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महाकाल मंदिर में अन्न क्षेत्र के पास अच्छी बारिश के लिए अनुष्ठान हो रहा है।
देश में अच्छी बारिश के लिए उज्जैन में 2 राज्यों से आए 25 पुजारी अनुष्ठान में जुटे हैं। वहीं, इस पर रिसर्च के लिए मौसम वैज्ञानिक और आईआईटीएम के छात्र भी मौजूद हैं। वे अपने बड़े-बड़े इंस्टूमेंट के जरिए यज्ञ से उठने वाली ज्वाला से निकले पार्टिकल की पड़ताल
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कर्नाटक-महाराष्ट्र से आए 25 पुजारी महाकाल मंदिर की पार्किंग के अन्न क्षेत्र के पास 6 दिनों (24 से 29 अप्रैल) तक सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान हो रहा है। जिसे महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के सहयोग से देश भर में अच्छी बारिश के लिए किया जा रहा है।
इस अनुष्ठान में महाराष्ट्र और कर्नाटक के 25 पुजारी शामिल हुए हैं। सौमिक सुवर्ष्टि योजना के नाम का अनुष्ठान सोमनाथ और महाकाल मंदिर में एक साथ चल रहा है।

पिछले साल भी हुआ था अनुष्ठान आखिरी दिन 28 अप्रैल को सोमवल्ली वनस्पत्ति कुक्टर का रस निकालकर अनुष्ठान होगा। हर दिन प्रायनिय इष्टि, प्रवर्ग्य विधि, उपसद इष्टि, सुब्रह्मण्य विधि की जा रही है। इस तरह अनुष्ठान पिछले साल भी प्रायोगिक तौर पर महाकाल मंदिर में किया गया था।
इस बार वेद मूर्ति अध्वर्यु प्रणव काले, शौनक काले, ब्रह्मा यशवंत तलेकर, उद्गाता मुकुंद जोशी, गणेश कुलकर्णी सहित 25 पुजारी अनुष्ठान कर रहे हैं। 8 मई से 13 मई तक देवघर और द्वारका में भी अनुष्ठान होगा।
IITM और IMD की टीम कर रही रिसर्च उज्जैन में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी अनुष्ठान का मौसम विभाग (IMD) के वैज्ञानिकों की टीम और IITM से जुड़े 10 स्टूडेंट्स रिसर्च कर रहे हैं। मध्य प्रदेश विज्ञान परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठरी ने बताया कि हम सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान का पहली बार अनुसंधान कर रहे हैं।

ज्वाला किरणें पार्टिकल और गैस का करेंगे रिसर्च भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान भोपाल (IITM) के वैज्ञानिक 29 अप्रैल तक डॉ. यांग लियन सहित डॉ. अनिल, डॉ. सचिन और डॉ. स्टेनी बेनी के साथ सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान से निकलने वाली किरणों पार्टिकल गैस सहित वायु मंडल में हो रहे बदलाव का रिसर्च करेंगे। वैज्ञानिक डॉ. यांग लियन ने बताया-
यज्ञ स्थल के बाहर तेथर सोंन्डे, एसएमपीएस, ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन (AWS) मशीनें लगाई हैं। 7 पैरामीटर पर AWS ऑटोमैटिक डेटा रीड करेंगी। जिसमें हवा का प्रेशर, ट्रेम्प्रेचर ह्यूमिडिटी, रैन फाल, विंड स्पीड व डायरेक्शन और रेडिएशन की जांच की जाएगी।


रिसर्च के बलून के जरिए वायुमंडल की गैस एकत्रित की जा रही है।
बलून से होगी वायुमंडल परिवर्तन की जांच तेथर सोंन्डे मशीन में एक बलून को 500 मीटर, 200 मीटर और 100 मीटर की ऊंचाई पर भेजकर वायु मंडल की जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसमें ऊंचाई की जानकारी जैसे प्रेशर टेम्परेचर की जानकारी मिल सकेगी।
पता लगाया जाएगा कि यज्ञ से पहले और बाद में वायुमंडल में कौन सी गैस थी। अनुष्ठान शुरू होने के बाद क्या-क्या परिवर्तन आए? जिसमें वायुमंडल में उपस्थित गैस NOX, NO, CO2, CO, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों का पता लगाया जा सकेगा। पीएम-2.5 और पीएम-10 की जानकारी भी मशीनों से ले रहे हैं।
ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन से 24 घंटे डेटा ट्रांसफर वैज्ञानिकों ने बताया कि सभी मशीनों से हवा की दिशा गति तापमान दबाव रेडिएशन की पैरामीटर 24 घंटे ईमेल पर देता रहता है। सभी डेटा को एक जगह एकत्रित कर टेस्टिंग की जाएगी। जिसके बाद उस पर रिसर्च भी होगा।

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