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कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते तहसीलदार संघ के प्रतिनिधि।
जबलपुर ईओडब्ल्यू ने भूपेंद्र सिंह की शिकायत पर गोरखपुर तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है, जिसके विरोध में जबलपुर के तमाम तहसीलदार और पटवारी लामबंद हो गए हैं।
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शुक्रवार को जिले के तहसीलदार और पटवारियों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि उनके खिलाफ बिना आधार के ईओडब्ल्यू ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसे तुरंत ही हटाया जाए। साथ ही ईओडब्ल्यू के उन अधिकारियों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए जिन्होंने कि बिना आधार के मामला दर्ज कर राजस्व अधिकारियों की छवि खराब करने की कोशिश की है।
जुलाई 2024 में हुई थी शिकायत
प्रेमनगर निवासी भूपेन्द्र सिंह ग्रेवाल ने 8 जुलाई 2024 को आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो जबलपुर में शिकायत की थी। जिसमें बताया था कि भरत कुमार सोनी तहसीलदार गोरखपुर और पटवारी शिखा तिवारी ने गलत तरीके से जमीन का नामांतरण कर दिया था, जिसके बाद दोनों के खिलाफ 24-04-2025 को धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
शुक्रवार को जिले के तहसीलदार और पटवारियों ने कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना को अपना ज्ञापन देने से पहले बताया कि जिस आवेदक ने ईओडब्ल्यू में शिकायत की है, उसका खाता क्रमांक और खसरा क्रमांक में अदला-बदली कर दी गई। आवेदक ने अपने आवेदन में गलत जानकारी दी, जिसके आधार पर ही आदेश किया गया। जैसे ही तहसीलदार भरत सोनी को इस संबंध में जानकारी लगी तो उन्होंने तत्काल अपने पुराने आदेश को रद्द कर नया आदेश जारी कर दिया।
एक शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने तहसीलदार भरत सोनी और पटवारी शिखा तिवारी पर एफआईआर दर्ज की थी, उसको लेकर जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय जांच टीम गठित की, जिसमें दो एडीएम और एक एसडीएम को शामिल किया।
एडीएम मिशा सिंह, एडीएम नाथूराम और एसडीएम अभिषेक सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया कि तहसीलदार और पटवारी ने विधि के अनुसार ही कार्रवाई की है। दोनों की इस मामले में कहीं भी संलिप्तता नहीं है, दोनों ही निर्दोष साबित हुए हैं।
टीम की रिपोर्ट के बाद कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने राज्य सरकार के सीएस, पीएस और ईओडब्ल्यू डीजी भोपाल को भेजी है, और एफआईआर रद्द की करने कहा है।
जांच रिपोर्ट में यह मिला
शिकायतकर्ता अधिवक्ता भूपेंद्र सिंह ग्रेवाल का आरोप है कि उनके दिवंगत पिता अमर सिंह की मृत्यु का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर संपत्ति खसरा नं-87, रकबा 3800 वर्गफुट, ग्राम महेशपुर, तहसील गोरखपुर का नामांतरण एक अन्य व्यक्ति हरचंद सिंह के नाम कर दिया गया।
राजस्व प्रकरण क्रमांक 265/3-6/ 2024-25 में तहसीलदार ने फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र और विरोधाभासी स्थल निरीक्षण के बावजूद खसरा नं-86/2 का नामांतरण हरचंद सिंह के पक्ष में पारित कर दिया।
कलेक्टर ने इसकी जांच कराई तो सामने आया कि आवेदक ने खाता नंबर को गलती से दूसरे खसरा नंबर पर लिखा दिया। जबकि खाता 17 और खसरा 86-2, 87-2 है। पटवारी ने इस गलती को अनदेखा कर खसरा में दर्ज सही नंबर का पंचनामा बनाया। EOW ने अपनी जांच में इसे नजरअंदाज किया।
आवेदक की गलती को तहसीलदार और पटवारी की गलती मान ली गई। जबकि इस फर्जीवाड़े को पटवारी ने ही पकड़ा। पटवारी के कहने पर तहसीलदार ने मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच करवाई, जिसमें वह गलत पाया गया। तत्काल तहसीलदार ने नामांतरण आदेश रद्द कर दिया। इस पूरे मामले में तहसीलदार भरत सोनी और पटवारी शिखा तिवारी की गलती नहीं थी।
तहसीलदार-पटवारी ने सौंपा ज्ञापन तहसीलदार संघ के जिला अध्यक्ष शशांक दुबे ने बताया कि ईओडब्ल्यू ने राजस्व प्रकरण की गलत जांच की, जबकि ऐसे प्रकरण की जांच में राजस्व अधिकारियों की मदद ली जाती है। उनके द्वारा दर्ज की गई एफआईआर गलत है और हमारी मांग है कि इसे तत्काल निरस्त की जाए। मामले में आवेदक की गलती थी। जबकि हर फौती नामांतरण प्रकरण में मृत्यु प्रमाण पत्र का सत्यापन कराने के लिए पीठासीन अधिकारी बाध्य नहीं है।
तहसीलदार संघ की ओर से सचिव तहसीलदार विकास चंद्र जैन, उपाध्यक्ष नायब तहसीलदार रवींद्र पटेल, सृष्टि इनवाती, सहायक अधीक्षक राजेश मिश्रा, नायब तहसीलदार भरत सोनी, दिलीत हनवत, डाॅ. आदित्य जंघेला, राकेश कौशिक, दीपक पटेल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और एफआईआर रद्द कराने की मांग की है।
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