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Success Story: सोलापुर के एडम शेख ने विकलांगता और गरीबी को पीछे छोड़ते हुए पानी बेचने के छोटे काम से शुरुआत की. एक विवाह भवन में अपमान के बाद खुद का मैरिज हॉल शुरू किया, जिससे आज लाखों की कमाई कर रहे हैं.
एडम शेख
सोलापुर जिले के कामती गांव में रहने वाले एडम जैनुद्दीन शेख की कहानी उन लोगों के लिए मिसाल है, जो हालात से हार मान लेते हैं. महज़ सातवीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद उन्हें मजबूरी में पढ़ाई छोड़नी पड़ी. घर की आर्थिक स्थिति खराब थी और एडम जो भी काम मिलता, कर लिया करते थे. इसी दौरान एक हादसे में उनके पैर में गंभीर चोट लग गई, जिससे वे विकलांग हो गए. यह वक्त उनके लिए बेहद मुश्किलों भरा था.
पानी के जार से शुरू किया कारोबार
2012 में एक दोस्त ने उनके जीवन की दिशा बदल दी. उस दोस्त ने एडम को पानी के जार और मशीनें दीं, जिससे उन्होंने पानी के बर्तन बेचने का काम शुरू किया. शुरुआत में काम छोटा था—मार्च महीने से जार बेचना शुरू किया और फिर होटलों, दुकानों, विवाह भवनों और गांव के हाट-बाजारों में सप्लाई देने लगे. धीरे-धीरे उनका काम चल निकला और उनका आत्मविश्वास बढ़ने लगा.
जब हुआ अपमान, तब लिया बड़ा फैसला
एक दिन मोहोल तालुका के एक विवाह भवन में जब एडम पानी का घड़ा देने पहुंचे, तो मालिक ने उन्हें अपमानित कर दिया. उसने कहा कि वह उन्हें अपने भवन में एक घड़ा पानी भी नहीं देगा. ये बात एडम के दिल को लग गई. घर आकर जब उन्होंने पिता को सब बताया, तो पिता ने सलाह दी कि क्यों न तुम खुद का विवाह भवन शुरू करो. कुछ समय बाद पिता का निधन हो गया, लेकिन उनकी सलाह ने एडम की सोच को नई दिशा दी.
बनाया ‘रोशन मंगल खरार’, जहां अब गूंजती हैं शहनाइयां
पिता की प्रेरणा को याद रखते हुए एडम ने मोहोल तालुका के कामती गांव में अपना खुद का विवाह भवन शुरू किया—‘रोशन मंगल खरार’. अब गांव और आसपास के लोग यहीं शादियां करते हैं. यह भवन सिर्फ शादी के लिए ही नहीं, बल्कि प्रेरणा का प्रतीक भी बन गया है.
6 से 7 लाख सालाना कमाई, साथ में समाजसेवा भी
एडम शेख अपने इस विवाह भवन से हर साल 6 से 7 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. लेकिन सिर्फ पैसा कमाना उनका मकसद नहीं है. वे हर साल एक जरूरतमंद बेटी की शादी में आर्थिक मदद देते हैं और तोहफे भी भेंट करते हैं. समाज के लिए कुछ करने की चाह ने उनके संघर्ष को कामयाबी में बदल दिया.
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