत अन्य लोगों ने आपत्ति लगाई है कि शासन ने हमारी आर्थिक स्थिति देखकर यहां घर दिए हैं। यदि ये प्लांट लगा और हम लोग बीमार हुए तो हमारे पास इलाज खर्च तक के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है। इसलिए यह प्लांट यहां नहीं लगाया जाए।
यह कचरे से उठा धुआं व निष्पादन से निकली जहरीली गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

यह कचरे से उठा धुआं व निष्पादन से निकली जहरीली गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

ये जगह चुनी, वाटर लेवल पर भी खतरा केदारपुर में सर्वे नंबर 122, 123, 124, 125, 127, 130, 131, 137, 151, 152, 153, 154, 155 और 161 की जमीन चिह्नित की गई है। जिस पर ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण अधोसंरचना एवं सेनेटरी प्लांट लगाया जाना प्रस्तावित है। इस क्षेत्र में वाटर लेवल (भू-जल स्तर) भी अच्छी स्थिति में नहीं है और यदि ये प्लांट शुरू हुआ तो कचरा व उसके निष्पादन की प्रक्रिया से वाटर लेवल और बिगड़ेगा। क्योंकि, कचरा पानी के सोर्स को बंद करने का काम करेगा।

डॉक्टर बोले-बिना स्मोकिंग के खराब होंगे फेफड़े अभी वर्तमान में केदारपुर में पुराने कचरे के पहाड़ बन गए हैं, जिनका निष्पादन करने की कोई योजना नहीं है। यहां दिन में भी आग सुलगती रहती है। इससे उठने वाला धुआं यहां चल रहे स्कूल, कॉलेज व रहने वालों की सांसों में जा रहा है। नए प्लांट से परेशानी और बढ़ेगी। जयारोग्य अस्पताल समूह के डॉक्टर अनिल मेवाफरोश का कहना है कि यहां से काफी मरीज ओपीडी में आते हैं। कचरे के निष्पादन का काम शहर की आबादी से दूर होना चाहिए। यहां कचरे से उठने वाला जहरीला धुआं लोगों के फेफड़े इस कदर खराब कर देगा जैसे 15 से 20 साल लगातार स्मोकिंग के बाद होता है।

केदारपुर के लोग बोले-सांस की बीमारी हो रही है जेएएच की ओपीडी में आई केदारपुर निवासी त्रिवेणी का कहना है कि लैंड फिल साइट्स से अभी ही जीना मुश्किल है। हवा के साथ जहरीली गैस हमारी सांस में जा रही है। मुझे सांस की बीमारी हो गई है। मैं जेएएच की ओपीडी में आई हूं। मेरा जीवन संकट में है। पर इस नए प्लांट के चलते हजारों युवाओं व बच्चों के साथ स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की जा रही है।

यह प्लांट शहर की आबादी से बाहर होना चाहिए एडवोकेट धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि प्लांट शहर की आबादी से दूर होना चाहिए। उसके बाद भी यह प्लांट लगाया जा रहा है। इसके दायरे में जितने भी स्कूल, कॉलेज व हॉस्पिटल आ रहे हैं वहां आने वालों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसके खिलाफ यह लोग कोर्ट की शरण ले सकते हैं। आवंटन को लेकर प्रकिया चल रही है इस मामले में लश्कर एसडीएम नरेंद्र बाबू यादव और झांसी रोड एसडीएम अतुल सिंह का कहना है कि जमीन आवंटन को लेकर प्रक्रिया चल रही है। आपत्तियां आई हैं। उनका भी निराकरण किया जा रहा है। प्रोजेक्ट प्रस्तावित है इस मामले में नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने बताया कि केदारपुर में प्रोजेक्ट प्रस्तावित है। लोगों की आपत्तियां आई हैं, जिन पर विचार किया जा रह है।

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