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हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (डीएमई) का प्रभार डॉ. अरुणा कुमार को सौंपा है। डॉ. कुमार के साथ विभाग में अन्य दो दावेदारों की चर्चा तेज थी। इनमें पूर्व डायरेक्टर डॉ. जितेन शुक्ला और जबलपु
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दरअसल, डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव के बुधवार को डीएमई पद से रिटायर होने के बाद से पद पर किसे बैठाया जाए, यह चर्चा मेडिकल कॉलेजों से लेकर डायरेक्टरेट में चल रही थी। जिस पर गुरुवार शाम विभाग ने डॉ. कुमार को डीएमई का प्रभार देने के आदेश निकाल कर विराम लगा दिया है।
इधर, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जूडा) ने डॉ. अरुणा कुमार की डीएमई पद पर हुई नियुक्ति को लेकर आपत्ति जताते हुए उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल को पत्र लिखा है। एसोसिएशन का आरोप है कि डॉ. कुमार का पिछला कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है और उनका कार्यशैली छात्रों और चिकित्सकों के हित में नहीं रही।
जूडा ने कहा – मेडिकल स्टूडेंट्स इस फैसले से असंतोष
जूडा ने पत्र में कहा है कि डॉ. अरुणा कुमार की नियुक्ति से मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच असंतोष उत्पन्न हुआ है। यह निर्णय मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और प्रणाली की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करता है। डॉ. कुमार के प्रशासनिक रवैये के कारण पहले भी कॉलेज परिसर में शैक्षणिक वातावरण प्रभावित हुआ था और छात्र मानसिक तनाव में रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान एक महिला जूनियर डॉक्टर ने मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त होकर आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया था। एसोसिएशन का कहना है कि ऐसे संवेदनशील और विवादित पृष्ठभूमि वाले अधिकारी को डीएमई जैसे उच्च पद पर नियुक्त करना पूरी चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
निर्णय पर हो पुनर्विचार, नहीं होगा आंदोलन
जूनियर डॉक्टरों ने इस नियुक्ति को जनहित, छात्रहित और चिकित्सा क्षेत्र की गरिमा के खिलाफ बताया है। साथ ही मांग की है कि सरकार इस निर्णय पर पुनर्विचार करे। साथ ही इस विषय में जल्द निर्णय ना होने पर जूडा आंदोलन के लिए बाध्य हो सकते हैं। ज्ञापन में अध्यक्ष डॉ. कुलदीप गुप्ता, उपाध्यक्ष डॉ. निखिल अग्रवाल और महासचिव डॉ. अंकित स्वामी समेत एसोसिएशन के कई पदाधिकारियों के हस्ताक्षर हैं।
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