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Sehore News On Lines Of Private Schools Now Pre-primary Classes Will Be Held In Government Schools As Well – Madhya Pradesh News

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नई शिक्षा नीति के तहत अब निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी की कक्षाएं शुरू करने की तैयारी हो चुकी है। आगामी 16 जून से नए शिक्षा सत्र में जिले के 226 स्कूलों में नर्सरी की कक्षाएं शुरू होंगी, जिसके चलते सरकारी स्कूलों में प्रवेश लेने वाले बच्चों को नर्सरी से शिक्षा उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए तीन वर्ष की उम्र वाले विद्यार्थियों को संस्था में प्रवेश दिया जायेगा। यह सभी स्कूल सांदिपनी विद्यालय से अलग होंगे। शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित स्कूलों में यह सभी व्यवस्था लागू होंगी।

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जिला परियोजना समन्वयक रमेश राम उईके ने बताया कि जिले के 226 सरकारी स्कूलों में नए शिक्षा सत्र 16 जून से नर्सरी की कक्षाएं शुरू होंगी। इन कक्षाओं को नियमित किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में पीपी-2 और पीपी-3 की कक्षाएं होंगी, जो केजी-1 अन्य कक्षाओं को नियमित किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में पीपी-2 और पीपी-3 की कक्षाएं होंगी, जो केजी-1 और केजी-2 के समकक्ष हैं। नर्सरी के विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए डाइट के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जायेगा, जिससे कि शिक्षक विद्यार्थियों को शुरुआती दौर में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का ज्ञान दे सकें। इसके अतिरिक्त शिक्षक बच्चों को नाच-गाकर भी पढ़ाएंगे, जिससे कि विद्यार्थियों को आसानी से अक्षर का ज्ञान हो सकेगा।

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नर्सरी में प्रवेश के लिए तीन साल की उम्र निर्धारित

नई शिक्षा नीति के अनुसार पहली कक्षा में प्रवेश के लिए 6 से साढ़े 7 वर्ष व नर्सरी में प्रवेश के लिए तीन साल की उम्र निर्धारित की गई हैं। निजी स्कूलों में पहले से ही नर्सरी की कक्षाएं संचालित हैं। इन स्कूलों को टक्कर देने के लिए ही सरकारी स्कूलों में यह पहल शुरु की जा रही है। 226 स्कूलों के बाद आगामी समय में जिले के अन्य सभी स्कूलों में इस व्यवस्था को लागू किया जायेगा। डीपीसी के मुताबिक प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर अब शिक्षक नर्सरी के बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाएंगे। पिछले वर्ष के आगे की कक्षा में भेजे जाएंगे और अभिभावकों को शिक्षक घर-घर जाकर सरकारी स्कूलों में नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने के लिए प्रेरित करेंगे।

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नए प्रयोग से मजबूत होगी बच्चों की नींव

डीपीसी आरआर उइके के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग का यह तर्क है कि सरकारी स्कूलों से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ा जाए। यदि प्रारंभिक दौर में नर्सरी के बच्चों को स्कूल से जोड़ा जाएगा तो वह आगे की कक्षा में भी सरकारी स्कूलों में ही अध्ययन करेंगे। शिक्षक नाच-गाकर नर्सरी के बच्चों को अक्षर का ज्ञान सिखाएंगे ऐसे में विद्यार्थी कक्षा पहली तक आते-आते अक्षर व शब्द लिखना पूरी तरह सीख जाएंगेे। ऐसे में बच्चों की शिक्षा की राह आसान होगी ओर उनकी नींव भी पूरी तरह मजबूत होगी। विभाग ने इसके लिए नियम लागू कर दिए हैं। शिक्षकों को घर-घर जाकर सर्वे करने के निर्देश भी जारी किये गए हैं।

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